रोज एक झूठ
कितने बहाने
विजयी मुस्कान
असत्य के हिंडोले में
झूलते कई बार
तड से ताड़ लेती हैं
आँखें मन की
मन की बातें !
दन से मुस्कुरा देती है...
इस अमृतमयी मुस्कान को ही तो
पिया जाता है हर रोज
गरल असत्य का ...
बुद्धू बनाया!
बुद्धू कही का!
दो चेहरे
आमने -सामने
मुस्कुराते हैं
एक दूसरे के लिए ही!
हर असत्य से बढ़कर
सत्य यही है ...
145. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
5 घंटे पहले
सत्य और असत्य के बीच का प्रेम या फिर प्रेम के बीच में सत्य और असत्य !
जवाब देंहटाएं@ या फिर प्रेम में सत्य क्या ,असत्य क्या !!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी आपकी यह प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंआनेवाले नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
कई बार बहानों में ज़िन्दगी गुजर जाती है , पर मन सत्य जानता है - पर वह भी बहानों की चादर ओढ़ लेता है ...प्रेम हो तब बहाने भी सच्चे लगते हैं
जवाब देंहटाएंबहार हो कि खिज़ां मुस्कुराए जाते हैं,
जवाब देंहटाएंहयात हम तेरा एहसाँ उठाए जाते हैं |
सुलगती रेत हो बारिश हो या हवाएं हों,
ये बच्चे फिर भ़ी घरौंदे बनाए जाते हैं |
ये एहतमाम मुहब्बत है या कोई साज़िश,
जो फूल राहों में मेरी बिछाए जाते हैं |
समझ सको तो हैं काफी ये आँख में आंसू,
के दिल के ज़ख्म किसे कब दिखाए जाते हैं |
कोई भ़ी लम्हा क़यामत से कम नहीं फिर भ़ी,
तुम्हारे सामने हम मुस्कुराए जाते हैं |
http://mushayera.blogspot.com/
पराया कलाम, ज़रा परिवर्तन के साथ:
जवाब देंहटाएंग़र बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है, जो चाहे लगा दो डर कैसा
ग़र जीत गये तो क्या कहना, हारे भी तो बाज़ी हाथ नहीं
सत्य को जानते हुए भी असत्य का मुल्लमा चढ़ाये जीते रहते हैं ..यही सोच कर की कैसे दूसरों को बुद्धू बनाया .. यथार्थपरक रचना
जवाब देंहटाएं@ यहाँ प्रेम का अर्थ व्यापक है ,सिर्फ प्रेमी या प्रेमिका के बीच का नहीं ,हर रिश्ते का प्रेम ...माता पिता और बच्चों के बीच , मित्रों के बीच , पति पत्नी के बीच , भाई बहन ...
जवाब देंहटाएंजैसा कि रश्मि जी ने भी कहा ---प्रेम हो बहाने भी सच्चे लगते हैं . बच्चे झूठ बोलते हैं ,माँ तुम्ही सब कुछ हो , माँ सच जानती है ..फिर भी प्रेम से गले लगाती है!
गहन सोच देती रचना ...बहुत सुंदर वाणी जी ...
जवाब देंहटाएंसत्य और असत्य के बीच की खाली जगह को विराम देती रचना
जवाब देंहटाएंऔर यही सत्य जीने का सहारा है....दिमाग की शान्ति है...
जवाब देंहटाएंया फिर बुद्धू से बुद्ध तक जाना ..असत्यों के पार .. वाणी जी , सत्य को तो सुन्दर ही होना चाहिए..आपकी रचना सी..
जवाब देंहटाएंकहीं ऐसा तो नहीं जो बुद्धू बना रहा है वास्तव में वही छला जा रहा है और जो जानते हुए भी मुस्कान ही देता है पीकर असत्य का गरल, वही कुदरत के हाथों गढ़ा जा रहा है...
जवाब देंहटाएंbahut sundar....prem me sab jayaj hai...
