जिंदगी और समय
-------------------
उससे
लड़ना ...
झगड़ना ...
रूठना ...
चाहे मत मनाना ...
बस ...
कभी अलविदा मत कहना ...
उसने कभी मुड कर नहीं देखा ...
पलट कर देखना उसे आता नहीं ....
रुक जाना उसके वश में नहीं ....
क्या है वह ....!
जिंदगी या समय ...!
रुठते उससे कैसे भला
---------------------
किसी बात से खफा नहीं होना
बस मुस्कुरा देना
आदत मेरी कभी नहीं थी ....
रुठते मगर उससे कैसे भला
मनाना जिसकी आदत ही नहीं ...
.......................................................................
चित्र गूगल से साभार ..
-------------------
उससे
लड़ना ...
झगड़ना ...
रूठना ...
चाहे मत मनाना ...
बस ...
कभी अलविदा मत कहना ...
उसने कभी मुड कर नहीं देखा ...
पलट कर देखना उसे आता नहीं ....
रुक जाना उसके वश में नहीं ....
क्या है वह ....!
जिंदगी या समय ...!
रुठते उससे कैसे भला
---------------------
किसी बात से खफा नहीं होना
बस मुस्कुरा देना
आदत मेरी कभी नहीं थी ....
रुठते मगर उससे कैसे भला
मनाना जिसकी आदत ही नहीं ...
.......................................................................
चित्र गूगल से साभार ..
bahut sundar samay se ruthh kar kahan jayenge
जवाब देंहटाएंरूठना उनसे क्या
जवाब देंहटाएंजो मनाते नहीं
....
बहुत अच्छी रचना
सुन्दर अभिवक्ति
जवाब देंहटाएंचाहे मत मनाना उसे बस , कभी अलविदा मत कहना।
जवाब देंहटाएंसुन्दर पंक्ति , अच्छी कविता। बधाई।
अच्छी अभिव्यक्ति, बधाई। भाई हमारा भी ऐसे लोगों से ही पाला पड़ा है जो मनाना जानते ही नहीं। हा हा हा हा।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति| बधाई|
जवाब देंहटाएंhttp://thalebaithe.blogspot.com
अच्छे भाव लिए सुंदर अभिव्यक्ति .....
जवाब देंहटाएंSach hai...unse kya rrothna jo manana na jane! Bahut sundar rachana!
जवाब देंहटाएंरूठने मनाने पर अच्छा शोध ....जब कोई मनाये ही नहीं तो रूठने से क्या लाभ ? :):)
जवाब देंहटाएंचाहे मत मनाना ...
जवाब देंहटाएंबस ...
कभी अलविदा मत कहना ...
बस यही पते की बात है...रूठने-मनाने से ज्यादा...सुन्दर लिखा है
... bahut sundar ... bhaavpoorn rachanaayen !!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब , जिन्दगी का समय का... चित्रण
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ! शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंयही तो है सही परिपाषा जिन्दगी और गजल की!
जवाब देंहटाएंजी वक़्त कभी रुकता नहीं हमें ही वक़्त के साथ चलना पड़ता है .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....!!
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंगज़ब के भाव संजोये हैं।
जवाब देंहटाएंसंवाद बना रहे, बस।
जवाब देंहटाएंbahut sunder abhivykti........
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत सुंदर!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंरूठते उससे कैसे भला
जवाब देंहटाएंमानना जिनकी आदत नहीं...
बहुत ही खूबसूरत लगीं ये पंक्तियाँ....
लेकिन..
रूठों को मनाये कैसे भला...
मानना जिनकी आदत नहीं...
बुरा मत मानियेगा, एक ख़याल ये भी हो सकता है...
आपका आभार..!
vaani ji
जवाब देंहटाएंbahut bahut hi achhi post kya do tuk baat likhi hai aapne .
bahut hi gahan abhivyakti.
bdhai.
poonam
sundar!
जवाब देंहटाएंसमय हमें अलविदा कहने का मौका कहाँ देता है। हर बार वही कह कर चल देता है।
जवाब देंहटाएं..सुंदर प्रस्तुती।
badhiya prastuti!
जवाब देंहटाएंअच्छा हुआ जो उसने
जवाब देंहटाएंफितरत अपनी बता दी
वर्ना हम तो रूठ कर
इंतज़ार में मर जाते.
रूठने मनाने की यही है कहानी । सुन्दर भावमय अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंपलट कर देखना उसे आता नहीं.........ज़िन्दगी या समय !
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने दोनों की फितरत ऐसी ही है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
वाणी जी ,
जवाब देंहटाएंयूं तो दोनों ही कवितायें अच्छी हैं पर पहली कविता का दर्शन मुझे ज्यादा पसंद आया ! मेरे हिसाब से दोनों ही कवितायें 'अपेक्षाओं' पर टिकी हैं फर्क केवल ये कि पहली में केवल अनिश्चित उत्तर और दूसरी में अपेक्षाओं के अनुरूप हो जाने की कोशिश साफ़ नज़र आती है !
[ कम्प्यूटर महाराज की गद्दारी की वज़ह से देर से पहुँच पाया आपकी कविताओं के आगे मेरी टिप्पणी बौनी है ! इसे और ज्यादा सहृदय / विशाल ह्रदय होना चाहिए था ]
दोनों कवितायें बहुत ही सुन्दर हैं। दार्शनिक अनुभूतियों से ओतप्रोत हैं।
जवाब देंहटाएंचाहे मत मनाना ...
जवाब देंहटाएंबस ...
कभी अलविदा मत कहना
भावमय, सुन्दर, दार्शनिक प्रस्तुती।
लिखा भी दिलकश है और तस्वीर और भी उम्दा !
जवाब देंहटाएंbeautiful poem,
जवाब देंहटाएंnice post.
जिंदगी और समय अलग कहा ? और बाद की कविता बहुत बुद्धिमानी दर्शाती है !
जवाब देंहटाएं(बाई द मनाना मुझे भी नहीं आता ,काश कोई सिखा देता )
सराहनीय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंhttp://nature7speaks.blogspot.com/
एकदम सटीक बात...उनसे भला क्या रूठना जो मनाना नहीं जानते।...नए भावों से युक्त एक उत्तम कविता।...शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंहर श्ब्द मुखरित हो उठे हैं। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिवक्ति
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर कवितायें !
जवाब देंहटाएंइसलिए खड़ा रहा की तुम मुझे पुकार लो ..बच्चन की पंक्तिया याद आई ! मर्मी कविता के लिए बधाई !
जवाब देंहटाएंbehad sunder.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएं