शनिवार, 20 अगस्त 2011

तुम्हारा पिता होना !




 प्रिय 
तुममे में जो मुझे सबसे प्रिय है
वह है
तुम्हारा पिता होना ...

सृष्टि का नियम
माँ के गर्भ में पलना
एक जीवन को
आकार में ढलते देखना
सींचा जिन्हें अपने रक्त से
अपने गर्भ में
जुड़े रहे गर्भनाल से ...
आश्रित रहे माँ की गोद में
ममता का उफान ही
करता काया का विस्तार
उनसे तन और मन का जुड़ जाना
विस्मित करता है
मगर फिर भी
प्राकृतिक ही तो है ...

मगर
गोद में दे दी गयी संतान को
यह बता भर देना कि तुम्हारी है
कितनी पुलक से भर देता है तुम्हे ...
जागते -सोते तुम उसके साथ
उँगलियाँ पकड़कर कर चलाना
पीठ पर सवारी कराना
नन्हे क़दमों की रुनझुन को
मुग्ध निहारते
छिले घुटने झाड़ते
उनकी छोटी सी उपलब्धि से
छलछलाते मोहित नयन
अपनी सीमा से बढ़ कर
हर ख्वाहिश पूरी करने की होड़ ...


सच में
विस्मित करता है मुझे
वह कौन सी अदृश्य डोर है
जो तुम्हे बांधती है
अपनी संतान से ...

मुग्ध नयनों में
दृष्टिगोचर होता है
उन्ही क्षणों में ...
उन मेघों के पीछे
चतुर्दिक दिव्य प्रकाश है
जिसका
वही दिनकर
हम सबका पिता !



चित्र गूगल से साभार !

49 टिप्‍पणियां:

  1. वह डोर दिखाई नहीं देती , बहुत सुंदर अहसास, क्या बात है , आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. एक पिता एक के हम बालक .....लेकिन हम कहाँ यह अहसास कर पाते हैं .......यह अदृश्य सत्ता और इसकी अद्भुत रचना ...इसका पार पाना आसान नहीं ...!

    जवाब देंहटाएं
  3. गोद म दे द गयी संतान को यह बता भर देना क तुहार है कतनी पुलक से भर देता है तुहे ...
    Bas aapsi viswaas hi to hai.
    Sundar panltiya badhai.

    जवाब देंहटाएं
  4. मुझे लगता है हर बाप अपने खोए हुए अतीत, अतृप्त इच्छाएं, मनोकामनाएं, अभिलाषाएं आदि को अपनी संतान के माध्यम से पूरा होते हुए देखता है, देखना चाहता है और उससे उस तरीक़े से जुड़ा रहता है जिस तरीक़े से आपने इस कविता में भाव व्यक्त किया है।

    जवाब देंहटाएं
  5. adrishya dor hi hai vishwaas ,pyaar ka pratik --- jahan ek yuva pita hote kartavyon kee misaal ban jata hai ...
    bahut hi gudh vyakhya ki hai

    जवाब देंहटाएं
  6. यही डोर ...यही अदृश्य विश्वास ही समाज को बांधे हुए है ......
    बहुत सटीक व्यक्ख्या ....

    जवाब देंहटाएं
  7. कोमल कविता, मन को द्रवित करती हुयी।

    जवाब देंहटाएं
  8. विश्वास की डोर से बंधा मन ... उत्कृष्ट रचना ... मन को बहुत भाई

    जवाब देंहटाएं
  9. कोमल भावो को बहुत खूबसूरती से पिरोया है…………अति सुन्दर्।

    जवाब देंहटाएं
  10. आज की आपकी कविता प्रतिक्रया से परे है.. यदि कहूँ कि इस कविता को (पुरुष)ह्रदय में स्थापित करना और इसके रस-भावों को मन में उतारना, समस्त अभिव्यक्तियों को आँखों में समेत कर ले आता है जहां अश्रु की भाषा ही प्रतिक्रिया बनाकर व्यक्त होती है!!

    जवाब देंहटाएं
  11. पुरुष को समझने की प्रक्रिया से गुजरती कविता... बहुत बढ़िया...

    जवाब देंहटाएं
  12. एक अद्रश्य डोर जो दिखाई नहीं देती पर जीवन संचार करती है ... बहुत सुन्दर शब्दों से पिरोया है ..

    जवाब देंहटाएं
  13. Bahut Sundar rachna.... Mata-Prem jagjahir hai.. magar Pita ki khubsoortiyon ka bilkul sahi chitran kiya hai aapne.. Aabhar...

    जवाब देंहटाएं
  14. बड़ी अच्छी लगी आपकी यह अभिव्यक्ति !
    यह जन्माष्टमी देश के लिए और आपको शुभ हो !

