तुम्हारे शब्दों में जब
प्रतिध्वनित होता है झूठ
तुम्हारे ही
शब्दों की ओट में !
सच्चे दिखते शब्दों के झूठ को पढ़कर
सोचने लगती हूँ मैं
तुम्हारे झूठे शब्दों की विवशता !!
झूठ समझते हुए भी
सिर हिलाती हूँ
सच की तरह !
सच के इशारे में !!
अस्पष्ट बुदबुदाते शब्दों में
तुम भी समझ जाते होगे न
विवशता
मेरे झूठे शब्दों की !!