ना अब बचपना
अब बचपन ना
बहुत हुआ बचपन पर हँसना
अब हँसना ना
अब हँस ना ......!!
बचपन कब चाहे बड़ा होना
मगर जब बड़ा होना
तो बड़ा हो ना ......!!
बचपन से बड़प्पन का सफ़र...
पलक नम सुस्त कदम
बुझी निगाह सांस कम
यही तो है बड़ा होना
तो अब बड़ा ही होना
अब बड़ा हो ना ......!!
चाहा यही तो
बचपन से बड़प्पन का सफ़र
सीखे चुप रहना
तो अब चुप है ना
चाहे मौन रखना
तो अब मौन रख ना ......!!
बस अब और ना बचपना
अब बचपन ना .....!!
अब बचपन ना
बहुत हुआ बचपन पर हँसना
अब हँसना ना
अब हँस ना ......!!
बचपन कब चाहे बड़ा होना
मगर जब बड़ा होना
तो बड़ा हो ना ......!!
बचपन से बड़प्पन का सफ़र...
पलक नम सुस्त कदम
बुझी निगाह सांस कम
यही तो है बड़ा होना
तो अब बड़ा ही होना
अब बड़ा हो ना ......!!
चाहा यही तो
बचपन से बड़प्पन का सफ़र
सीखे चुप रहना
तो अब चुप है ना
चाहे मौन रखना
तो अब मौन रख ना ......!!
बस अब और ना बचपना
अब बचपन ना .....!!
पुरानी कविता (?)
पुनः प्रकाशित ....
..................................................................................................................................................