स्त्रियाँ रचती हैं सिर्फ़ गीत
होती हैं भावुक
नही रखती कदम
यथार्थ के कठोर धरातल पर
ख्वाबों सा ही होता है
उनका जहाँ
सच कहते हो
स्त्रियाँ ऐसी ही होती है
पर
स्त्रियाँ ऐसी भी भी होती हैं
बस तुमने ही नहीं जाना है
उनका होना जैसे
खुशबू ,हवा और धूप
मन आँगन की महीन- सी झिरी से भी
छन कर छन से आ जाती हैं
सुवासित करती हैं घर आँगन
बुहार देती हैं कलेश , कपट , झूठ
सर्दी की कुनकुनी धूप सी
पाती हैं विशाल आँगन में विस्तार
आती हैं लेकर प्रेमिल ऊष्मा का त्यौहार
रचती हैं स्नेहिल स्वप्निल संसार
पहनाती बाँहों का हार छेड़ती जैसे वीणा के तार
क्या नहीं जाना तुमने
स्त्रियों का होना
माँ , बहन , बेटी , प्रेयसी
अनवरत श्रम से
मानसिक थकन से
लौटे पथिक को
झुलसते क्लांत तन को
विश्रांत मन को देती हैं
आँचल की शीतलता का उपहार
क्या कहा ...
नही जाना तुमने
होना उनका जैसे
खुशबू , हवा और धूप
जानते भी कैसे...
हथेली तुम्हारी तो बंद थी
पुरुषोचित दर्प से
तो फिर
मुट्ठी में कब कैद हुई है
खुशबू , हवा और धूप.....
स्त्रियाँ होती हैं ऐसी भी......क्रमशः
चित्र गूगल से साभार ...
*****************************************************************************चित्र गूगल से साभार ...
स्त्रियां होती हैं खुशबू, हवा और धूप! वाह! अच्छा है।
जवाब देंहटाएंसूक्ष्म पर बेहद प्रभावशाली कविता...सुंदर अभिव्यक्ति..प्रस्तुति के लिए आभार जी
जवाब देंहटाएंबहुत अर्थपूर्ण. सुंदर!
जवाब देंहटाएंAdarniya
जवाब देंहटाएंVani ...didi
आप बहुत सुंदर लिखती हैं. भाव मन से उपजे मगर ये खूबसूरत बिम्ब सिर्फ आपके खजाने में ही हैं....
बहुत ही सुन्दर रचना, कोमल नारीमना पर।
जवाब देंहटाएंखुशबू, हवा और धूप....मधुरिम..:)
जवाब देंहटाएंनारियां ऐसी भी होती हैं ,वैसी भी होती हैं -कौन जान पाया ये वास्तव में कैसी होती हैं -
जवाब देंहटाएंलिखा अच्छा है !
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंएक नया भाव और आयाम दिया है आपने नारी भावनाओं को……………दिल को छूती बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा है आपने.......
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव..... आगे के प्रस्तुतिकरण की प्रतीक्षा रहेगी.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं...
सच! स्त्रिया ऐसे ही होती है |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना |
आपकी इस सुन्दर कविता को पढ़कर मुझे हमारे एक पारिवारिक मित्र श्री डांगी की रचित कविता की कुछ लाइने याद आ गई |
स्त्रियाँ अच्छी होती है
ऊन की लच्छी होती है |
कोमल सी
उलझी सी ऊन की लच्छी
होती है -----
आज सुबह सुबह मन खुश हो गया स्त्रीमयी पोस्ट से :)
जवाब देंहटाएंनया आयाम लिए बहुत ही सुंदर रचना....कोई शब्द नहीं
जवाब देंहटाएंstriyaan aur unke vibhinn roop, unki anant visheshtayen ... satya ko sahi frame diya
जवाब देंहटाएंBehad sundar rachana..mujhe apni ek rachanake alfaaz yaad aaye..." mutthee me band kar le, Mai wo khushbu nahi..."
जवाब देंहटाएंअद्भुत अन्दाज है
जवाब देंहटाएंसच स्त्रियाँ तो ऐसी ही होती हैं
जानते भी कैसे ...मुट्ठी तो बंद थी ....बहुत खूबसूरती से लिखे हैं एक नारी के मन के भाव ..सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंतो फिर
जवाब देंहटाएंमुट्ठी में कब कैद हुई है
खुशबू , हवा और धूप.....
कितना सुन्दर सवाल किया है...बहुत ही अच्छी लगी ये प्यारी सी कोमल सी कविता
दी... आज की रचना तो दिल को छू गई,.....
जवाब देंहटाएंदो बातें कहूंगा।
जवाब देंहटाएं१. डॉ. राम कुमार वर्मा ने कहा था, "स्त्री के हृदय में करुणा अमृत बनकर बहा करती है।"
२. स्मृति में कहा गया है, "जिस घर में स्त्रियों की पूजा होती है उस घर में देवता रमते हैं।"
नक्षत्र आकाश की कविता हं, तो स्त्रियां पृथ्वी की संगीत माधुरी। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
आभार, आंच पर विशेष प्रस्तुति, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पधारिए!
अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
एक ही सिक्के का दो पहलू कहें कि एक ही पहलू है दोनों...सिक्के पर छप जाए तो मलिका का मोहर वाला सिक्का बन जाती है...बहुत सुंदर!!
जवाब देंहटाएंधूप इसलिये कि उसकी ऊर्जा से पुष्ट होता है तन , खुशबू यूं कि उसके बिन संस्कार महकते कैसे और हवा इस तरह कि जिंदगी बहती रहती है उसकी वज़ह से ! कविता के ख्याल से पूर्णतः सहमत !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब परिभाषित किया आपने वाणी जी
जवाब देंहटाएंसुंदर विश्लेषण ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर एवं भावमय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुतसुंदर प्रस्तुति |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
wonderfully expressed...touching the chords so emphatically!
जवाब देंहटाएंsubhkamnayen.....
क्या नहीं जाना तुमने
जवाब देंहटाएंस्त्रियों का होना
माँ , बहन , बेटी , प्रेयसी
क्या कहा ...
नही जाना तुमने
होना उनका जैसे
खुशबू , हवा और धूप
ऐसे भी कविता पूरी है..आपकी कविता हर तरह से पूर्ण है - स्त्रीयों पर एक बहुत सुन्दर रचना
जानते भी कैसे...
जवाब देंहटाएंहथेली तुम्हारी तो बंद थी
पुरुषोचित दर्प से
तो फिर
मुट्ठी में कब कैद हुई है
खुशबू , हवा और धूप.....
ये पंक्तियाँ दिल को छु गयीं हैं
पुरुषों के एक बड़े वर्ग को सन्देश देती सी लगती है ये कविता
आभार :)
और हाँ फोटो भी बहुत सुन्दर लगा :)
जवाब देंहटाएंनि:संदेह आपकी अभिव्यक्ति हर लिहाज से काबिल-ए-दाद है
जवाब देंहटाएंऔर दाद हाज़िर है क़ुबूल करें
मुट्ठी में कब कैद हुई है
जवाब देंहटाएंखुशबू , हवा और धूप....
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ
बहुत सुन्दर, सरल, सच्ची कविता!
जवाब देंहटाएंस्त्रियाँ ऐसी ही होती है
जवाब देंहटाएं........ aaj jaan paya...!! bahut khubsurat!