मैं
नादान
नाजुक
कमजोर
हताश
मायूस
तुम्हे लगती रहू
मगर
याद रख
कांधे मेरे
तेरी बन्दूक के लिए नहीं है ....
छोटे हाथ मेरे
नाजुक अंगुलियाँ
भले होंगी मेरी
भार उठाएंगी
खुद इनका
जरुरत हुई तो ....
जीतना मैं भी चाहूं
तू भी
बस जुदा है
रास्ता तेरा - मेरा
जीतना चाहती हूँ मैं
सम्मान से सम्मान को
प्रेम से प्रेम को .....
जीत स्थायी वही होती है
जो
मिले
दिलों को जीत कर
युद्ध शांति का पर्याय कभी नहीं होता
देख ले
इतिहास के पन्ने पलट कर
आखिर महाभारत से किसने क्या पाया
क्या सच ही....
शांति ....??
कलिंग जीत कर भी
अशोक क्यों चला
शांति की ओर
लाशों के ढेर
कभी आपको नहीं दे सकते
सम्मान ,शांति और प्रेम ...
सिर्फ दे सकते है
घिन
वितृष्णा
नफरत ...
और घबरा कर जो बढ़ेंगे कदम
तो तय करेंगे
राह
सिर्फ
प्रेम और शांति की ही ...
प्रेम और शांति -मानवता के चिरन्तन साथी ....
जवाब देंहटाएंवानी जी,
जवाब देंहटाएंनमस्ते!
सत्य वचन.
सार्थक सन्देश.
आई एग्री.
आशीष
---
नौकरी इज़ नौकरी!
बेहतरीन प्रस्तुति ,बधाई !
जवाब देंहटाएंsunder sandesh......
जवाब देंहटाएंbhavbheenee abhivykti .
आखिर महाभारत से किसने क्या पाया
जवाब देंहटाएंक्या सच ही....
शांति ....??
कलिंग जीत कर भी
अशोक क्यों चला
शांति की ओर
लाशों के ढेर
कभी आपको नहीं दे सकते
सम्मान ,शांति और प्रेम ...
.......
चाहते हो गर सुकून
तो सुकून की खिड़कियाँ तुम भी खोलो
मन की जीत ही जीत है
मन की हार हार
........
बहुत ही सारगर्भित भावनाएं
बड़े ही सुन्दर भाव पिरो लाती हैं आपकी कवितायें।
जवाब देंहटाएंआखिर महाभारत से किसने क्या पाया
जवाब देंहटाएंक्या सच ही....
शांति ....??
सार्थक प्रश्न उकेरती रचना. युद्ध कभी सुकून नहीं दे सकता
Hi..
जवाब देंहटाएंPrem pyaar se jeeta jaata..
Man ka har aayam..
Aur yudh bas de sakta hai,
nafarat ka paigam..
Samrat Ashok aur Kaling yudh ko kaun bhul sakta hai..
Sargarbhit kavita..
Deepak..
प्रेम का संदेश देती एक सुंदर रचना!
जवाब देंहटाएंसंसार को प्रेम और शांति से ही बचाया जा सकता है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सन्देश...
जवाब देंहटाएंजितना मै भी चाहू ........बहुत सुदर पैरा.......
आदर सहित
मंजुला
कलिन्ग जीत कर भी ---- चिन्तनपरक रचना।
जवाब देंहटाएंकन्धे मेरे तेरी बन्दूक के लिये नही हैं---- मगर आज कल लोग अपने मतलव के लिये दूसरों के कन्धी ही प्रयोग मे लाने लगे है। कुछ अपने स्वार्थ के लिये धर्म के कन्धों पर बन्दूक रख कर चला रहे हैं कोई धन के लिये तो कोई किसी और वजह से। बहुत अच्छी लगी रचना। बधाई।
प्रेम और शांति का संदेश देती एक बेहद उम्दा प्रस्तुति।बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रेम और शांति की ओर अग्रसित करती अच्छी रचना ...इतिहास के उदाहरण से बात को बल प्रदान किया है ..
जवाब देंहटाएंशांति सन्देश ..भावपूर्ण अंदाज में.बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंजीत वही स्थायी है..जो दिलो को जीत कर मिले....सोलहो आने सच बात
जवाब देंहटाएंबड़ी जोश दिलाने वाले प्रेरणामयी कविता है
bahut hi sundar bhav hai kavita ki..
जवाब देंहटाएंprerit kar gayi hai..
