मिचमिचाती अधमुंदी पलकों में
सपनीले मोती जगमगाए
मेरी सूनी गोद भर आई
जब यह नन्ही कली मुस्कुराई
मैं अकिंचन, हुई वसुंधरा ...
ब्रह्माण्ड मेरी गोद में समाया
रीता था जीवन कलश
लबालब भर छलक आया
थपेड़े गर्म हवाओं के
शीतल हो गए
लगा उसे सीने से अपने
मैं पूर्ण हुई ...सम्पूर्ण हुई
कभी अंगुली थामे
कभी गिरते -पड़ते ...
पकड़ आँचल की कोर
उठ खड़ी होती बार- बार
ठुमक चलती मेरे आँगन में
मुट्ठियों में भर लाती
रेत जैसे कारू का खजाना
खुद खाती मुझे खिलाती
भूख प्यास बिसरी सब मेरी
आजीवन मैं तृप्त हुई
मैं पूर्ण हुई ...सम्पूर्ण हुई
खेलती कभी आँख मिचौली
कभी भाग गोद में छिप जाती
कभी लिटाती गोद में अपने
मां मैं तेरे बाल बनाऊं
कंघी उलझाती बालों में
उलझी लटों को सुलझाने में
मैं सब अपनी उलझन भूली
खिली मेरे बगिया में कली
भर गया मेरा अधूरापन
अब कोई सपना अपना नहीं
थमा उसे सपनों की पोटली
निश्चिंत हुई ...
मैं पूर्ण हुई
सम्पूर्ण हुई....
कुछ अनगढ़े से मगर भावपूर्ण शब्द ....
चित्र गूगल से साभार ...
सपनीले मोती जगमगाए
मेरी सूनी गोद भर आई
जब यह नन्ही कली मुस्कुराई
मैं अकिंचन, हुई वसुंधरा ...
ब्रह्माण्ड मेरी गोद में समाया
रीता था जीवन कलश
लबालब भर छलक आया
थपेड़े गर्म हवाओं के
शीतल हो गए
लगा उसे सीने से अपने
मैं पूर्ण हुई ...सम्पूर्ण हुई
कभी अंगुली थामे
कभी गिरते -पड़ते ...
पकड़ आँचल की कोर
उठ खड़ी होती बार- बार
ठुमक चलती मेरे आँगन में
मुट्ठियों में भर लाती
रेत जैसे कारू का खजाना
खुद खाती मुझे खिलाती
भूख प्यास बिसरी सब मेरी
आजीवन मैं तृप्त हुई
मैं पूर्ण हुई ...सम्पूर्ण हुई
खेलती कभी आँख मिचौली
कभी भाग गोद में छिप जाती
कभी लिटाती गोद में अपने
मां मैं तेरे बाल बनाऊं
कंघी उलझाती बालों में
उलझी लटों को सुलझाने में
मैं सब अपनी उलझन भूली
खिली मेरे बगिया में कली
भर गया मेरा अधूरापन
अब कोई सपना अपना नहीं
थमा उसे सपनों की पोटली
निश्चिंत हुई ...
मैं पूर्ण हुई
सम्पूर्ण हुई....
कुछ अनगढ़े से मगर भावपूर्ण शब्द ....
चित्र गूगल से साभार ...
ब्रह्माण्ड मेरी गोद में समाया
जवाब देंहटाएंरीता था जीवन कलश
लबालब भर छलक आया
थपेड़े गर्म हवाओं के
शीतल हो गए
लगा उसे सीने से अपने
मैं पूर्ण हुई ...सम्पूर्ण हुई
यही तो है सम्पूर्णता ....
अतिसुन्दर भावाव्यक्ति
जवाब देंहटाएंस्त्री की सम्पूर्णता माँ बनने पर ही तो होती है!
जवाब देंहटाएं--
बहुत ही सुन्दर रचना!
मोहक रचना !
जवाब देंहटाएंममता के भाव पूर्ण विचार ,बहुत सुंदर है |
जवाब देंहटाएंभगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें! गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना!
मुट्ठियों में भर लाती
जवाब देंहटाएंरेत जैसे कारू का खजाना
खुद खाती मुझे खिलाती
भूख प्यास बिसरी सब मेरी
आजीवन मैं तृप्त हुई
मैं पूर्ण हुई ...सम्पूर्ण हुई
ममतामयी एक भावुक रचना...
regards
आप काफी दिन बाद आई हैं नई रचना लेकर ! ममत्व से सम्पूर्णता का बोध अनूठा लगा ! संभवतः हर बार ऐसा ही ममत्व अपनी नश्वरता के बावजूद ब्रम्हांड में जीवन को निरंतरता या यूं कहिये कि किश्तों में ही सही अमरत्व देता है !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अनुभूति।
जवाब देंहटाएंbahut sundar lagi yah rachna maa ka rup hi aesa hota hai
जवाब देंहटाएंममतामयी सम्पूर्ण कविता .
