जो होता है वह नजर आ ही जाता है
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सूरज अपने प्रकाश का विज्ञापन नहीं देता
चन्द्रमा के पास भी चांदनी का प्रमाणपत्र नहीं होता!
बादल कुछ पल, कुछ घंटे , कुछ दिन ही
ढक सकते हैं ,रोक सकते हैं
प्रकाश को , चांदनी को ...
बादल के छंटते ही नजर आ जाते हैं
अपनी पूर्ण आभा के साथ पूर्ववत!
टिमटिमाते तारे भी कम नहीं जगमगाते
गहन अँधेरे में जुगनू की चमक भी कहाँ छिपती है!
जो होता है वह नजर आ ही जाता है देर -सवेर
बदनियती की परते उतरते ही !
(या मुखौटों के खोल उतरते ही !!)
(या मुखौटों के खोल उतरते ही !!)