इसे कहते है feminine मजबूती , बहुत अच्छे, लिखते रहिये .....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और सार्थक रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
इस कविता को पढकर बस एक ही ध्वनि अन्र्मन से प्रतिध्वनित होती है:
जवाब देंहटाएंबुद्धं शरणम गच्छामि!!
प्रेम और शांति की लेखिका को नमन.बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंआपको बधाई!
इस भाव की बहुत कम कविता लिखी जा रही हैं.. सुन्दर कविता..
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे ख़यालात , बहुत ही अच्छी प्रस्तुति। बधाई।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सन्देश और सशक्त रचना.. आपकी रचना बहुत अच्छी लगी .. आपकी रचना आज दिनाक ३ दिसंबर को चर्चामंच पर रखी गयी है ... http://charchamanch.blogspot.com
जवाब देंहटाएं... bhaavpoorn rachanaa ... badhaai !!!
जवाब देंहटाएंvani ji
जवाब देंहटाएंbahoot hi sunder prastuti......... bahoot achchhi seekh evam sunder vichar
नवीन कुछ भी हो उसका उदय शांति से ही होता है,
जवाब देंहटाएंआत्मीय रचना के लिए साधुवाद.
जीत स्थाई वही होती है
जवाब देंहटाएंजो
मिले
दिलों को जीतकर
मैं उस्ताद तो नहीं मगर मेरा मन कहता है कि मैं आपको १००/१०० दूं .
स्वजनता में कहीं फंसा हुआ था पहुँचने में खासी देरी हो चुकी है ! हमेशा की तरह से वाणी ब्रांड तेवर पर इस बार शान्ति के लिए !
जवाब देंहटाएंअक्सर सोचता हूं अल्लाह के बंदे शांति के लिए भी महाभारत कर सकते हैं !
संदेशपूर्ण रचना!
जवाब देंहटाएंवाकई जीत वही है जो दिलों को जीत कर हासिल की जाती है....रचना बहुत अच्छी लगी इसलिए ब्लॉग भी फॉलो कर लिया....
जवाब देंहटाएंबहुत प्रेरक भावो से सजी है ये कविता |
जवाब देंहटाएंबार बार सोचने को मजबूर करती है जब हम सब शांति चाहते है और शांति से रहते है तो युद्ध के प्रवर्तक कौन ?
युद्ध शांति का पर्याय कभी नहीं होता
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा है आपने ...शुक्रिया
चलते -चलते पर आपका स्वागत है
waah....kya baat kahi hai....bohot khoob
जवाब देंहटाएंवाणी जी, कविता के माध्यम से एक सार्थक संदेश दिया है। बधाई।
जवाब देंहटाएं---------
ईश्वर ने दुनिया कैसे बनाई?
उन्होंने मुझे तंत्र-मंत्र के द्वारा हज़ार बार मारा।
मानवीय संवेदनाओं को जीती हुई आपकी कविता मन को छूती है !
जवाब देंहटाएं-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
कलिंग जीत कर भी
जवाब देंहटाएंअशोक क्यों चला
शांति की ओर
युद्ध शांति का पर्याय कभी नहीं होता
जीतना चाहती हूँ मैं
सम्मान से सम्मान को
प्रेम से प्रेम को .....
वाणी जी,
सार्थक सन्देश.
जीत स्थायी वही होती है जो दिलों को जीत कर मिले .
बहुत ही सारगर्भीत रचना है ... अपने इतिहास भी तो बार बार यही कहता है .. पर इंसान सोच नही पाता ...
जवाब देंहटाएंआदरणीया वाणी जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
आपने सच कहा -
लाशों के ढेर
कभी नहीं दे सकते
सम्मान, शांति और प्रेम …
सिर्फ दे सकते है
घिन
वितृष्णा
नफ़रत …
…और निस्संदेह
जीत स्थायी वही होती है,
जो मिले
दिलों को जीत कर
बहुत सारगर्भित रचना के लिए आभार और बधाई !
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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जवाब देंहटाएंएक जागरूक व्यक्ति की बुलंद आवाज़ सुनाई दे रही है कविता में। अब कोई किसी के कन्धों का गलत इस्तेमाल नहीं कर सकेगा।
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आदरणीय वानी जी,
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
कविता के माध्यम से एक सार्थक संदेश दिया है।
"माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...
prem aur shanti ka sarthak sandesh deti kavitahai aapki....
जवाब देंहटाएंbahut sunder!
कविता के माध्यम से एक सार्थक संदेश...
जवाब देंहटाएंबड़े ही सुन्दर भाव,सार्थक संदेश,सारगर्भित कविता.
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