जवाब देंहटाएंsab kuchh jaan kar bhi maun rah muskura dena har baar to nahi ho pata...lekin jab jab ho pata hai apni hi vijay pataka si lahrati hui si prateet hoti hai.
जवाब देंहटाएंइस रचना के द्वारा व्यक्ति को तरीक़े से पहचानने की कोशिश नज़र आती है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरती से भावों को मुखर करती रचना ..आभार ।
जवाब देंहटाएंमन तो जानता है वैसे भी सत्य क्या है और असत्य क्या ... पर प्रेम में ये सोचने की फुर्सत ही कहाँ होती है ...
जवाब देंहटाएंसत्य पर मन चादर डाल देता है. असत्य जीता रहता है और इसी में सुकून है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर यथार्थ परक रचना.
बहुत सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंprem me sab jayaz hai bahut sundar rachana hai...
जवाब देंहटाएंसच्ची बात है आभार
जवाब देंहटाएंगहनाभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंसादर.
Bahut sundar rachana!
जवाब देंहटाएंNaya saal bahut mubarak ho!
बहुत खूब, सुन्दर प्रस्तुति, आपको नव-वर्ष की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाये !
जवाब देंहटाएंजिंदगी की यथार्थ सच्चाई को बयां करनी सुंदर कविता.....
जवाब देंहटाएंकम से कम सत्य और असत्य के बीच में स्थापित हो जाना ही तो प्रेम की पराकाष्ठा है.. जिसे न कोई सत्य अपने वश में कर सके, न असत्य विलग!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता!!
सुंदर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंये कितनी पाजिटिव बात है न :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर कलात्मक और सकारात्मक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसकारात्मक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंvikram7: आ,मृग-जल से प्यास बुझा लें.....
सुंदर अभिव्यक्ति बेहतरीन रचना,.....
जवाब देंहटाएंनया साल सुखद एवं मंगलमय हो,....
मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--
निर्मल हृदय दृष्टि होनी थी।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष के शुभ आगमन अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंसब जायज है प्रेम में!:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
सुंदर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएं.
प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट " जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी" पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । नव-वर्ष की मंगलमय एवं अशेष शुभकामनाओं के साथ ।
जवाब देंहटाएंआपकी भाव-प्रवण कविता 'प्रेम में सब जायज है" अच्छी लगी लेकिन अति होने पर यह भी नाजायज सा हो जाता है । मेरे नए पोस्ट "तुझे प्यार करते-करते कहीं मेरी उम्र न बीत जाए" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंBahut sundar ..vaah ... asaty ke hindole me bhi tad se taadti aankhen..dan se muskurat..andaje bayaaN adbhut laga. ..achha laga.. :) Navvarsh par shubhkaamnayen
जवाब देंहटाएंगहरी रचना.
जवाब देंहटाएंनए साल की हार्दिक सुभकामनायें /
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२५) में शामिल की गई है /आप मंच पर पधारिये और अपने सन्देश देकर हमारा उत्साह बढाइये /आपका स्नेह और आशीर्वाद इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है /आभार /लिंक है /
http://hbfint.blogspot.com/2012/01/25-sufi-culture.html
सुंदर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंगहन भावों से भरा कविता अच्छी लगी । आपकी कविता के एक-एक शब्द बोलते से प्रतीत होते हैं। मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद। .
जवाब देंहटाएंकोई अपना कभी बुद्धू बनाए तो वो भी अच्छा लगता है ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर गहन रचना..
जवाब देंहटाएंprem me sach me sab kuch jayaj hota hai....sundar abhivyakti
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंइस अमृत की चाह में ही तो हम हर रोज गरल पीते चले जाते हैं ...
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता !
वाह...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना.
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना !
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता है वाणी जी.
जवाब देंहटाएंBEAUTIFUL LINES STRAIGHT BUT SWEET THOUGHT.
जवाब देंहटाएंNICE POST.THANKS.