मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

प्रेम में सब जायज़ है ....

रोज एक झूठ
कितने बहाने
विजयी मुस्कान
असत्य के हिंडोले में
झूलते कई बार
तड से ताड़ लेती हैं
आँखें मन की
मन की बातें !
दन से मुस्कुरा देती है...
इस अमृतमयी मुस्कान को ही तो
पिया जाता है हर रोज
गरल असत्य का ...

बुद्धू बनाया!
बुद्धू कही का!
दो चेहरे
आमने -सामने
मुस्कुराते हैं
एक दूसरे के लिए ही!
हर असत्य से बढ़कर
सत्य यही है ...

53 टिप्‍पणियां:

  1. सत्य और असत्य के बीच का प्रेम या फिर प्रेम के बीच में सत्य और असत्य !

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  2. @ या फिर प्रेम में सत्य क्या ,असत्य क्या !!

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  3. बहुत अच्छी लगी आपकी यह प्रस्तुति.
    आनेवाले नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

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  4. कई बार बहानों में ज़िन्दगी गुजर जाती है , पर मन सत्य जानता है - पर वह भी बहानों की चादर ओढ़ लेता है ...प्रेम हो तब बहाने भी सच्चे लगते हैं

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  5. बहार हो कि खिज़ां मुस्कुराए जाते हैं,
    हयात हम तेरा एहसाँ उठाए जाते हैं |
    सुलगती रेत हो बारिश हो या हवाएं हों,
    ये बच्चे फिर भ़ी घरौंदे बनाए जाते हैं |
    ये एहतमाम मुहब्बत है या कोई साज़िश,
    जो फूल राहों में मेरी बिछाए जाते हैं |
    समझ सको तो हैं काफी ये आँख में आंसू,
    के दिल के ज़ख्म किसे कब दिखाए जाते हैं |
    कोई भ़ी लम्हा क़यामत से कम नहीं फिर भ़ी,
    तुम्हारे सामने हम मुस्कुराए जाते हैं |
    http://mushayera.blogspot.com/

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  6. पराया कलाम, ज़रा परिवर्तन के साथ:
    ग़र बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है, जो चाहे लगा दो डर कैसा
    ग़र जीत गये तो क्या कहना, हारे भी तो बाज़ी हाथ नहीं

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  7. सत्य को जानते हुए भी असत्य का मुल्लमा चढ़ाये जीते रहते हैं ..यही सोच कर की कैसे दूसरों को बुद्धू बनाया .. यथार्थपरक रचना

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  8. @ यहाँ प्रेम का अर्थ व्यापक है ,सिर्फ प्रेमी या प्रेमिका के बीच का नहीं ,हर रिश्ते का प्रेम ...माता पिता और बच्चों के बीच , मित्रों के बीच , पति पत्नी के बीच , भाई बहन ...
    जैसा कि रश्मि जी ने भी कहा ---प्रेम हो बहाने भी सच्चे लगते हैं . बच्चे झूठ बोलते हैं ,माँ तुम्ही सब कुछ हो , माँ सच जानती है ..फिर भी प्रेम से गले लगाती है!

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  9. गहन सोच देती रचना ...बहुत सुंदर वाणी जी ...

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  10. सत्य और असत्य के बीच की खाली जगह को विराम देती रचना

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  11. और यही सत्य जीने का सहारा है....दिमाग की शान्ति है...

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  12. या फिर बुद्धू से बुद्ध तक जाना ..असत्यों के पार .. वाणी जी , सत्य को तो सुन्दर ही होना चाहिए..आपकी रचना सी..

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  13. कहीं ऐसा तो नहीं जो बुद्धू बना रहा है वास्तव में वही छला जा रहा है और जो जानते हुए भी मुस्कान ही देता है पीकर असत्य का गरल, वही कुदरत के हाथों गढ़ा जा रहा है...

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  14. sab kuchh jaan kar bhi maun rah muskura dena har baar to nahi ho pata...lekin jab jab ho pata hai apni hi vijay pataka si lahrati hui si prateet hoti hai.

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  15. इस रचना के द्वारा व्यक्ति को तरीक़े से पहचानने की कोशिश नज़र आती है।

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  16. बहुत ही खूबसूरती से भावों को मुखर करती रचना ..आभार ।

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  17. मन तो जानता है वैसे भी सत्य क्या है और असत्य क्या ... पर प्रेम में ये सोचने की फुर्सत ही कहाँ होती है ...

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  18. सत्य पर मन चादर डाल देता है. असत्य जीता रहता है और इसी में सुकून है.
    सुन्दर यथार्थ परक रचना.

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  19. बहुत खूब, सुन्दर प्रस्तुति, आपको नव-वर्ष की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाये !

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  20. जिंदगी की यथार्थ सच्चाई को बयां करनी सुंदर कविता.....

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  21. कम से कम सत्य और असत्य के बीच में स्थापित हो जाना ही तो प्रेम की पराकाष्ठा है.. जिसे न कोई सत्य अपने वश में कर सके, न असत्य विलग!!
    बहुत अच्छी कविता!!

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  22. ये कितनी पाजिटिव बात है न :)

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  23. सुन्दर कलात्मक और सकारात्मक अभिव्यक्ति

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  24. सुंदर अभिव्यक्ति बेहतरीन रचना,.....
    नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,....

    मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--

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  25. नव वर्ष के शुभ आगमन अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...

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  26. बहुत सुन्दर रचना !
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

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  27. सुंदर अभिव्यक्ति.
    नव वर्ष की शुभकामनाएं.

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  28. प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट " जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी" पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । नव-वर्ष की मंगलमय एवं अशेष शुभकामनाओं के साथ ।

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  29. आपकी भाव-प्रवण कविता 'प्रेम में सब जायज है" अच्छी लगी लेकिन अति होने पर यह भी नाजायज सा हो जाता है । मेरे नए पोस्ट "तुझे प्यार करते-करते कहीं मेरी उम्र न बीत जाए" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  30. Bahut sundar ..vaah ... asaty ke hindole me bhi tad se taadti aankhen..dan se muskurat..andaje bayaaN adbhut laga. ..achha laga.. :) Navvarsh par shubhkaamnayen

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  31. नए साल की हार्दिक सुभकामनायें /
    आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२५) में शामिल की गई है /आप मंच पर पधारिये और अपने सन्देश देकर हमारा उत्साह बढाइये /आपका स्नेह और आशीर्वाद इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है /आभार /लिंक है /
    http://hbfint.blogspot.com/2012/01/25-sufi-culture.html

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  32. गहन भावों से भरा कविता अच्छी लगी । आपकी कविता के एक-एक शब्द बोलते से प्रतीत होते हैं। मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद। .

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  33. कोई अपना कभी बुद्धू बनाए तो वो भी अच्छा लगता है ..

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  34. इस अमृत की चाह में ही तो हम हर रोज गरल पीते चले जाते हैं ...
    सुंदर कविता !

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  35. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना !

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