रविवार, 4 अगस्त 2013

तुम्हारी मुक्ति ही उनकी आजादी है !!




समूह में घिरी हुई तुम 
दिख जाती हो अक्सर 
बेरंग बदरंग चेहरे 
तुमसे चिपटते , बलैया लेते 
एक दूसरे की बहन बनाते 
तुम्हे बोल्ड और ईमानदारी का तमगा पकड़ाते 
जिनकी आँखों की बेईमानी 
साफ़ नजर आती है.
तुम्हे नजर नहीं आता या 
झूठे तमगों की  सुनहरी रौशनी में 
अपनी गर्दन ऊँची कर तुम 
गटक जाती हो 
अपनी सब निराशाओं को 
नाकामियों को … 

या कि 
कंटीली झाड़ियों के दुष्कर पथ पर 
अपने क़दमों के निशा रखती हो 
पीछे चले आने वाले 
नन्हे क़दमों को संबल देते  
जो तुमसा होना चाहते हैं 
तुम हो जाना चाहते हैं !!
अपनी मुक्ति का जयघोष करते 
इन्द्रधनुषी रंगों की सतरंगी आभा 
भली लगती है तुम्हारे चेहरे पर 
तुम्हारी आँखों में 
मगर 
क्या समझना है तुम्हे 
मुक्त किससे होना है तुम्हे 
मुक्ति का मार्ग बताने वाले 
मुक्ति के गूंजा देने वाले नारों के बीच 
चुप रह जाने वालों की भाषा 
तुम समझोगी  नहीं 
कुछ घुटी -घुटी चीखें 
सूनी आँखों से बताती है 
तुम्हारी मुक्ति ही उनकी आजादी है !!

43 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार।

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  2. हम्म्म्म......
    गहन अभिव्यक्ति.....


    अनु

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  3. विलक्षण दृष्टि!! अनुत्तर !!

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  4. तुम्हारी मुक्ति ही उनकी आज़ादी है वाह!!! शानदार गहन भाव अभिव्यक्ति...:)

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  5. बहुत गहन और सार्थक प्रस्तुति..

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  6. आपके ब्लॉग को ब्लॉग एग्रीगेटर "ब्लॉग - चिठ्ठा" में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।

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  7. मुक्त किससे होना है तुम्हें....

    बहुत ही सशक्त और प्रभावी.

    रामराम.

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  8. प्रभावी ... अपनी आजादी पाने को लालायित क्या किसी को सच्ची मुक्ति दे पाएंगे ... ये तो खुद से ही संभव है ...

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  9. बहुत ही सार्थक और गहन अभिव्यक्ति!!

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  10. स्वयं से लगाए बंधनों से मुक्ति ही शायद असली मुक्ति होगी .... सुनहरे तमगों को पा निराशाओं को गटकती नहीं है बस बंधनों के बीच घुट जाती है ... ऐसी रचना जिसे जितनी बार पढ़ो एक अलग अर्थ सामने आता है ... सुंदर प्रस्तुति

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  11. गहन..... ऐसे प्रश्न उद्वेलित करते हैं मन को

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  12. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए बुधवार 07/08/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी.
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  14. मन में मुक्ति सतत जलती हो,
    गाँठें आग्रह में ग़लती हों।

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  15. उत्कृष्ट...बेहद सुन्दर...वाह वाणीजी

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  16. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  17. सुन्दर रचना की बधाई स्वीकारें !

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  18. बहुत ही सुन्दर रचना , बहुत ही गहन भाव लिए ..

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  19. अपनी मुक्तता आप ही करनी होगी ।
    बहुत प्रभावी रचना ।

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  20. तुम्हारी मुक्ति ही उनकी आजादी है !!

    गहन भाव

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  21. क्या समझना है तुम्हे
    मुक्त किससे होना है तुम्हे
    मुक्ति का मार्ग बताने वाले
    मुक्ति के गूंजा देने वाले नारों के बीच
    चुप रह जाने वालों की भाषा
    तुम समझोगी नहीं
    कुछ घुटी -घुटी चीखें
    सूनी आंखों से बताती है
    तुम्हारी मुक्ति ही उनकी आजादी है !!

    सूनी आंखों से बोलती घुटी-घुटी चीखों को सुनने-समझने की सामर्थ्य हर किसी की कहां होती है आदरणीया वाणी जी ?
    पीड़ा को स्वर देने वाले बिरले ही होते हैं...
    रचना के अंतर में छुपे मर्म तक पहुंचने का प्रयास कर रहा हूं...
    साधुवाद !
    मंगलकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  22. सच मुक्त होना किससे है ये एक यक्ष प्रश्न है .......

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  23. बहुत सार्थक, गहन और उत्कृष्ट प्रस्तुति...अंतस को झकझोरती लाज़वाब अभिव्यक्ति...

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  24. कुछ प्रश्न हैं ....तुम उत्तर हो
    कुछ बंधन हैं ...तुम मोक्ष हो

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  25. लिखिये जी...भयंकर डिमांड है!! :)

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