बनावटें हुज़ूर की किरचों से पूछिये
दोस्ती का जिनके बड़ा चर्चा रहा है...
रिश्ते तमाम लेते रहे हैं जो काम में
रिश्तों का उनके दर पे सदा मजमा रहा है....
किस खूबी से खेलते हैं खेल देखिये
पासों को खुद ही चलने का गुमान रहा है....
कालिख कलेजे की छलकी जो आँख से
कहते हैं बड़े शौक से कि कजरा रहा है...
बड़े दिनों के बाद बेबहर ख़याल ......