शनिवार, 30 नवंबर 2013

लिख दिया उसने उसका नाम जिंदगी .....

लिख दिया उसने उसका नाम " जिंदगी " 
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ख़्वाबों में ही सही सुनहरे हर्फ़ से लिखे 
खूबसूरत
 अफसाने 
हकीकत
 की जमीन पर सर पटकते रहे !

समंदर की रेत पर
सीपियों से बनायेखूबसूरत चित्र 
लहरों
 की तानशाही पर भटकते रहे !

वह शरारती बच्चे की मानिंद 
भाग्य
 के इरेजर से 
कर्मों
 की हर तहरीर को झुठलाता 
उसका
 लिखा हर हर्फ़ मिटाता गया !

झुंझलाकर तोड़ दी 
उसने
 सारी कलमें 
बिखेर
 दी सब स्याही 
मिटा
 डाले सुन्दर चित्र
लो....खुद ही लिख लो ... 
जो
 लिखना है तुम्हे 
बना
 लो जो चित्र बनता है तुमसे ... 
बच्चे
 की शरारतों का जवाब क्या हो सकता था !!

रोककर सारी शैतानियाँकलम फंसा दी अँगुलियों में .... 
आँखों
 में झांककर मुस्कुराता
हाथ पकड़कर उसने 
लिख
वा दिया उससे उसका नाम जिंदगी 

वह मुस्कुरा उठी ....
बिखरे सारे रंगों को समेटा

जीवंत हो गए उसके बनाये चित्र
 रख दिया उसने उनका नाम  जिंदगी 

फिर उसने जब भी लिखा जिंदगी 
बन गया हर गीत उसका जिंदगी