मेरे कुछ शेरों में शामिल है तेरा नाम भी
मेरी कुछ शामों में शामिल है तेरा ख्याल भी
मेरे कुछ आंसुओं का कारण है तेरी कमी भी
मेरी कुछ मुस्कुराहटों में शामिल है तेरी याद भी
मगर फिर भी यह सच है ....
मैं तुमसे प्यार नही करती ...!!
मैंने तुमसे कभी प्यार नही किया ...!!
देखे होंगे कुछ ख्वाब कभी
कि चांदनी रात में टहलते कभी
छत पर लेकर हाथों में हाथ
सुरमई शाम में कभी
सूरज को ढलता देखते साथ
गीतों गज़लों को सुन कर
कभी आह! कभी वाह! करते साथ
खेतों कि पगडंडियों पर कभी
खामोश चलते साथ- साथ
मगर
इन ख्वाबों के हकीकत होने का इन्तिज़ार
मैंने कभी नही किया...
यह सच है कि
मैंने तुमसे प्यार कभी नही किया ...!!
उसके दर से आने वाली
हर राह पर आंख बिछाना
हर आहट पर चौंक कर
दरवाजे तक हो आना
विरह की दाह में जलकर
बेचैन हो जाना
कभी भूखे प्यासे रहना
कभी नींदें गंवाना
दीवानावार इस तरह तेरा इन्तिज़ार
मैंने कभी नहीं किया ...
यह सच है की
मैंने तुमसे प्यार कभी नहीं किया ...!!
मैं तुमसे प्यार नही करती....!!
मैंने तुमसे प्यार कभी नहीं किया ....!!
मेरी कुछ शामों में शामिल है तेरा ख्याल भी
मेरे कुछ आंसुओं का कारण है तेरी कमी भी
मेरी कुछ मुस्कुराहटों में शामिल है तेरी याद भी
मगर फिर भी यह सच है ....
मैं तुमसे प्यार नही करती ...!!
मैंने तुमसे कभी प्यार नही किया ...!!
देखे होंगे कुछ ख्वाब कभी
कि चांदनी रात में टहलते कभी
छत पर लेकर हाथों में हाथ
सुरमई शाम में कभी
सूरज को ढलता देखते साथ
गीतों गज़लों को सुन कर
कभी आह! कभी वाह! करते साथ
खेतों कि पगडंडियों पर कभी
खामोश चलते साथ- साथ
मगर
इन ख्वाबों के हकीकत होने का इन्तिज़ार
मैंने कभी नही किया...
यह सच है कि
मैंने तुमसे प्यार कभी नही किया ...!!
उसके दर से आने वाली
हर राह पर आंख बिछाना
हर आहट पर चौंक कर
दरवाजे तक हो आना
विरह की दाह में जलकर
बेचैन हो जाना
कभी भूखे प्यासे रहना
कभी नींदें गंवाना
दीवानावार इस तरह तेरा इन्तिज़ार
मैंने कभी नहीं किया ...
यह सच है की
मैंने तुमसे प्यार कभी नहीं किया ...!!
मैं तुमसे प्यार नही करती....!!
मैंने तुमसे प्यार कभी नहीं किया ....!!
बहुत खूब अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंकोई भी नहीं करता ! वो तो बस हो जाया करता है ! कविता अच्छी है पर उससे जबरदस्त है शिकवा ! प्यार मैं करूँ ? दावा भी मैं करूँ ? तो स्वीकार की अनुभूति किसे होना चाहिए ?
जवाब देंहटाएंpyaar nahin per ehsaas...ise rooh se mahsoos karen
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता.
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं.
.
गिरिजेश राव जी के ब्लॉग पर आपने इस कविता का जिक्र कर उत्सुकता बढ़ा दी थी...अच्छी कविता... जैसी सोचा था, वैसी ही पाया ।
तो आपने ख्वाब नहीं देखे... न ही ख्वाबों के हकीकत में बदलने का इंतजार किया... दीवानेपन से, शिद्दत से कभी प्यार नहीं किया... जानती हैं, जीवन का एक बहुत अहम अनुभव मिस कर दिया आपने !
आभार!
...
जब ये लिखने की जरूरत पडे तो समझो बात इस से उल्ट है। बहुत अच्छी कविता। बधाई
जवाब देंहटाएंइन सारे एहसासों ने कुछ ऐसा रंग घोला है
जवाब देंहटाएंप्यार न कराने के दावे का कुछ राज़ खोला है...
सुंदरता से आपने इस रचना में हर उस एहसास को नकार दिया जो असल में महसूस किया .....सुन्दर प्रस्तुति
बहुत ही सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंयाद आ गया,'गुनाहों के देवता' में सुधा का कहना, "मैं चंदर से प्यार नहीं करती...ना जाने क्या करती हूँ.."
इस कविता में भी "उस ना जाने क्या " का अहसास बखूबी उभर आया है.
एक गीत याद आ गया ...@ हमें तुमसे प्यार कितना ये हम नहीं जानते ,मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना .
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता है
वाह..!!
जवाब देंहटाएंकुछ अप्रत्याशित सी अनुभूति हुई है इस कविता को पढ़ कर....
जो प्यार नहीं करते क्या वो जानते हैं कि वो प्यार नहीं करते....??
सोचने वाली बात है वैसे..
कविता बोले तो....बिंदास...
To phir yah kya tha?Kaun kahta hai muhobbat kee zuban hotee hai,Ye wo haqeeqat hai jo nigahon se bayaan hoti hai! Jagjeet chitra kee gayee gazal anaayaas yaad aa gayi!
