कोयल कुहुक मधुर कानों में
पवन छेड़े आँचल लहराए
कहीं लबों पर दहके पलाश
कही मन आलापिनी ना हो जाए !
सूरज महुए -सा महका है
धरा पीले आँचल शरमाये
नीले बादल ओस झर रही
कहीं मन हरी दूब ना हो जाए!
कहीं कुसुमित कानन नयनों में
मन कहीं तितली बन जाए !
पल्लवित वृक्ष सा मौन आमंत्रण
कहीं मन वल्लरी ना हो जाए !
कही ताल सज रही कुमुदनी
कही मन भ्रमर बन जाए
कहीं मन है सुरभित वृन्दावन
कही मन गोपी ना हो जाए!
कहीं हिलोरे लेता समन्दर
बिखरे गेसू सा काँधे पर
भेद कर विस्तृत शिलाएं
मन सरिता बन ना बह जाए!
नैन ना खोले रैन सुनहरी
धवल ओट पलके झपकाए
यह वसंत का स्वप्न कहीं है
वसंत कहीं स्वप्न ना हो जाए!
लता मंगेशकर द्वारा गाया हुआ एक गीत याद आ गया ...
जवाब देंहटाएंओ बसन्ती पवन ...रोको कोई !
अद्भुत भाव ....अद्भुत आह्लाद देती ...बहुत उत्कृष्ट रचना ....हार्दिक बधाई स्वीकारें ....
जवाब देंहटाएंप्रकृति के साथ अल्हड़ सा लहराती शब्द लहरी..
जवाब देंहटाएंbahut achchi abhiwyakti bsant ke aagman ka.
जवाब देंहटाएंचौखट पर मधुमास की दस्तक आ गयी
जवाब देंहटाएंवासंती बयार ऐसे स्वप्न बनके छा गयी।
सुंदर रचना
वसंत अभी-भी शीत की चादर में लिपटा है, मगर स्वप्न नहीं है.. उसके आगमन की पदचाप सुनाई दे रही है नेपथ्य में. और इस गीत के बाद तो उसका रुकना असंभव है!!
जवाब देंहटाएंBahut,bahut sundar rachana!
हटाएंवसन्त का रंग कितनी खूबसूरती से उकेरा है कि मन वसन्तमय हो गया।
जवाब देंहटाएंbasant ki to baat hi kuch aur hai..
जवाब देंहटाएंबसंत की खूबसूरत अनुभूति करता मन ..बासंती हो उठा है ..सुन्दर प्रस्तुतिकरण ..
जवाब देंहटाएंमंगल-मँजीरा बाजे झन-झन
जवाब देंहटाएंताल पर थिरके बदरा सा तन
मधुऋतु का फैला है सम्मोहन..
कल 31/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
ऋतू बसंत , कोयल और तुम्हारे गीत ... चहुँ ओर आनंद छायो ...
जवाब देंहटाएंसूरज महुए -सा महका है
धरा पीले आँचल शरमाये
नीले बादल ओस झर रही
कहीं मन हरी दूब ना हो जाए!
बहुत ही खूबसूरत बसंत में बासंती सी कविता.
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंपीताम्बर ओढे हुए धरती मधुमास है
जवाब देंहटाएंअंबर की छांव तले छाया उल्लास है
इतनी मीठी कविता पढ़ मन वसंत वसंत सा हो गया
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ....हर शब्द वासंती रंग में डूबा हुआ
जवाब देंहटाएंबसंत का मनोहारी चित्रण।
जवाब देंहटाएंदिग्दिगंत, विचरत बसंत !
बहुत सुन्दर! जैसे सुन्दर चित्र वैसा ही मनोहारी शब्द चित्र!
जवाब देंहटाएंवसंत के आगमन का संदेश दे रही है आपकी यह सुंदर कविता...
जवाब देंहटाएंबहूत मिठी सी सुंदर रचना है ,,
जवाब देंहटाएंबेह्द खूबसूरत दिल मे उतर जाने वाली रचना……………आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंbahut sundar geet..
जवाब देंहटाएंmeri nai rachna me aapka swagat hai..
जिन्दगी को, एक हसीं अब, मोड़ देने जा रहा
मधुरिम! :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंमन को बसंती रंग में भिगोता ... मधुर मॉस को अवतरित करता मनमोहक सुन्दर गीत ...
जवाब देंहटाएंarey vah abhi b ye haal hai ? kamaal hai.:-)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्रों और खूबसूरत कविता से पूरा वातावरण बसंतमयी हो गया. बढ़िया प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबसंत की मादकता से बचना दुष्कर है !
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्रों के साथ बेहतरीन प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंखेलत बसंत राजाधिराज , देखत नभ कौतुक सुर समाज
जवाब देंहटाएंखूबसूरत बासंती रचना..
जवाब देंहटाएंbahut sundar aur komal rachna. shubhkaamnaayen.
जवाब देंहटाएंनैन ना खोले रैन सुनहरी
धवल ओट पलके झपकाए
यह वसंत का स्वप्न कहीं है
वसंत कहीं स्वप्न ना हो जाए!
antim pankti mein thodi tees.
बहुत सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंप्रथम पद में प्रयुक्त शब्द (आलापिनी) पकड़ में नहीं आ रहा...
सादर.
सुन्दर वासंती रचना...
जवाब देंहटाएंसादर.
मन आलपीनी न हो जाए ...
जवाब देंहटाएंयह प्रयोग नया और अच्छा लगा। आप काव्य भी अच्छा रचती हैं।
यह वसंत का स्वप्न कहीं है
जवाब देंहटाएंवसंत कहीं स्वप्न ना हो जाए!..
mohak vasanti rachna...:)
सुन्दर,मन गोपी ही क्यूं राधा क्यों न हो जाए!
जवाब देंहटाएंअब बसंत में इतना भी फूंक फूंक कर चलने की जरुरत है तो फिर बसंत आया ही कहाँ ? :)
बहुत सुन्दर ...बहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंमन वृन्दावन हो जाए .....बेहतरीन भाव अनुभाव बिखेरती रचना .
जवाब देंहटाएंवाह! अनुपम अनूठा गीत है आपका,वाणी गीत जी.
जवाब देंहटाएंमृदुल मृदुल शब्दों और भावों का अदभुत संयोजन.
शानदार प्रस्तुति के लिए आभार.
beautiful :)
जवाब देंहटाएंआपकी कविता बहुत ही अच्छी लगी । भावों का समावेश भी रूचिकर लगा । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंsundar rachna
जवाब देंहटाएंKayi dino baad upasthit hua hun... samayaabhaav hai is liye blog darshan aaj kal kar nahi paa raha.... mail par hi RSS feed manga kar padh liya karta hun... rachna humesha kee tarah khubsurat... aur sabse achhi antim kee chaar panktiyaan... ek baat aur achhi lagi rachna se mail khate hue chitron ka prayog....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता
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