शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2021

अनूठा रहस्य प्रकृति का...





 रात भर जागकर हरसिंगार वृक्ष 

उसकी सख्त डालियों से लगे

नरम नाजुक पुष्पों की  करता रखवाली

कि

नरम नाजुक से पुष्प 

सहला देते सख्त वृक्ष के भीतर

सुकोमल भावों को...

अनूठा रहस्य है प्रकृति का!

सोमवार, 19 जुलाई 2021

पैरहन....

 



पत्थर भरी जमीं पर जहाँ कुछ नहीं उगता

 हौसला देखिये हमने घर वहाँ बनाये हैं!

दर्द, आँसू, ग़म, तन्हाई से कुछ नहीं बनता

मुस्कुराहटों के ही हमने पैरहन बनाये हैं....

गुरुवार, 18 जून 2020

गुड़िया की गोद में गुड़िया....


सफ़ेद झक चमकदार 
फ्रिल की फ्रॉक पहने
 एक बच्ची
 मेरे साथ चलती है हमेशा!
बीहड़ सी राह पर 
थक कर बैठने को होती हूँ
पकड़ कर साड़ी की पटलियां
झूले सी लटक जाती है !!
जैसे कि 
लोहे के गेट पर लूमते 
कितने हिंडोले खाये.

शीशे के पीछे जगमगाती
खिलौनों की दुनिया तक 
अँगुली पकड़े खींच ले जाती  है.
बेखौफ़ बेतकल्लुफ़ बतिया लेती है कभी 
कभी ठिठक कर छिप जाती है.

बेध्यानी में 
गुड़िया की गोद में 
लोरी सुनाती गुड़िया 
घर ले आती हूँ.

बच्चे ताली बजा कर खुश हो जाते हैं.
 माँ हमारे लिये गुड़िया लाई...