गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

तुम्हारी लीला तुम ही जानो !


षड़यंत्र करती राधा ,
गोपियों की चुगलखोरी
मीरा की जुगुप्सा ....
यशोदा की ममता में मिलावट
जो ना हो साबित ...
तो हैरानी क्या!
तुमसे कैसा शिकवा ,कान्हा ...

जानती हूँ ...
तिरछे नयनों से, भंवर पड़ते गालों से
मुस्कुरा कर कह दोगे
"सुनती ही नहीं थी
तुम्हे कैसे चेताता
कलियुग है ! "

तुम पर मेरा अमिट विश्वास
तुम्हारी लीला तुम ही जानो !

रविवार, 2 अक्तूबर 2011

गर्भ हत्या का अपराध बोध उतार लेते हैं, नवरात्र में कन्याओं के चरण धोकर !



कूड़े के ढेर पर दो नवजात बच्चियां
बचा ली गयी ...
चींटियों के ढेर ने निगल ली थी एक आँख जिसकी
बचा ली गयी ...
अखबार की एक खबर ही तो है कुछ लोगो के लिए !
लड़कियां मरती नहीं , कैसे भी बच जाती है !
इन फुसफुसाहटों के बीच कान पर हाथ रख चींखने को मन करता है !

लोंग कैसे भूल पते हैं इन ख़बरों को
कि कूड़ेदान में पाई गयी नवजात बच्ची की लाश...
थैलियों में लिपटे पड़े मिले टुकड़े- टुकड़े भ्रूण
जो यकीनन जन्म लेने वाली बेटियों के ही थे ...

डॉक्टरों की टीम से घिरे हुए भी
एक गर्भवती मर गयी अस्पताल में
चार महीने का गर्भ गिराते
या फिर कोख इस लायक ही ना रही कि
और बच्चियों को जन्म दे सके ...

भूल जाते हैं हम सब ...
अखबार की हेड लाईन्स का क्या
रोज बदलती हैं ...



कोई सिलसिला नहीं है अखबार की ताजा खबरों और
पौराणिक कथाओं के गुत्थम- गुत्था होने का
मगर मुझे याद आ जाती है ...

यशोदा माँ की दुधमुंही
जिसने अभी ठीक से आँखें नहीं खोली थी...

मुट्ठियाँ भींचे सिकुड़ी- सी
माँ के आँचल की गर्मी में कुनकुनाती...
सुलाकर अपने पुत्र को
उस पुत्री को
उठा ले गये वसुदेव ...

किसी के पुत्र की रक्षा के लिए
किसी की पुत्री का बलिदान आवश्यक था ....
सच बताना जो यशोदा का पुत्र होता
तब भी उसे ले जाना इतना आसान ही होता !!!
महामाया का अंश थी वह पुत्री
बच गयी जालिम कंस के हाथों ...
धिक्कारती , फुफकारती चेता गयी ...
तू मुझे क्या मारेगा , तुझे मारने वाला जन्म ले चुका है !

अब वह युग नहीं कि हर कन्या महामाया बन कर जन्म ले ...
और कहाँ कंस जैसे मामा का होना ज़रूरी है !
जब बन रहे हो स्वयं माँ- बाप ही हत्यारे !
मन ही मन कंस को माफ़ कर देने का मन होता है !
पुत्र के गर्वित माता -पिता
गर्भ हत्या का अपराध बोध उतार लेते हैं
नवरात्र में कन्याओं के  चरण   धोकर !
आज भी पुत्र के अस्तित्व की रक्षा के लिए
गर्भ में ही बेटियों का मर जाना तय है ....