    जवाब देंहटाएं
  15. मन को छू गई आपकी ये रचना.....मां का प्यार तो जग जाहिर है लेकिन एक पिता के दिल की व्यथा आपने सुन्दर शब्दों में उजागर कर पूरा भाव अपनी कविता में समेट लिया है....

    जवाब देंहटाएं
  16. पिता के पात्र को समझने की कोशिश करती हुई कविता।
    गोगानवमी की शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  17. कोमल भावों से सजी सुन्दर अभिव्यक्ति मन को छूगई...

    जवाब देंहटाएं
  18. अपने अपने दिल के गहन प्रश्न को बड़े ही सजीव ढंग से प्रस्तुत किया है ! पुरुष जाति को सोंचने पर मजबूर करती होगी !

    जवाब देंहटाएं
  19. Hi I really liked your blog.

    I own a website. Which is a global platform for all the artists, whether they are poets, writers, or painters etc.
    We publish the best Content, under the writers name.
    I really liked the quality of your content. and we would love to publish your content as well. All of your content would be published under your name, so that you can get all the credit for the content. This is totally free of cost, and all the copy rights will remain with you. For better understanding,
    You can Check the Hindi Corner, literature, food street and editorial section of our website and the content shared by different writers and poets. Kindly Reply if you are intersted in it.

    http://www.catchmypost.com

    and kindly reply on mypost@catchmypost.com

    जवाब देंहटाएं
  20. बहुत सुंदर और हृदय को छूती हुई कविता... पिता और बच्चे का सम्बन्ध किसी भी तरह माँ और बच्चे से कम नहीं...सचमुच.

    जवाब देंहटाएं
  21. आपकी प्रस्तुति भावपूर्ण और मनमोहक है.
    ईश्वर को भी पहले माँ फिर पिता के अनुभव से ही पुकारा जाता है
    त्वमेव माता च पिता त्वमेव.

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

    जवाब देंहटाएं
  22. आत्मा वै जायते पुत्रः -पिता और संतति में तो तत त्वं असि का रिश्ता है! और यह रक्त /आत्मा का सब्म्न्ध है -सर्वोपरि है !

    जवाब देंहटाएं
  23. भावुक करती इस उत्कृष्ट रचना के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  24. नमस्कार जी,
    ये कविता बहुत पसंद आयी है,

    जवाब देंहटाएं
  25. एक स्वार्थ रहित छाते (पिता )का ,उसके भाव संवेगों ,आवेगों का इतना सुन्दर प्रतिबिम्ब जो न कभी देखा न सुना ,बेहतरीन पोस्ट .बधाई ..
    सोमवार, २९ अगस्त २०११
    क्या यही है संसद की सर्वोच्चता ?
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  26. सूरज को पिता का बिम्ब देकर सुंदर रचना की वाणी दी
    ये दिनकर हम सब का पिता ही तो है ....
    बहुत खूब ....

    जवाब देंहटाएं
  27. लाजवाब रचना !
    नारी के अनेक रूपों के बारे में तो बहुत लिखा पढ़ा गया है.....पुरुष के पित्र रूप का चित्रण पढ़कर अच्चा लगा....एक नया अनुभव ..

    जवाब देंहटाएं
  28. कविता का भाव बहुत अच्छा लगा । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  29. शांत गौरव को वाचा देती अद्भुत रचना.....

    पितृ दिवस पर ढेरों शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  30. पिता एक सशक्त स्तम्भ
    जो माँ के रूप को बच्चे के जीवन को मजबूती से एक अर्थ देता है
    ऐसे हर पिता के आगे मैं सर झुकाती हूँ अपने पिता के साथ

    जवाब देंहटाएं
  31. बेहद खूबसूरत सोच ...सच का समर्थन ...वाह बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. पुरानी पोस्ट है इस लिए इतने कमेंट्स देखने को मिल रहे हैं .....आज कल ही होती तो ....यहाँ भी सूखा दिखाई देता

      :)))))

      हटाएं
  32. नाज़ुक अहसासों को सहेजती संवारती मुग्ध हो निहारती सी बहुत मनमोहक प्रस्तुति ! पितृ दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  33. माता से पिता के अहसास अलग जरूर होते हैं लेकिन बच्चे दोनों से उतने ही जुड़े होते हैं . हाँ उसके स्वरूप अलग अलग होते हैं .
    गहरे अहसासों को शब्द दिए हैं .

    जवाब देंहटाएं
  34. जीवन को सम्बल देते राहों को रौशन करते पिता

    जवाब देंहटाएं
  35. विस्मित करता है मुझे
    वह कौन सी अदृश्य डोर है
    जो तुम्हे बांधती है
    अपनी संतान से ...
    ...वाह...अंतस को छूती बहुत भावपूर्ण लाज़वाब प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  36. "कौन सी अदृश्य डोर है
    जो बांधती है
    अपनी संतान से" ...बेहद सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  37. शानदार अभिव्यक्ति है ! मंगलकामनाएं आपको !

    जवाब देंहटाएं