बदलते मौसम पर
हैरान क्यों हो !!
नदी का पानी
सोख लेती है कड़ी धूप
बन जाते हैं बादल
बादल घुटेंगे तो
फटेंगे ही ...
प्यार , नफरत ,
ख़ुशी और भय
लौटा देती है
द्विगुणित कर ...
इसका गणित ऐसा ही है !
सरल ,अबोध ,
मासूम,नादान
फिर भी अगम्य ...
इसी का तो नाम है
जिंदगी !
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एहतियात जरुरी है
बोलने -बतियाने में
लौटा देती है वही
अनुपात में कुछ अधिक
तो हैरान क्यूँ।
बताया तो था
उसने अपना नाम
जिंदगी!
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मुंह मोड़ करहाथ छुड़ा कर
पीठ फेर ली
और चलते गये
नाक की सीध में
भूल गये थे कैसे...
दुनिया गोल है !
bahut hi sundar abhivyakti..
जवाब देंहटाएंगहन और चिंतन के बाद निकले ये स्वर ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा इन्हें पढ़ना ...और समझाना ..!!
शुभकामनायें...!
• यह कविता अपने समय को पड़ताल करती है।
जवाब देंहटाएंयह कविता अपने समय तथा समाज से मुटभेड़ करती प्रतीत होती है। बदलते समय की आहटों को आपने बहुत तीव्रता से सुनी है और कविता में दर्ज किया है। यह एक ऐसी संवेद्य कविता है जिसमें हमारे यथार्थ का मूक पक्ष भी बिना शोर-शराबे के कुछ कह कर पाठक को स्पंदित कर जाता है।
waah kyaa baat haen
जवाब देंहटाएंdil khush hogayaa
दुनिया गोल है,फेंकी चीजें वापस आ जाती हैं।
जवाब देंहटाएं@प्यार, नफ़रत, खुशी और भय लौटा देती है द्विगुणित कर।
जवाब देंहटाएंसार्थक चिंतन है, मिलता है उम्मीद से दूगना।
आभार
वाह ...बहुत खूब कहा है ।
जवाब देंहटाएंप्यार , नफरत ,
जवाब देंहटाएंख़ुशी और भय
लौटा देती है
द्विगुणित कर ...
इसका गणित ऐसा ही है !
सार्थक बात ... जो बांटोगे वही दुगना हो कर मिल जायेगा ...
और दुनिया गोल है .. कब तक नाक की सीध में चलेगा इंसान ..एक दिन उसी जगह खड़ा होगा जहाँ से चला था .. बहुत गहन चिंतन ...
बेहतरीन।
जवाब देंहटाएं------
कल 09/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
गहन चिन्तन की उपज है ……………शानदार रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ! हम जो भी देते हैं वही वापस मिलता है इसलिए तो कहते हैं प्यार बांटते चलो...
जवाब देंहटाएंbahut sundar jo denge wahi paayenge ...behtreen
जवाब देंहटाएंइस रचना को पढकर लगता है कि सारे वेद उपनिषद का सार इसमे समा गया है. बहुत बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
उम्दा सोच
जवाब देंहटाएंभावमय करते शब्दों के साथ गजब का लेखन ...आभार ।
इस छोटी सी कविता में सम्पूर्ण दर्शन समाया है!!
जवाब देंहटाएंsach kaha prakriti ka yahi hisab kitab hai.
जवाब देंहटाएंaur duniya to gol hai hi ji...chahe koi uske naarangi kahe par ham to gol hi kahenge ji.
बहुत सुन्दर...वाह!
जवाब देंहटाएंइसी का नाम है जिंदगी ......
जवाब देंहटाएंBahut sunder ji,
जवाब देंहटाएंbas wah-wah karne ko jee chahta hai.
बेहतरीन क्षणिकाएं....
जवाब देंहटाएंसादर...
दर्शन से भरी रचना,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
हम सब भूल जाते है की प्रथ्वी गोल है , अच्छी रचना बधाई
जवाब देंहटाएंप्यार , नफरत ,
जवाब देंहटाएंख़ुशी और भय
लौटा देती है
द्विगुणित कर ...
इसका गणित ऐसा ही है !
यही तो है जीवन का गुणा-भाग. बहुत सुन्दर रचना....
talaash yun hi chalti hai aur wapas wahin aati hai...
जवाब देंहटाएंhmmm... wakai...
जवाब देंहटाएंlife-cycle bhi to gol hi hai...
bahut khoob....
जवाब देंहटाएंजीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंसार्थक संवाद करती चलतीं हैं दोनों रचनाएँ .आभार .
जवाब देंहटाएंबुधवार, १० अगस्त २०११
http://veerubhai1947.blogspot.com/
सरकारी चिंता
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
Thursday, August 11, 2011
Music soothes anxiety, pain in cancer "पेशेंट्स "
सार्थक संवाद करती चलतीं हैं दोनों रचनाएँ .आभार .प्यार , नफरत ,
जवाब देंहटाएंख़ुशी और भय
लौटा देती है
द्विगुणित कर ...
इसका गणित ऐसा ही है !
बुधवार, १० अगस्त २०११
http://veerubhai1947.blogspot.com/
सरकारी चिंता
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
Thursday, August 11, 2011
Music soothes anxiety, pain in cancer "पेशेंट्स "
bahut sundar rachana .
जवाब देंहटाएंजिंदगी के गणित को कविता में उतर दिया है. उम्दा सोच को प्रतिपादित करती सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंwaah kahan kahan kis kis shabd ki tarif karuin waah,....
जवाब देंहटाएंजीवन के गणित को आसानी से सुलझाती रचना .. सरल शब्दों में गहरी बात ... लाजवाब ...
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