निकल कर नैनों से चुपचाप बही होगी कविता अनजान ...
सुमित्रा नंदन जी की ये पंक्तियाँ कविता निर्माण की प्रक्रिया की और इशारा करती हैं ...सूक्ष्म भावों की अनुभूति हीकविता है ...साहित्य की किसी अन्य विधा में मानव मन की अनुभूतियों को सीमित शब्दों में अभिव्यक्त नहीं कियाजा सकता ..इस अभिव्यक्ति के लिए जिस शब्द-सम्पदा की आवश्यकता है , उन शब्दों के खजाने की मालकिन हैं रश्मिप्रभा जी ...जैसा की वे खुद कहती हैं " अगर शब्दों की धनी मैं ना होती तो मेरा मन, मेरे विचार मेरे अन्दर दमतोड़ देते...मेरा मन जहाँ तक जाता है, मेरे शब्द उसके अभिव्यक्ति बन जाते हैं, यकीनन, ये शब्द ही मेरा सुकूनहैं."...और ये शब्दों की संपदा उन्हें विरासत में मिली है ...इनकी माताजी श्रीमती सरस्वती प्रसाद स्वयं ख्यातनामकवयित्री है ,वटवृक्ष जैसे उनके व्यक्तित्व की छाँव में रश्मि प्रभा जी जैसे कवयित्री का जन्म अनहोना सा नहीं है ...
रश्मि प्रभा जी के पास अथाह शब्दों की पोटली है , जिसे खोल कर कविताओं के रूप में लुटाये जा रही है । इनकी रचनाओं में काव्य के विविध आयाम दृष्टिगोचर होते हैं। एक और जहाँ प्रकृति प्रदत्त नारीत्व और मातृत्वस्वाभाविक रूप से कविताओं
मानव और ईश्वर के बीच एक अदृश्य अनंत सीमा तक खिंची गयी प्रेम की डोर ही है जो इन्हें आपस में जोडती है ,यही प्रेम भक्ति में विकसित होता है । धार्मिक अनुभूति का द्वैत भी इनकी कविताओं में बार -बार दृष्टिगोचर होता है।कृष्ण- राधा के अनन्य प्रेम को इनकी कविताओं में भरपूर स्थान मिला है। इनकी कविताओं में विरह अग्निकुंड केदाह की तरह नहीं , बल्कि उपासना पूर्ण प्रेम की तरह अभिव्यक्त होता है .
कविताओं का आदर्शवाद कोरा सैद्धांतिक नहीं बल्कि मानवीय यथार्थ के धरातल पर टिका है । वे सिद्धार्थ को भी बता देती हैं यशोधरा के हुए बिना उनका बुद्ध बनना संभव नहीं था . मानिनी राधा युगों तक कृष्ण की प्रतीक्षा करेगी मगर स्वाभिमान गिरवी नहीं रखेगी ।
मुझसे मिले बगैर कृष्ण की यात्रा अधूरी होगी'
सोचकर आँखें मूंद लीं
प्रतीक्षा के पल पलकों का कम्पन बन गए
प्रेममई राधा कैसे विश्वास तजती
वहीँ रूठकर यह भी कहेगी ...
तुम मुझसे ही गीत क्यों सुनना चाहते हो , परमात्मा ने तुम्हे भी तो दी थी गीतों की पिटारी
कविताओं की सकारात्मकता थके सहमे क़दमों को गिरकर संभलने का भरपूर हौसला और प्रेरणा देती है। जीवनके प्रति शोधपूर्ण दृष्टि रखते हुए उम्मीद के सितारे हमेशा रौशन है यहाँ । संस्कारों की थाती संभाले भी धमकियाँदेने से गुरेज नहीं है ।
वहीँ रूठकर यह भी कहेगी ...
