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देश में जो हाहाकार मची है
मारकाट चीखपुकार मची है
टुकड़े टुकड़े हो जाए ना
आर्यावर्त कहीं खो जाए ना
जाति पांति की हाट सजी है
मजहब की दीवार चुनी है
स्वतंत्रता कहीं बिक जाए ना
देश मेरा खो जाए ना
जाति धर्म प्रान्त भाषा कुर्सी की यह जंग
देश को अनगिनत सूबों में बदल जायेगी
फिर कोई ईस्ट इंडिया कंपनी व्यापार के बहाने
हम पर हुकूमत चलाएगी
नींद से जागेंगे जब हम भारतवासी
फिर बापू तुम याद आओगे
इस देश में बापू तब ही
तुम फिर से पूजे जाओगे
आर्त पुकार सुनकर तुम कही घबराओगे
पुनर्जन्म पाकर जो फिर से लौट आओगे
स्वदेश की अलख फिर से जगाओगे
फिर से राष्ट्रपिता की पदवी पा जाओगे
सच कहती हूँ बापू तुम फिर से पूजे जाओगे
पर अब जो आओ बापू
मत आना इनके झांसे में
बहकाए ना फिर से तुमको
ना शामिल होना इनके तमाशे में
सलाह मेरी पर ध्यान धरना
तीन बन्दर जरुर साथ रखना
पर पहले की तरह ये मत कहना
बुरा मत देखो बुरा मत कहो बुरा मत सहो
इस बार अपना संदेश बदलना
आँख कान मुंह हमेशा बंद ही रखना
स्वदेश मंत्र को हाशिये पर रखना
सत्ता जंतर का पूरा स्वाद चखना
भावुकता के पचडे में मत पड़ना
हाथ जोड़ कर विनम्रता से कहना
राष्ट्रपिता के पद का मुझे क्या है करना
मेरी झोली तो तुम छोटे से मंत्री पद से भरना
पाँच वर्षों में ही झोली इतनी भर जायेगी
सात न सही चार पीढियां तो तर ही जायेंगी
ज्ञानवाणी से प्रकाशित