गुरुवार, 29 अगस्त 2019

कुछ अधूरा -सा....



रुकी हुई है कलम 
टिकी हुई कागज पर
कि कोई ऐसी बात कह दूँ
कोई सत्य ऐसा लिख दूँ
कि आसमान का पट सरक 
सहसा ही सतरंगी धूप निकल आये...
कि स्याह अँधेरी रात 
झटपट सितारों से जगमगा जाये...

उससे पहले लेकिन
कोई सत्य
कोई किरण 
दृश्य हो ले
जो कहीं किसी  सुनहरे या कि स्याह रैपर में 
अटकी पड़ी है....