कभी कभी यूँ भी होता है ...
निष्ठां, प्रेम, विश्वास
से बने आशियाने
झूलने लगते हैं
अविश्वास , शक
अपमान ,तिरस्कार के भूचालों से ...
चूलें चरमराने लगती हैं
जैसे बने हो ताश के पत्ते के घर
एक पत्ता हिला और सब बिखर गया..
आंसू भरी आँखों से
कितनी शिकायतें बह जाती है
काली अँधेरी- सी रात गले लग कर सिसकती है ...
उस अँधेरे में ही एक लकीर रौशनी की
जैसे कह उठती है ...
बस यह एक रात है अंधरे की ...
इसे गुजर जाने दो ...
सुबह सब कुछ वही धुला- धुला सा!
यही विश्वास बनाये रखता है
उस एक पत्ते को स्थिर ...
और फिर से वही मजबूत बुनियादें
हंसी - मुस्कुराहटों का साम्राज्य !
अँधेरी रातें उजली सुबह में बदल जाती हैं...
विश्वास हो बस कि ये भी गुजर जाएगा !
और वह हथेलियों को जोड़कर
उस अदृश्य से
प्रार्थना करती है ...
हर घर में उस एक पत्ते को स्थिर कर दे...
सबके जीवन के अंधेरों में उजाला भर दे !
बहुत सुंदर प्रार्थना ....shubhkamnayen...
जवाब देंहटाएंसर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया...की आदि आप्त भावना लिए है यह कविता
जवाब देंहटाएंविश्वास पर दुनिया कायम है और सच भी है । जरूर सुबह होगी सबके आँगन । बहुत सुंदर भावना लिए हुए अच्छी रचना ।
जवाब देंहटाएंकाली अँधेरी- सी रात गले लग कर सिसकती है ...
जवाब देंहटाएंउस अँधेरे में ही एक लकीर रौशनी की
जैसे कह उठती है ...
बस यह एक रात है अंधरे की ...
इसे गुजर जाने दो ...यही तो अपने भीतर का विश्वास है , ईश्वर का साथ है - जिसकी हथेलियाँ आंसू को पोछ कहती हैं , ' फिर सुबह होने को है '
आपकी प्रार्थना सफल हो
जवाब देंहटाएंसकारात्मक पक्ष लिए प्रभावी रचना..
जवाब देंहटाएंकविता का अर्थ हमें भी प्रेरित करता है जगत में सकारात्मक आशा का संचार करने के लिए।
जवाब देंहटाएंकल 14/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
उस अँधेरे में ही एक लकीर रौशनी की
जवाब देंहटाएंजैसे कह उठती है ...
बस यह एक रात है अंधरे की ...
इसे गुजर जाने दो ...
सुबह सब कुछ वही धुला- धुला सा!
यही विश्वास बनाये रखता है
उस एक पत्ते को स्थिर ...
और इस तरह फिर से हो जाता है सवेरा ... बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सार्थक लिखा है ... ये सच है अँधेरे ही हर रात के बाद सुबह आती है बस विश्वास की लो जलाए रखनी होती है ... अनुपम रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना , बधाई.
जवाब देंहटाएंप्रार्थना ऐसी ही होनी चाहिए!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं!
सार्थक आह्वान और सर्वमंगल की कामना करती रचना
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे भावों को लिए सकारात्मक रचना,बधाई !
जवाब देंहटाएंवाह ..
जवाब देंहटाएंहर रात की सुबह होती ही है..आपकी प्रार्थना सफल हो हमारी यही प्रार्थना है.
जवाब देंहटाएंaasha ka deep jalaati achche bhaav darshati kavita.
जवाब देंहटाएंWo geet yaad aa gaya..'Lab pe aati hai dua ban ke tamanna meri...'
जवाब देंहटाएंBahut sundar rachana!
बेहतरीन कविता ।
जवाब देंहटाएंईश्वर से अनुग्रह याचना , सर्वहित कामना , सदाशयता के इस लोकव्यापी आग्रह की , कोई अन्यान्य पृष्ठभूमि नहीं होगी बस यही दुआ , यही उम्मीद है !
जवाब देंहटाएंओ हेनरी की कहानी "आख़िरी पत्ती" की उस पत्ती की याद आ गयी जिसके टिके रहने से एक व्यक्ति का जीवन टिका रहा... आज आपने बताया कि उस पत्ती को टिकाये रखने का मंत्र क्या था.. बहुत ही सुन्दर कविता, हमेशा की तरह!!
जवाब देंहटाएंआस्था व विश्वास से बडा कुछ नही । बहुत सुन्दर कविता ।
जवाब देंहटाएंis ek patte ke tike rahne ki jarurat sabhi gharon ko hai. ujas ka sawera sabhi ko chaahiye. aapki prarthna kabool ho.
जवाब देंहटाएंसबके जीवन में उजाला भर दे....
जवाब देंहटाएंवाह! वाह! सुन्दर
सादर...
Waah. . !! Waah. . !! Aur kewal Waah. . !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लिखा है .
जवाब देंहटाएंसब सुखी हों के भाव का निर्वहन करती एक उत्कृष्ट कविता।
जवाब देंहटाएंbhut hi sundar prastuti n mnokamna.thanks.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर व सटीक. हर समय यदि गुजर जाने दिया जाए तो गुजर जाता है.यदि हम उसकी पूंछ पकड़ लटक जाएँ तो हम तो घिसटते ही हैं समय भी दो चार लत जमा देता है.
जवाब देंहटाएंघुघूतीबासूती
निस्वार्थ रूप से लिखी गयी एक सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसार्थक और सुन्दर भाव से परिपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंसार्थक एवं प्रभावी रचना...
जवाब देंहटाएंsb ke jivn me ujala ho aap ki kamna poorn ho aap ne mere blog pr aa kr sneh diya aabhar
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
जवाब देंहटाएंयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
बालदिवस की शुभकामनाएँ!
मंगलकामनाएँ ! आपका जीवन हलचलों से स्थिर हो जाये,डगमगाती हुई नौका संभल जाये पर आपका जीवन गतिमान रहे !
जवाब देंहटाएंबस अंधेरे की ये एक रात जल्द गुज़र जाए...या गुज़रने की उम्मीद तो कम से कम दिखलाती रहे। आशा देती कविता।
जवाब देंहटाएंaameen.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पढ़ कर मन को अच्छा लगा...
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट में स्वागत है ,...
..आमीन।
जवाब देंहटाएंइस पत्ते के बीज रोपने होंगे।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआशा और श्रद्धा का साथ रहना चाहिए , सब कामनाएं पूरी होनी है ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !!
कल 26/11/2011को आपकी किसी पोस्टकी हलचल नयी पुरानी हलचल पर हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
I recently came across your blog and have been watching movie and looking pictures along. I thought I would leave my first comment.
जवाब देंहटाएंFrom everything is canvas
आजकल लिखना बंद??
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक और सुंदर प्रस्तुति.। मेरे नए पोस्ट पर (हरिवंश राय बच्चन) आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंअपमान ,तिरस्कार के भूचालों से ...
जवाब देंहटाएंचूलें चरमराने लगती हैं
जैसे बने हो ताश के पत्ते के घर
एक पत्ता हिला और सब बिखर गया
आप की लेख्य बहुत ही सुन्दर है.... :)
बहुत बहुत सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंगजब का लेखन है आपका.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.