गुरुवार, 18 जून 2020

गुड़िया की गोद में गुड़िया....


सफ़ेद झक चमकदार 
फ्रिल की फ्रॉक पहने
 एक बच्ची
 मेरे साथ चलती है हमेशा!
बीहड़ सी राह पर 
थक कर बैठने को होती हूँ
पकड़ कर साड़ी की पटलियां
झूले सी लटक जाती है !!
जैसे कि 
लोहे के गेट पर लूमते 
कितने हिंडोले खाये.

शीशे के पीछे जगमगाती
खिलौनों की दुनिया तक 
अँगुली पकड़े खींच ले जाती  है.
बेखौफ़ बेतकल्लुफ़ बतिया लेती है कभी 
कभी ठिठक कर छिप जाती है.

बेध्यानी में 
गुड़िया की गोद में 
लोरी सुनाती गुड़िया 
घर ले आती हूँ.

बच्चे ताली बजा कर खुश हो जाते हैं.
 माँ हमारे लिये गुड़िया लाई...