खांस -खांस कर दुखती
बेदम अंतड़ियों
ऐंठती नसों के दबाव से
कमजोर हड्डियों के बीच
लरजता गुलाबी -सा दिल
रक्त सनी शेल्ष्मा की कतरनें
फैलती पुतलियों के गोलकों के बीच
हांफती रहेंगी साँसें ,
जंग खाते घुटने
भूल जायेंगे चलना -फिरना
धुंधलाने लगेगी निगाहें
तब तक तो लौट ही आओगे न
लौटा ले जाने
अपने दिए वो सारे शब्द
निष्प्राण हथेलियों से
जो झरते रहेंगे
बनकर तुम्हारा ही मौन ...
ठहरी आँखों में
ठहरा रहेगा विश्वास
सृष्टि के अनंत व्योम में
सात्विक अनुराग से स्पंदित
नाद बन कर
गूंजता रहेगा
मेरे तुम्हारे बीच का मौन ....
बेदम अंतड़ियों
ऐंठती नसों के दबाव से
कमजोर हड्डियों के बीच
लरजता गुलाबी -सा दिल
रक्त सनी शेल्ष्मा की कतरनें
फैलती पुतलियों के गोलकों के बीच
हांफती रहेंगी साँसें ,
जंग खाते घुटने
भूल जायेंगे चलना -फिरना
धुंधलाने लगेगी निगाहें
तब तक तो लौट ही आओगे न
लौटा ले जाने
अपने दिए वो सारे शब्द
निष्प्राण हथेलियों से
जो झरते रहेंगे
बनकर तुम्हारा ही मौन ...
ठहरी आँखों में
ठहरा रहेगा विश्वास
सृष्टि के अनंत व्योम में
सात्विक अनुराग से स्पंदित
नाद बन कर
गूंजता रहेगा
मेरे तुम्हारे बीच का मौन ....