बुधवार, 6 जुलाई 2011

मूर्खता जन्मजात नहीं होती .....

मूर्खता जन्मजात नहीं होती
नवजात शिशु भी कहाँ होता है मूर्ख
चीख कर दे देता है अपने आगमन की सूचना
माँ की गोद में ढूंढ लेता है
अपनी भूख -प्यास का इंतजाम ...
मचलता है ,जमा देता है लातें भी
बात पसंद ना आने पर!
प्रतिक्रियाएं बता देती हैं मन के भाव
अच्छा- बुरा कुछ नहीं छिपाता...
हंसने की बात पर हँसता है दिल खोल कर
रोने की बात पर रोता ही है
बुरा मानने की बात पर बुरा ही मान लेता है
ज़ाहिर कर देता है अपने भय भी उसी समान ...
बढती उम्र चढ़ा देती है परतें
नहीं रह पाता है वही जो वह है
और बदलती जाती हैं उसकी प्रतिक्रियाएं...
हंसने की बात पर डर जाना
रोने की बात पर हँस देना
डरने की बात पर हँसना ...
समझदार होने के क्रम में
प्रतिदिन मूर्खता की ओर बढ़ता है !
दरअसल
लोग मूर्ख नहीं होते
मूर्ख बन जाते है
मूर्ख बना दिए जाते हैं
या फिर
छलना छलनी ना कर दे
सिर्फ इसलिए ही
मूर्ख बने रहना चाह्ते हैं !