गुरुवार, 15 सितंबर 2016

तब ही समझ तुम पाओगे.....

 पगतलियों के छालों को सहलाते
भींचे लबों से
जब कुछ गुनगुना पाओगे
अश्रु छिपे कितने

मुस्कुराती आँखों के सागर में
तब ही  समझ तुम पाओगे .....

रंग रूप यौवन चंचलता से
नजर चुरा कर
जब मिलने आ पाओगे
सौन्दर्य रूह का कितना उज्जवल
कितना पावन
तब ही समझ तुम पाओगे ....

14 टिप्‍पणियां:

  1. ज़िन्दगी के सत्य को समझना होता है
    दर्द की गहराइयों से गुजरना होता है ...

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  2. ज़िन्दगी के सत्य को समझना होता है
    दर्द की गहराइयों से गुजरना होता है ...

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  3. पगतलियों के छालों को सहलाते
    भिंचे लबों से
    जब कुछ गुनगुना पाओगे...

    वाह! सचमुच बहुत सुंदर!!

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  4. प्रेम में गहरे उतरकर ही उसे समझा जाता है
    बहुत सुन्दर

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-09-2016) को "अब ख़ुशी से खिलखिलाना आ गया है" (चर्चा अंक-2468) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. आपकी इस कविता ने एक उम्मीद पैदा कर दी है मेरे मन में कि ब्लॉग काल को दुबारा जीवित किया जा सकता है.
    इस कविता के विषय में... महान अंग्रेज़ी कवि शेल्ली ने कहा है कि हैं सबसे मधुर वो गीत जिन्हें हम दर्द के सुर में गाते हैं.. और शायर ने कहा "जिनके होठों पे हँसी, पाँव में छाले होंगे"... इनके बाद मेरे खाने को कहाँ बाकी रहता है कुछ!
    बहुत ही सुन्दर!

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  7. अप्रतिम सौंदर्य में डूब कर ही पावन प्रेम गुनगुना पाता है कोई ।
    पगतलियों के छालों को भी तभी सहला पाता है कोई ।

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  8. असल प्रेम तो मन का प्रेम है ... जो उसे ही देख के आता हिया प्रेम उसको ही समर्पित होता है ...

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  9. बहुत सुंदर रचना
    कम ही ऐसी रचनाएं पढने को मिलती हैं

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  10. सुन्दर शब्द रचना

    http://savanxxx.blogspot.in

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  11. बहुत खूब , मंगलकामनाएं आपको !

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