तुम मुझसे ही गीत क्यों सुनना चाहते हो , परमात्मा ने तुम्हे भी तो दी थी गीतों की पिटारी
कविताओं की सकारात्मकता थके सहमे क़दमों को गिरकर संभलने का भरपूर हौसला और प्रेरणा देती है। जीवनके प्रति शोधपूर्ण दृष्टि रखते हुए उम्मीद के सितारे हमेशा रौशन है यहाँ । संस्कारों की थाती संभाले भी धमकियाँदेने से गुरेज नहीं है ।
अति सहनशीलता मन की कायरता है , उम्मीद का दामन थामे टूटी गुडिया के सिंड्रेला बनने की कहानी और किसीभी निराशाजनक पल में विश्वास और मुस्कान का दामन ना छिटकने देने का आत्मविश्वास
कविताओं की जीवनदायी शक्ति और प्रेरणा .के साथपौराणिक पात्र भी इनकी कविताओं में स्थान पाते रहे हैं . दोमहारथी , एकलव्य काअंगूठा , दानवीर कर्ण , हरी का जन्म , सीता माता का अपमान ऐसी ही कवितायेँ हैं .
कविताओं की जीवनदायी शक्ति और प्रेरणा .के साथपौराणिक पात्र भी इनकी कविताओं में स्थान पाते रहे हैं . दोमहारथी , एकलव्य काअंगूठा , दानवीर कर्ण , हरी का जन्म , सीता माता का अपमान ऐसी ही कवितायेँ हैं .
कृष्ण के मानवीय या आध्यात्मिक ,दोनों ही चरित्रों पर उन्होंने घनघोर लिखा है .
कृष्ण के जीवन में राधा थी तो रुक्मिणी क्यों हुई , तर्कवादियों को यह कहते हुए कि अतिरिक्त समझ कर क्या होगा चुप कर देती हैं . वास्तव में आध्यात्मिक प्रेम और समर्पण तर्क की विषयवस्तु है ही नहीं . इनकी एक- एक रचना मिलकर अनमोल मोतियों की लड़ी बन गयी है . चयन करना हो तो सोचना पड़ता है , किसे पकडे , किसे छोड़े ! ऐसा ही है इनका रहस्यमय एवं आध्यात्मिक काव्य संसार !
गुरुजनों को सादर प्रणाम ||
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति पर
हार्दिक बधाई ||
रश्मि जी के काव्य संसार को बहुत सूक्ष्मता से आँका है ... बधाई सुन्दर विश्लेषण के लिए .
जवाब देंहटाएंचित्रित मैं , तू रेखाक्रम ..... ' कुछ ऐसी ही स्थिति में मैं आपके शब्दों के आईने में खुद को देख रही हूँ , आँखें नम हैं , चेहरे पर हल्की स्मित रेखा और बड़ों के आशीर्वचन से सजी मेरी आत्मा .... कह रही हैं आपसे -
जवाब देंहटाएं'ले चल मुझे भुलावा देकर
मेरे नाविक धीरे धीरे '
आदरणीय रश्मि जी के लिये आपकी लेखनी ने बिल्कुल सच ही कहा है .. और इस लेखन के लिये आपका आभार ।
जवाब देंहटाएंवाणी जी
जवाब देंहटाएंआपने जो रश्मि जी के लिया कहा अक्षरक्ष: सही है…………बहुत सुन्दर और सूक्ष्म विश्लेषण किया है………आभार्।
अध्यापकदिन पर सभी, गुरुवर करें विचार।
जवाब देंहटाएंबन्द करें अपने यहाँ, ट्यूशन का व्यापार।।
छात्र और शिक्षक अगर, सुधर जाएँगे आज।
तो फिर से हो जाएगा, उन्नत देश-समाज।।
--
अध्यापक दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
वाह! बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंएक अप्रतिम रचनाकार से परिचय कराने (वैसे यह नाम परिचय का मोहताज नहीं) के लिए आभार आपका.. रश्मिप्रभा जी की विद्वता और आपका वर्णन ऐसा लगता है "जैसे मिलकर आम से मीठी हो गयी धूप!"
जवाब देंहटाएंरश्मि प्रभा जी को नियमित पढ़ना होता है। सुन्दर आलेख।
जवाब देंहटाएंरश्मि प्रभा जी की कविताओं का मुरीद कौन नहीं है.सुन्दर विश्लेषण किया है.बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंआदरणीया रश्मि जी के बिना शायद हिन्दी ब्लॉग जगत अधूरा है। वो चमकता हुआ एक ऐसा नगीना हैं जिसकी चमक सब को अपनी ओर खींचती है,जिनका उनका आशीर्वाद और स्नेह हर नये और स्थापित ब्लॉगर के लिये मनोबल बढ़ाने वाला होता है।
जवाब देंहटाएंयहाँ उनके बारे मे इतना कुछ पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर
सटीक और शानदार प्रस्तुति , आभार
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें .
