खांस -खांस कर दुखती
बेदम अंतड़ियों
ऐंठती नसों के दबाव से
कमजोर हड्डियों के बीच
लरजता गुलाबी -सा दिल
रक्त सनी शेल्ष्मा की कतरनें
फैलती पुतलियों के गोलकों के बीच
हांफती रहेंगी साँसें ,
जंग खाते घुटने
भूल जायेंगे चलना -फिरना
धुंधलाने लगेगी निगाहें
तब तक तो लौट ही आओगे न
लौटा ले जाने
अपने दिए वो सारे शब्द
निष्प्राण हथेलियों से
जो झरते रहेंगे
बनकर तुम्हारा ही मौन ...
ठहरी आँखों में
ठहरा रहेगा विश्वास
सृष्टि के अनंत व्योम में
सात्विक अनुराग से स्पंदित
नाद बन कर
गूंजता रहेगा
मेरे तुम्हारे बीच का मौन ....
बेदम अंतड़ियों
ऐंठती नसों के दबाव से
कमजोर हड्डियों के बीच
लरजता गुलाबी -सा दिल
रक्त सनी शेल्ष्मा की कतरनें
फैलती पुतलियों के गोलकों के बीच
हांफती रहेंगी साँसें ,
जंग खाते घुटने
भूल जायेंगे चलना -फिरना
धुंधलाने लगेगी निगाहें
तब तक तो लौट ही आओगे न
लौटा ले जाने
अपने दिए वो सारे शब्द
निष्प्राण हथेलियों से
जो झरते रहेंगे
बनकर तुम्हारा ही मौन ...
ठहरी आँखों में
ठहरा रहेगा विश्वास
सृष्टि के अनंत व्योम में
सात्विक अनुराग से स्पंदित
नाद बन कर
गूंजता रहेगा
मेरे तुम्हारे बीच का मौन ....
बाई द वे, अभी ही आई एम स्टील वेटिंग फॉर यू , शची पढ़कर आ रहे है..इस लिए शायद कविता में उतरने में आसानी हुई..बहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंगूंजता रहेगा
जवाब देंहटाएंमेरे तुम्हारे बीच का मौन ....
मौन जब गूँजेगा तो अनुनाद होगा.
बेहतरीन
निःशब्द -आपकी काव्य प्रतिभा से अब हो रहा है ब्लॉग जगत परिचित -आप लिखती जाईये अविचल अविराम अविकल ..एक दिन हम लौटेगें सभी कविताओं का पुनश्चरण करते हुए और उनकी सात्विकता से जुड़ते हुए लिखेगें उनका भाष्य !
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्मभेदी प्रस्तुति ! इंतज़ार की इंतहा की इतनी मन को मथ देने वाली अभिव्यक्ति अभी तक अन्यत्र कहीं नहीं पढ़ी ! बधाई एवं शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंhttp://sudhinama.blogspot.com
http://sadhanavaid.blogspot.com
nishabd kar diya is rachna ne...kitni jyada abhivyakti ki gayi hai...maan gaye...
जवाब देंहटाएंhttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
सात्विक अनुराग से स्पंदित,
जवाब देंहटाएंनाद बनकर गुंजता रहेगा
मेरे तुम्हारे बीच का मौन
मौन भी बहुत कुछ कहता है
सुंदर कविता, आभार
ठहरी आँखों में
जवाब देंहटाएंठहरा रहेगा विश्वास
सृष्टि के अनंत व्योम में
सात्विक अनुराग से स्पंदित
नाद बन कर
गूंजता रहेगा
मेरे तुम्हारे बीच का मौन ....
प्रेम में मौन भी मुखर होकर बहुत कुछ कहता-सुनता जाता है......
..प्यारभरा सुन्दर मनुहार ....
बहुत शुभकामनाएँ
kahani ke pariprekshya me jo aapne likha hai, wah dil ko jhakjhorta hai......ise kahte hain bhawnaaon kee giraft me pighalna aur shabd ban jana
जवाब देंहटाएंbahut sundar geet he badhai aap ko is ke liye
जवाब देंहटाएंkya gazabki rachana hai..mai nishabd hun!
जवाब देंहटाएंओह.. आज सचमुच निशब्द कर दिया इस रचना ने...तुम्हारी आँखें गीली हो आई थीं,मेरी लिखी कहानी पढ़कर...और अब मेरा मन भर आया है,तुम्हारी कविता देख...इतना महसूस किया तुमने मेरे पात्रों का दर्द...am touched....really really touched..
