गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

तुम्हारी लीला तुम ही जानो !


षड़यंत्र करती राधा ,
गोपियों की चुगलखोरी
मीरा की जुगुप्सा ....
यशोदा की ममता में मिलावट
जो ना हो साबित ...
तो हैरानी क्या!
तुमसे कैसा शिकवा ,कान्हा ...

जानती हूँ ...
तिरछे नयनों से, भंवर पड़ते गालों से
मुस्कुरा कर कह दोगे
"सुनती ही नहीं थी
तुम्हे कैसे चेताता
कलियुग है ! "

तुम पर मेरा अमिट विश्वास
तुम्हारी लीला तुम ही जानो !

64 टिप्‍पणियां:

  1. हाथ में सुदर्शन चक्र , और उसीकी तरह घूमते रिश्ते , बातें - केशव ! कुछ तो विश्राम लो

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  2. बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

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  3. खूबसूरत प्रस्तुति |

    त्योहारों की नई श्रृंखला |
    मस्ती हो खुब दीप जलें |
    धनतेरस-आरोग्य- द्वितीया
    दीप जलाने चले चलें ||

    बहुत बहुत बधाई ||

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  4. विश्‍वास की लीला, कृष्‍णं वंदे जगदगुरू.

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  5. विश्वास ही दृढ आधार है ..बाकी तो सब लीला है :)

    अच्छी भावाभिव्यक्ति

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  6. कुछ समझ में आया कुछ नहीं आया मैं क्या कहूँ सब कवयित्री की लीला...

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  7. तुम्हारी लीला तुम ही जानो !!! सत्य के प्रति विश्वास जगाती कविता के लिए बहुत बहुत बधाई !

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  8. बहुत ही खूबसूरत कविता।
    ----
    कल 22/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  9. उसकी लीला को कोई क्या जान सकता है।

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  10. विश्वास के यही बोल होते हैं..

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  11. कविता भाषा शिल्‍प और भंगिमा के स्‍तर पर समय के प्रवाह में मनुष्‍य की नियति को संवेदना के समांतर, दार्शनिक धरातल पर अनुभव करती और तोलती है ।

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  12. सच में कलियुग है!
    बहुत हि सुन्दर रचना...

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  13. सच कहा.
    तुम ही जानो अपनी लीला.

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  14. सत्य के प्रति विश्वास जगाती कविता| धन्यवाद|

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  15. बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...

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  16. लीला पुरुष को अर्पित अद्भुत काव्याभिव्यक्ति! मगर आज के संदर्भ में ये राधा ,ये यशोदा ,मीरा गोपियाँ कौन कौन हैं ....और रुक्मिणी सत्यभामा की चर्चा क्यों नहीं हुयी ....? :)

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  17. लाजवाब...

    आपको धनतेरस और दीपावली की हार्दिक दिल से शुभकामनाएं
    MADHUR VAANI
    MITRA-MADHUR
    BINDAAS_BAATEN

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  18. कलियुग है ...सब उसकी लीला है । सुंदर प्रस्तुति ...

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  19. पञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
    ***************************************************

    "आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"

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  20. दीपावली के पावन पर्व पर आपको मित्रों, परिजनों सहित हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ!

    way4host
    RajputsParinay

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  21. दीपावली व नववर्ष की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं !

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  22. **************************************
    *****************************
    * आपको सपरिवार दीवाली की रामराम !*
    *~* भाईदूज की बधाई और मंगलकामनाएं !*~*

    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    *****************************
    **************************************

    जवाब देंहटाएं
  23. *******************************************************************
    #
    मेरे दोनों ब्लॉग कल दोपहर बाद से गायब हैं
    आप में से कोई मेरी मदद कर सकें तो बहुत आभारी रहूंगा



    शस्वरं


    ओळ्यूं मरुधर देश री


    लिंक :-
    shabdswarrang.blogspot.com
    rajasthaniraj.blogspot.com


    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    *****************************************************************

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  24. तुम पर मेरा अमिट विश्वास
    तुम्हारी लीला तुम ही जानो.

    सुन्दर वाणी मधुर गीत.
    आपकी प्रस्तुति से हो रही है प्रीत.

    बहुत बहुत आभार,वाणी गीत जी.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
    'नाम जप' पर अपने अमूल्य विचार
    और अनुभव प्रस्तुत करके अनुग्रहित
    कीजियेगा.

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  25. आपका पोस्ट अच्छा लगा । .मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  26. सब उस कि ही लीला है....बहुत ही लाजवाब

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  27. तुम्हारी लीला तुम ही जानो..वाह!

    भक्ति नहीं ये प्रेम है..कहीं विशाल प्रेम.

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  28. खूबसूरत कविता... भाव का संयोजन सुन्दर है...

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  29. कुछ उसकी लीला ..कुछ अपनी लीला.गजब की लीला....

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  30. राधा,गोपियां,मीरा,यशोदा- सब कृष्ण के प्रेम में थीं। कहना मुश्किल है कि कृष्ण के केंद्र में भी ये ही थीं या नहीं!

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  31. आज के युग-धर्म को अच्छी तरह विश्लेषित कर दिया है आपने इन पंक्तियों में .

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  32. रेशमी शब्दों में उलाहना ने सुंदरता बढ़ा दी है.

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  33. गहन विश्वास और हमारी दुनियां .....
    शुभकामनायें आपको !

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  34. बहुत सुन्दर भावो से भरी पोस्ट......शानदार |

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  35. एक अच्छी और गहन रचना. की प्रस्तुति के लिए धन्यवाद । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  36. आदरणीया वाणी जी
    सस्नेहाभिवादन !

    तुम्हारी लीला तुम ही जानो
    अच्छा लिखती हैं आप

    … लेकिन क्या राधा मीरा यशोदा मैया और गोपियां ग़लत थीं ?!

    मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  37. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  38. तुम मेरा अमिट विश्वाश ...तुम्हारी तुम ही जानो ....बस इन्हीं पंक्तियों ने सारी बात कह डाली अब कहने सुनने को तो कुछ रहा ही नहीं :)
    बहुत सुन्दर रचना |

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  39. blog bhi sunder,kavita bhi prabhvee.accha talmel rachna aur prastuti ke beech.sadhuvaad aapko
    dr.bhoopendra
    rewa
    mp

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  40. नया भाव है । सचमुच विश्वास बडा होता है ।

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  41. अरे! बहुत ही बढ़िया... सचमुच..

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  42. "तुम्हारी लीला तुम ही जानो !"
    यही समर्पण तो भक्ति का मूल है!

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