बहुत सुंदर प्रस्तुति वाणी जी ...शब्दों की सम्पदा के साथ साथ ...अहुयामी काव्य की धनी हैं रश्मि दी ...इनके काव्य से जिजीविषा की विकीर्ण रश्मियाँ दृष्टिगोचर होतीं हैं...बधाई आपको इस लेख के लिए ...
जवाब देंहटाएंरश्मि जी की रचनाएं अपना गहरा असर छोड़तीं हैं....शुभकामनायें आप दोनों को !
जवाब देंहटाएंआदरणीय रश्मि जी के लिये आपकी लेखनी ने बिल्कुल सच ही कहा है......शुभकामनायें आप दोनों को !
जवाब देंहटाएंरश्मि जी के बारे में सूक्ष्म विश्लेशण ....सुन्दर प्रस्तुति.......
जवाब देंहटाएंरश्मि जी के पास शब्दों का खजाना है.....संवेदनाओं का सागर है.....और भावनाओं की उदाम लहरें हैं...इन सबसे निथर कर जो उपजता है....वह एक अमूल्य धरोहर की तरह है...
जवाब देंहटाएंउनकी रचनाएं एक अलग ही दुनिया में ले जाती हैं...
रश्मि जी को पढ़ते आये हैं..पढ़ाते आये हैं...आपने बहुत बेहतरीन विश्लेषण किया है...आभार.
जवाब देंहटाएंरश्मि जी की वाणी और लेखनी दोनों जादू सा काम करते हैं .. भावों को सूक्षमता से पकड़ने की कला में माहिर हैं वो ... सुन्दर समीक्षा है उनके काव्य की ....
जवाब देंहटाएंरश्मि जी की रचनाओं से आपने बहुत ही सुक्ष्मता से अवगत करवाया, बहुत आभार आपका.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सत्य वचन :)
जवाब देंहटाएंRashmi jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
जवाब देंहटाएंआप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
BINDAAS_BAATEN कृपया यहाँ चटका लगाये
MITRA-MADHUR कृपया यहाँ चटका लगाये
सुन्दर लेखन और आलेख
जवाब देंहटाएंमैंने भी रश्मि जी की कवितायेँ पढ़ी हैं....बिलकुल छूती हुई दिल को ! परिचय के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंहां...उनके पास खजाना अधिक हो गया है। मेरी भी नज़र अटकी है उस पर।
जवाब देंहटाएंहाँ खज़ाना है.. बस लूटने वालों की कमी है उस गहन खजाने को..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति की है इस खान की..
आभार
तेरे-मेरे बीच पर आपके विचारों का इंतज़ार है...
रश्मि जी के रचनाओं से उनका व्यक्तित्व झलकता है ... और उनकी रचनाओं में झलकता उनका व्यक्तित्व से प्रभावित होकर मैंने उनको दीदी मान लिया है ...
जवाब देंहटाएंजो जीवन न देखा हो वो कविता कैसे कर पायेगा ... रश्मि दीदी के जीवन में आये संघर्ष और उनके मन में उठते एहसासों का दर्पण है उनकी रचनाएँ ...
दिल से लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा रश्मि जी के बारे में जानना।
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मनुष्य के लिए खतरा।
...खींच लो जुबान उसकी।
आपको मेरी तरफ से नवरात्री की ढेरों शुभकामनाएं.. माता सबों को खुश और आबाद रखे..
जवाब देंहटाएंजय माता दी..
आपको नवरात्रि की ढेरों शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत ! शानदार प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
रश्मि जी के काव्य संसार का सफर बहुत ही सुहाना लगा
जवाब देंहटाएंआप भी मेरे फेसबुक ब्लाग के मेंबर जरुर बने
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वाह वाणी जी ! रश्मि प्रभा जी के रचना संसार की कितनी खूबसूरती से सैर करा दी आपने ! आप जैसा गाइड और कहाँ मिलेगा जो इमारत के अद्भुत स्थापत्य को ही नहीं सराहता उसमें लगी हर ईंट की कहानी भी सुना देता है वह भी इतनी सरसता से ! आप दोनों के तो हम दिल से मुरीद हैं ! हार्दिक अभिनन्दन रश्मि प्रभा जी का भी और आपका भी !
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