माथे पर चढ़ गयी है त्योरियां
खून उतर आया है आंखों में
तमतमा गए है चेहरे कई
भींच गयी हैं मुट्ठियाँ
तीखी हो गयी है जबान की धार भी
सज गए है चाकू छुरियां
संभाल लिए है भाले बर्छियां
चढ़ गए कांधे पर तीर कमान
म्यान से निकल पड़ी है तलवारें
ढाल की आड़ लिए पहन लिए है बख्तरबंद
तेल पिला दी गयी हैं सभी लाठियाँ
दुनाली का रुख भी है अब इसी तरफ़
कहीं यादों की परतें खुलने लगी हैं
जख्मों की सीवन उधड़ने लगी है ......
यह तो रौद्र मुद्रा है राजस्थान के रण बाकुरों का -कोई नयी हल्दी घाटी की रणभेरी तो नहीं यह ?
जवाब देंहटाएंab to bas ye do dharmon ke beech hoti jung me hi hoa hai...kranti..bhool hi jao...
जवाब देंहटाएंhttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
गजब!
जवाब देंहटाएंअरे भाई ई कौन सी आर्मी है जो लाठी-डंडा , चाकू छुरी, भाला बरछी, तीर कमान, तलवार ढाल , दुनाली तमंचा सबसे लड़ती है.....
जवाब देंहटाएंकमाल है....कोई नया फ़ोर्स होगा....
हाँ नहीं तो...!!
Teekhi aur tez tarrar rachana!
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna
जवाब देंहटाएंbandhai aap ko is ke liye
ari bat haldi hati ki to mujhe nahi lagta hki ye haldi gati ka photo he
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com
म्यान से निकल पड़ी है तलवारें
जवाब देंहटाएंढाल की आड़ लिए पहन लिए है बख्तरबंद
तेल पिला दी गयी हैं सभी लाठियाँ
दुनाली का रुख भी है अब इसी तरफ़
baap re.... geet kaise gaun ? yahi to aalam hai aaj ka.....
abhivyakti achhi hai
कहीं यादों की परतें खुलने लगी हैं
जवाब देंहटाएंजख्मों की सीवन उधड़ने लगी है ......
सुन्दर पंक्तियाँ
मैं तो कुछ अलग ही देख रहा हूँ अभिव्यक्ति का तेवर !
जवाब देंहटाएंइस ब्लॉग पर कविताएं सज रही है क्रमशः ! अच्छा लग रहा है ! आभार ।