जा कर दिया आज़ाद तुझको दिल की गहराईओं से
ना माने तो पूछ लेना अपनी ही तन्हाईओं से
नहीं लायेगी बादे - सबा अब कोई पैगाम
ना करना कोई सवाल आती- जाती पुरवाईओं से
पीछे छोड़ आये कब के वो दरो -दीवार माज़ी की
चढ़ने लगे थे रंग जिनपर ज़माने की रुसवाईओं से
नजरे बचाए फिरते रहते थे उन गलियों चौबारों में
क्या अच्छा लगता था बचते फिरना अपनी ही परछाईओं से
टीसते हैं जख्म गहरे इस कदर बेवफाईओं के
भरते नहीं हैं अब किसी बावफा की भी लुनाईयों से
चित्र गूगल से साभार ...
ना माने तो पूछ लेना अपनी ही तन्हाईओं से
नहीं लायेगी बादे - सबा अब कोई पैगाम
ना करना कोई सवाल आती- जाती पुरवाईओं से
पीछे छोड़ आये कब के वो दरो -दीवार माज़ी की
चढ़ने लगे थे रंग जिनपर ज़माने की रुसवाईओं से
नजरे बचाए फिरते रहते थे उन गलियों चौबारों में
क्या अच्छा लगता था बचते फिरना अपनी ही परछाईओं से
टीसते हैं जख्म गहरे इस कदर बेवफाईओं के
भरते नहीं हैं अब किसी बावफा की भी लुनाईयों से
चित्र गूगल से साभार ...
जा कर दिया आज़ाद तुझको दिल की गहराईओं से
जवाब देंहटाएंना माने तो पूछ लेना अपनी ही तन्हाईओं से
बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar rachana!
जवाब देंहटाएंBAHUT KHUB
जवाब देंहटाएंBADHAI AAP KO IS KE LIYE
गहरे पैठना प्रेम का और उससे मुक्ति एकाकीपन की ...रचना का नाभिक विचार...बहुत बढ़िया...इसके बाद सब तुकांत सा और संभवतः इससे भी पहले कई बार कहा गया होगा !
जवाब देंहटाएंकृपया थोड़ा सा सुधार कीजियेगा ..."डरो दीवार" की जगह "दर-ओ-दीवार" बेहतर रहेगा ! आदर सहित !
अति सुंदर
जवाब देंहटाएंkavitaaon se rubru hona mujhe achha lagta hai
जवाब देंहटाएंinse kahna sunna achha lagta hai
ना करना कोई सवाल,आती जाती,पुरवाइयों से
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति...
उफ्फ्फ !!!! लाजवाब ,कमाल है !!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंटीसते हैं जख्म गहरे इस कदर बेवफाईओं के
भरते नहीं हैं अब किसी बावफा की भी लुनाईयों से
एक अच्छी नज्म के लिए बधाई ।
जवाब देंहटाएंwah kya baat hai????naaraazgi bhi aur itti jabardast.....
जवाब देंहटाएंbahut acchhe shabdo me dhala hai.
badhayi.
माफ़ी चाहती हूँ देर से आई हूँ कमेन्ट करने....
जवाब देंहटाएंइसे पढ़ कर यही कहने का दिल कर रहा है...
परछाइयों से बचना बचाना...दिल की गहराइयों में उतरना, और तनहाइयों से बतियाना ....ये सब क्या हो रहा है , मैडम जी ???
आप तो ऐसे न थे .....!!
हाँ नहीं तो...!
किन्तु बालिके.....प्रस्तुति उत्तम है...
लगी रहो कन्या ....साडे नाल रहोगे तो....चमत्कार हो जाएगा...
नज़रें बचाए फिरते थे .....गज़ब का शेर है....बहुत खूब...
जवाब देंहटाएं@ अदा जी ,
जवाब देंहटाएंबालिके , कन्या ...44 साल की ...??
:):)
मैं आपके ब्लॉग को लेकर थोड़ी कन्फ्यूज़ हूँ .....
जवाब देंहटाएंक्या आप वही वाणी दी हैं या कोई और ....अपना प्रोफाइल भी नहीं लिखा न तस्वीर ....?
कृपया अपना परिचय भी लिखें .....
अदा जी कि टिपण्णी तो यही बताती है कि आप वही हैं ....तो नए ब्लॉग से परिचित तो करवाना था ......?
अब रचना पर ......
जवाब देंहटाएंजा कर दिया आजाद तुझे दिल की गहराइयों से ,,,,,,
ओये होए .....कौन है वो ....?
कैसे तुम्हें जनता है ....??
दिल को पहचानता है ......???
ये नज़रें बचाने वाले भी बड़े दगाबाज़ होते है वाणी जी .....बच के रहिएगा .....
नज़्म तो दिल से लिखी लगती है ,,,,,कुछ रुसवाईयाँ हैं ....तन्हाईयाँ हैं ...बधाइयां .... जी बधाइयां .....!!
तकलीफ में जीते लोगों को अक्सर आनंद शब्द निरर्थक सा लगने लगता है !
जवाब देंहटाएं@ हरकीरत "हीर"
जवाब देंहटाएंजी हाँ ...मैं आपकी वही वाणी दीदी हूँ ...पिक नहीं लगाई ...इसका कारण मेल में बता चुकी हूँ ...
इसका लिंक मेरे ज्ञानवाणी ब्लॉग पर भी दिया है मैंने ..तुम्हे बताना भूल गयी ...हमका माफ़ी दई दो ...:):)
waah....achhi ghazal lagi .. :)
जवाब देंहटाएंबस लिखती जाइये ! देख रहा हूँ, इस ब्लॉग पर कविताओं की आमद..बहुरंगी कविताएं...गज़लें..नज़्में !
जवाब देंहटाएंइस प्रस्तुति का आभार ।
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 03 -05-2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....कल्पशून्य से अर्थवान हों शब्द हमारे .
बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल वाणीजी
जवाब देंहटाएंजा कर दिया आज़ाद तुझको दिल की गहराईओं से
जवाब देंहटाएंना माने तो पूछ लेना अपनी ही तन्हाईओं से
वाह ... बहुत खूब।
bahut hi badhiya gajal....
जवाब देंहटाएंwaah
जवाब देंहटाएंवाह..................
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गज़ल....
kitna sukoon kitani tadap ...........
जवाब देंहटाएंsundar man ki gahraiyon se likhi najm .
aaiye mere blog par svagat hae.
थोड़ी निराशा, थोडा सा आक्रोश झलक रहा है.पर प्रभावी बन पड़ी है रचना.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
हंगामा मच रहा हैं ख्यालों से तेरे ,
जवाब देंहटाएंतूने दबी जुबां में जाने कहा हैं क्या |
bahut sunder sher hain ....lajawaab ...!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंbehtarin sher hai jiski antim pankti aur bhi behtarin hai
जवाब देंहटाएंक्या अचचा लगता ता बचते फिरना अपनी ही परछाइयों से ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढिया ।
कभी समझ ना सका अभागे प्यार भरे उस बंधन को
जवाब देंहटाएंजा तुझको आज़ाद कर दिया अपने दिल के बंधन से