जवाब देंहटाएंहाय रब्बा...!!!
जवाब देंहटाएंये की होया...
वाणी क्या सचमुच ऐसा हो जाएगा.....
अरे बहुत सुन्दर लिखा है....
मैं तो मौन ही हो गयी...आज कल कुछ ज्यादा ही अच्छा लिखा जा रहा है बात क्या है....खूबसूरत लड़की....
सच में आज की रचना में शब्द सयोजन, भाव, प्रवाह और सन्देश सभी तारीफ के काबिल हैं....
मज़ा आ गया...
हाँ नहीं तो...!!
तब तक तो लौट ही आओगे न
जवाब देंहटाएंलौटा ले जाने
अपने दिए वो सारे शब्द
निष्प्राण हथेलियों से
जो झरते रहेंगे
बनकर तुम्हारा ही मौन ...
lajawab
bahut bahut khub ....moun ke ehsaas apne hi hote hain ...bahut pasand aayi yah shukriya
जवाब देंहटाएंmaun ke apne shabd hote hain ..aapne sune....aur fir hum sab ne suna..achha laga
जवाब देंहटाएंकहानी के सन्दर्भ में लिखी बहुत ही भावपूर्ण कविता....ये मौन बहुत मुखरित हुआ....सुन्दर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंbahut sundar maun ki abhivyakti........maun ko khoobsoorti se paribhashit kiya hai.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर काव्य तो है ही ... शब्द संयोजन गजब का है ! कविता हो तो ऐसी हो ...
जवाब देंहटाएं...बेहतरीन ...प्रसंशनीय रचना!!!!
जवाब देंहटाएंउत्कट जिजीविषा । प्रशंसनीय ।
जवाब देंहटाएंWow!
जवाब देंहटाएंIntense expression.
Excellent.
मौन की शानदार अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएं--------
गुफा में रहते हैं आज भी इंसान।
ए0एम0यू0 तक पहुंची ब्लॉगिंग की धमक।
अति सुन्दर रचना ....प्रसंशा के लिए शब्द नहीं मिल रहे ....बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंhttp://athaah.blogspot.com/
wah. shabdon ka itna sunder chyan,saath hi bhavon ka mishran.behad khoobsurat.
जवाब देंहटाएंकित्ता सुन्दर लिखा आपने ...बधाई.
जवाब देंहटाएं____________
'पाखी की दुनिया' में 'वैशाखनंद सम्मान प्रतियोगिता में पाखी' !
अच्छा है! बहुत अच्छा है।
जवाब देंहटाएंफिर आऊँगा। कुछ कह नहीं पा रहा अभी…
veenaa ji, sundar bhavnaaon se saji sarthak kavita parhi. ek sher ban rahaahai aapke liye. samarpit hai, ki
जवाब देंहटाएंmaun bahut kuchh kahtaa hai..
arth vahee toh rahataa hai...
samjhdaar seedhaa-sadaa
sab kuchh bheetar sahataa hai.
bahut hi sundar likha hai aapne...
जवाब देंहटाएंyun hi likhte rahein..
aapko padhna achha laga...
regards
http://i555.blogspot.com/
idhar bhi aayein.......
यह गज़ब कह दिया है अरविन्द जी ने - सच में होगा ऐसा -
जवाब देंहटाएं"एक दिन हम लौटेगें सभी कविताओं का पुनश्चरण करते हुए और उनकी सात्विकता से जुड़ते हुए लिखेगें उनका भाष्य ! "
पूरी बात में टिकूँगा ’सात्विक अनुराग’ पर ! यही प्रेरणा बनेगा न इस अंतिम क्षण तक की प्रतीक्षा का ! अविकल..अथाह..अगाध प्रेम की प्रवहित राशि का !
बहुत सुन्दर लिखा है....
जवाब देंहटाएंमौन से मस्तिष्को को आराम मिलता है और इसका अर्थ है शरीर को आराम मिलना।
जवाब देंहटाएंअद्भुत ...मौन की महत्ता कमाल की है ....
जवाब देंहटाएंलेखनी की धनी ..... ढेरों आशीष
जवाब देंहटाएंअद्भुत रचना , निशब्द ।
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