जवाब देंहटाएंममता से भरी ... बहुत ही अंतर्मन तक उतरने वाली रचना ........
जवाब देंहटाएंKya tarif karun ek Man ki mamta ki,
जवाब देंहटाएंuske pyar ke aage puri duniya natmastak ho jati hai.
sampurnta ka ahsaas itne pyare dhang se batane ke liye shukriya.......:)
जवाब देंहटाएंek shandaar rachna!!
वात्सल्य की परिपूर्णता
जवाब देंहटाएंममता से ओत प्रोत रचना...कुछ ऐसे ही भाव लिए ये शेर याद आ गया...
जवाब देंहटाएं"मैं शाख से घना वृक्ष हुई,
जब मेरे बच्चे ने मुझे माँ कहा "
बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 14 - 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
जवाब देंहटाएंकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
एक माँ के ममत्व की तारीफ ईश्वर नहीं कर पायेंगे...हम कहाँ से करेंगे ..!
जवाब देंहटाएंइस भावना के दर्शन करा दिए...आभार..
जीबन का सबसे मधुर सब्द और सबसे प्यारा रिस्ता पर बहुत कोमल रचना!!!
जवाब देंहटाएंअद्भुत भाव प्रकटन।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंहिन्दी के प्रचार, प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है. हिन्दी दिवस पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद!!
मन को छूते भाव |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत ही सुन्दर रचना........
जवाब देंहटाएंममता से भरी !!!
उलझी लटों को सुलझाने में
मैं सब अपनी उलझन भूली.........
हिन्दी दिवस पर आपको बहुत-बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंhttp://sudhirraghav.blogspot.com/
ममता के भाव पूर्ण बहुत ही सुन्दर रचना........
जवाब देंहटाएंममता से भरी....बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुदर वातसल्याभावपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंमाँ की स्नेहानुभूति से सराबोर इस रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंशायद ही ममत्व पर किसी ने इतनी अच्छी कविता लिखी हो ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर......!!
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंयहाँ भी पधारें :-
अकेला कलम...
ब्रह्माण्ड मेरी गोद में समाया
जवाब देंहटाएंरीता था जीवन कलश
लबालब भर छलक आया
थपेड़े गर्म हवाओं के
शीतल हो गए
लगा उसे सीने से अपने
मैं पूर्ण हुई ...सम्पूर्ण हुई
अत्यंत सुदर वातसल्याभाव से लबालब सराबोर रचना बधाई
ये पूर्णता शायद बेटी की माँ को ही मिलती है क्योंकि वह माँ के गिर्द घूमती हुई वह जीव है जिसमें सारी सृष्टि समाई होती है.
जवाब देंहटाएं--
एक कृति जो सम्पूर्णता प्रदान करती है नारी को , उसे व्यक्त करने के लिए एक कृति...कोमल अनुभूति...अभिभूत हूँ, क्योंकि मैं भी माँ हूँ......
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं....
jitnee sunder anubhuti utanee hee sunder abhivykti .
जवाब देंहटाएंaabhar
ब्रह्माण्ड मेरी गोद में समाया
जवाब देंहटाएंरीता था जीवन कलश
लबालब भर छलक आया
ममता ,वात्सल्य का सुन्दर चित्रण। एक नारी के लिये ये सब से बडी उपलब्धि होती है। बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें।
उत्कृष्ट ।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट ।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट ।
जवाब देंहटाएंमातृत्व को समर्पित संपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंसुख और संतोष से भरी-भरी सी कविता. बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंआज इतनी देरी से कमेन्ट देने के लिए माफ़ी ही मांग सकती हूँ..क्युकी ये बताना मगर जरुरी ससंझ्ती हूँ की ये आपकी रचना तो मैं बहुत दिन पहले ही पढ़ चुकी हूँ...समझती थी की कमेन्ट दे चुकी हूँ..पर आज चेक किया नयी पोस्ट पढ़ने के चकार में तो पता चला की मैं तो यहाँ हूँ ही नहीं..सोरी . कविता बहुत बहुत अच्छी है...आज दुबारा ना पढ़ कर भी ऐसा लग रहा है की कल ही पढ़ी हो...मतलब अभी तक मुझे इसके भाव याद हैं.
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुदर वातसल्याभाव से लबालब सराबोर रचना बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर शब्दों से सजी यह अभिव्यक्ति,
जवाब देंहटाएंपूर्ण रूप से भावमय कर गई ।
माँ की ममता, बेटी के लिए प्यार, दुलार सब अभिव्यक्त हुआ है इस कविता में। इस कोमल एहसास को पढ़कर मुग्ध हुआ!
जवाब देंहटाएंमाँ की ममता, बेटी के लिए प्यार, दुलार सब अभिव्यक्त हुआ है इस कविता में। इस कोमल एहसास को पढ़कर मुग्ध हुआ!
जवाब देंहटाएंbhavpurn sundar geet...
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर शब्द
जवाब देंहटाएंमाँ की ममता मयी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएं