बहुत सुंदर..शून्य में ही तो अनंत समाया है..
आपने शून्यता को बहुत सुन्दर ढंग से परिभाषित किया है । मैं बहुत प्रभावित हुई ।
तुम मृदु - मानस के भाव और मैं मनोरंजनी - भाषा ।तुम नन्दन घन वन विहग और मैं सुख शीतल तरु शाखा ।तउ प्राण और मैं काया तुम शुद्ध सच्चिदानन्द ब्रह्म मैं मनोमोहिनी माया ।निराला
waah .....
वाह बहुत खूब
बहुत खूब, 6 लाइन में सारी भावनाएं, बहुत अच्छा लिखा है Hindi Shayari
यह आत्म विश्वास मुग्ध करता है।
शून्य ही है जो सभी संख्याओं का विस्तार करता है । गहन अभिव्यक्ति ।
अच्छी कविता |आभार
बहुत सुंदर..शून्य में ही तो अनंत समाया है..
जवाब देंहटाएंआपने शून्यता को बहुत सुन्दर ढंग से परिभाषित किया है । मैं बहुत प्रभावित हुई ।
हटाएंतुम मृदु - मानस के भाव और मैं मनोरंजनी - भाषा ।
जवाब देंहटाएंतुम नन्दन घन वन विहग और मैं सुख शीतल तरु शाखा ।
तउ प्राण और मैं काया तुम शुद्ध सच्चिदानन्द ब्रह्म
मैं मनोमोहिनी माया ।
निराला
waah .....
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, 6 लाइन में सारी भावनाएं, बहुत अच्छा लिखा है
जवाब देंहटाएंHindi Shayari
यह आत्म विश्वास मुग्ध करता है।
जवाब देंहटाएंशून्य ही है जो सभी संख्याओं का विस्तार करता है । गहन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता |आभार
जवाब देंहटाएं