जवाब देंहटाएंअनोखे भाव लिए एक सुंदर प्रस्तुति |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
Vani di..
जवाब देंहटाएंTere sheron main wo shamil..
Geeton main hai uska naam..
Aansu uski kami se aate..
Yaad rahe wo din aur sham..
Wo tere khwabon main rahta..
Hai tere muskanon main..
Tere ahsaason main wo hai..
Bhale nahi wo sanson main..
Deevanapan bhale nahi hai..
Par ye pyaar hi hai dikhta..
Maano ya na maano, wo hi..
Dil main tere hai basta..
Aapki kavita atyant madhur hai.. Es par maine Subah hi tippani ki thi par jaane kaise prakashit nahi dikh rahi.. Ab punah kar raha hun..
Deepak..
मैं तुमसे प्यार नही करती....!!
जवाब देंहटाएंमैंने तुमसे प्यार कभी नहीं किया ....!!
lekin ahsaas bata raha hai wo apne priyatam ke saanso me basa hua hai.........:)
bahut sundar abhivyakti........:)
इस बारे में त हमरे पास कहने को कुछ नहीं है..लेकिन आपका खोना पाना, हाँ नहीं का सच सब इस कहानी में है... अऊर एही सच हैः
जवाब देंहटाएंआओ तुम मेरे पास आओ.
मैं तुम्हारे पास नहीं आऊँगी.
तुम मेरे पास आओ.
तुम्हारे पास नहीं आऊँगी.
मेरे पास आओ.
पास नहीं आऊँगी.
पास आओ.
नहीं आऊँगी.
आओ.
आऊँगी.
बहुत गूढ़ भाव लिये है यह कविता। लगता है जैसे प्रेम का तथ्य स्वीकार कर लेना उन विविध झाँकियों का पटाक्षेप हो जायेगा जो इतनी रोचक हैं।
जवाब देंहटाएंझूठ बोले कौवा काटे काले कौवे से डरियो!!!!
जवाब देंहटाएंप्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in
http://vyangyalok.blogspot.com
उसके दर से आने वाली
जवाब देंहटाएंहर राह पर आंख बिछाना
हर आहट पर चौंक कर
दरवाजे तक हो आना
यही है आज के जीवन का यथार्थ
दिल में गहरे बैठ गई आपकी ये प्रस्तुती
दी...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंअब ये सफाई किसलिए ,काम की ?
जवाब देंहटाएंdil ko bahlaane ko gaalib khyaal achchha hai !
क्या अंदाज़ बयाँ है बरबस साहिर याद आ गए !! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंएक गीत हमें भी याद आया "तुम्हें हो ना हो मुझको तो, इतना यकीं है, मुझे प्यार तुमसे, नहीं है नहीं है" :-)
जवाब देंहटाएंbehtreen abhivykati hai har lafz dil ko chu lene waala hai ..
जवाब देंहटाएंक्या यही सच है....कभी स्वयं से सवाल करो तो....पहेले की जो चार पंक्तियाँ लिखी वो क्यों लिखी ???
जवाब देंहटाएं:):)
लेकिन बहुत अच्छा लिखा ...कितना झूठा दावा है. हा.हा.हा.
Vah..kya baat hai....
जवाब देंहटाएंएक एक पंक्ति बार बार कह रही है कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ - भले ही मुझे इसका अहसास न हो.
जवाब देंहटाएंलेकिन ऐसा कहने वाले अक्सर गलत पाए जाते हैं।
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता के लिए शुभकामनाएँ।
………….
सपनों का भी मतलब होता है?
साहित्यिक चोरी का निर्लज्ज कारनामा.....
... प्रसंशनीय रचना !!!
जवाब देंहटाएंsunder rachna...sadhuwad swikaren...
जवाब देंहटाएंस्वाधीनता दिवस पर हार्दिक शुभकामानाएं.
जवाब देंहटाएंबेहद प्रभावशाली पोस्ट !
जवाब देंहटाएंsamay हो तो अवश्य पढ़ें:
पंद्रह अगस्त यानी किसानों के माथे पर पुलिस का डंडा
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_15.html
एक एक पंक्ति बार बार कह रही है कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ - भले ही मुझे इसका अहसास न हो.
जवाब देंहटाएंभावनाओं की अभिव्यक्ति में कैसा विरोधाभास है ..शायद इसी 'ना' में 'हाँ 'छुपी हुई है..एक गीत याद आता है ...रुना लैला का ---मुझे प्यार तुमसे नहीं है मगर मैं ने ये राज अब तक न जाना...क्यूँ प्यारी लगाती हैं बातें तुम्हारी...मैं क्यूँ तुमसे मिलने का ढूढूँ बहाना!
जवाब देंहटाएंsundar rachna!
जवाब देंहटाएंsundar blog:)
kisi rchna ko sundar aur asundar ahne ka hq mujhe tbhi jb main use smjh paoon. imaandari se kah rhi hun .mujhe bilkul smjh nhi aai ki aap kahana kya chahti hain aur..........kewal kisi ko khush krne ke liye yaa upasthiti drz krwaane maatr ke liye main waah waah kaise kr dun.aashcharya! fir kyon tumhare 'aansuon me uski kmi hai aur muskraaht main 'uski' yaaden?
जवाब देंहटाएंbina pyaar ke ye sb ahsaas???
ha ha ha
bhgwaan ke qareeb aaii aur duur chali gai, pagli!
zabardast abhivyakti..:)
जवाब देंहटाएं