गुरुवार, 15 सितंबर 2016

तब ही समझ तुम पाओगे.....

 पगतलियों के छालों को सहलाते
भींचे लबों से
जब कुछ गुनगुना पाओगे
अश्रु छिपे कितने

मुस्कुराती आँखों के सागर में
तब ही  समझ तुम पाओगे .....

रंग रूप यौवन चंचलता से
नजर चुरा कर
जब मिलने आ पाओगे
सौन्दर्य रूह का कितना उज्जवल
कितना पावन
तब ही समझ तुम पाओगे ....