सुनहरी धूप में
आँखों को चौंधियाते
भुरभुरी रेत के टीबे से
होते हैं कुछ ख़याल
पास बुलाते हैं इशारे से
छू कर देखे तो
पल में बिखर जाते हैं !
उम्र की सरहदों के पार
बालों से झांकती सफेदी के बीच
मोतियाबंदी आँखों में झिलमिलाते
पोपले चेहरे की लजीली मुस्कराहट
हमसाया सा आस -पास
जीवन भर रहता एक ख़याल !!
अहसास की किताबों के पन्ने
लिखे जाते हैं स्वयं ही
मन हुआ तो पढ़ लिया
वर्ना पन्ने पलट दिए .
ऐसे ही किसी पन्ने पर
लिखा हुआ कोई ख़याल !!
काली गहरी रात के वितान पर
सुनहरे सितारों से सजा
बेखटके निहारते
आसमान पर टांग दिया
एक खयाल !
जीवन मुट्ठी से फिसलती रेत -सा
पलकों के इर्द गिर्द रहा एक ख्याल
मुद्दतों यही सोच कर आँखें रोई नहीं
गीली रेत पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं .!!