रुकी हुई है कलम
टिकी हुई कागज पर
कि कोई ऐसी बात कह दूँ
कोई सत्य ऐसा लिख दूँ
कि आसमान का पट सरक
सहसा ही सतरंगी धूप निकल आये...
कि स्याह अँधेरी रात
झटपट सितारों से जगमगा जाये...
उससे पहले लेकिन
कोई सत्य
कोई किरण
दृश्य हो ले
जो कहीं किसी सुनहरे या कि स्याह रैपर में
अटकी पड़ी है....
वाह अनुपम भाव
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 30 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह , सतरंगी धूप का इंतज़ार है । सत्य कभी तो घटित होगा ।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिखा ...वाह
जवाब देंहटाएंजी बहुत सुंदर सृजन।
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जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
01/09/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
यही दुविधा बड़ी है ,बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंमनोभावों को कितनी सार्थकता से अभिव्यक्ति दे देती हैं आप
जवाब देंहटाएंस्याह रेपर में अटकी सत्य की किरण ...
जवाब देंहटाएंक्या रोकना आसान होगा ... बहुत ही गहरी और लाजवाब अभिव्यक्ति ...
न जाने सत्य कैसा है!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 22 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसारगर्भित ...
जवाब देंहटाएंसारयुक्त सुंदर लेखन आदरणीया।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सारगर्भित रचना...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
प्रशंसनीय
जवाब देंहटाएंसुन्दर
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