मत रोको
उड़ने दो उन्हें
उन्मुक्त गगन में
मुक्त
निर्द्वंद्व , निर्भय , निरंकुश
छू आने दो उस छोर को
जहाँ तलाश सकती हैं
वे अपना अस्तित्व
जान सकती हैं
अपने होने का मतलब ...
मत बांधो
उन्हें
लक्ष्मण रेखाओं में
खुला रहने दो
उनका आसमान
फ़ैल जाने दो
उनके आसमान को
मुट्ठियों से निकलकर
तय करने दो
दूरियां अनंत तक ...
मत रोको
उड़ने दो उन्हें
छू आने दो
सितारों को
जुगनू से चमकते सपनो को को
बदल जाने दो
रोशनी बिखेरते सितारों में ...
मत रोको उन्हें
बहने दो
कल- कल नदिया सी
सूखे बंजर रेगिस्तान में
ठूंठ हुए वृक्षों को
दे सकती हैं
वे ही नवजीवन
नवपल्लवित शाखाएं
कर सको तो ये करो
सिखाओ उन्हें
कहाँ रुकना
कहाँ बहना
कितना बहना
कि
सूखी रेत
गहरे दलदल में ना तब्दील हो
कर सको तो बस इतना ही ....
सिखाओ उन्हें
कि
दूर दूर तक उड़ते
जमीन पर एक टुकड़ा
सुरक्षित रख सके
जहाँ टिका सकती हो वे कदम
जब उड़ने की शक्ति क्षीण होने लगे
त्रिशंकु की भांति ना लटकी रहे
सिखाओ उन्हें
कि खिंच सके
खुद अपनी लक्ष्मण रेखाएं ...
क्यूंकि
मुश्किल होता है
लांघना
खुद अपनी खिंची लक्ष्मण रेखाओं का
कर सको तो इतना करो
दिलाओ उन्हें इतना यकीन
थक हार कर लौटते भी
उनके लिए
कुछ बाहें
होंगी हमेशा खुली
कुछ राहें
होंगी हमेशा खुली ...
मत रोको उन्हें ...
उड़ने दो पंछी -सा ...
बहने दो नदिया -सी ....
चित्र गूगल से साभार ...
उड़ने दो उन्हें
उन्मुक्त गगन में
मुक्त
निर्द्वंद्व , निर्भय , निरंकुश
छू आने दो उस छोर को
जहाँ तलाश सकती हैं
वे अपना अस्तित्व
जान सकती हैं
अपने होने का मतलब ...
मत बांधो
उन्हें
लक्ष्मण रेखाओं में
खुला रहने दो
उनका आसमान
फ़ैल जाने दो
उनके आसमान को
मुट्ठियों से निकलकर
तय करने दो
दूरियां अनंत तक ...
मत रोको
उड़ने दो उन्हें
छू आने दो
सितारों को
जुगनू से चमकते सपनो को को
बदल जाने दो
रोशनी बिखेरते सितारों में ...
मत रोको उन्हें
बहने दो
कल- कल नदिया सी
सूखे बंजर रेगिस्तान में
ठूंठ हुए वृक्षों को
दे सकती हैं
वे ही नवजीवन
नवपल्लवित शाखाएं
कर सको तो ये करो
सिखाओ उन्हें
कहाँ रुकना
कहाँ बहना
कितना बहना
कि
सूखी रेत
गहरे दलदल में ना तब्दील हो
कर सको तो बस इतना ही ....
सिखाओ उन्हें
कि
दूर दूर तक उड़ते
जमीन पर एक टुकड़ा
सुरक्षित रख सके
जहाँ टिका सकती हो वे कदम
जब उड़ने की शक्ति क्षीण होने लगे
त्रिशंकु की भांति ना लटकी रहे
सिखाओ उन्हें
कि खिंच सके
खुद अपनी लक्ष्मण रेखाएं ...
क्यूंकि
मुश्किल होता है
लांघना
खुद अपनी खिंची लक्ष्मण रेखाओं का
कर सको तो इतना करो
दिलाओ उन्हें इतना यकीन
थक हार कर लौटते भी
उनके लिए
कुछ बाहें
होंगी हमेशा खुली
कुछ राहें
होंगी हमेशा खुली ...
मत रोको उन्हें ...
उड़ने दो पंछी -सा ...
बहने दो नदिया -सी ....
चित्र गूगल से साभार ...