गुरुवार, 5 अगस्त 2010

इधर उधर बिखरे कुछ शेर जो कभी नज़्म बन जायेंगे ...



चेहरे पर ये लकीरें नहीं उम्र के निशान
आंसू हैं जो सूख गये बिन पोंछे ही ....

सितम कर-कर के दिल भरा नहीं आपका
जब भी मिलते हैं कह्ते हैं मुस्कुराईये
तीर अभी और क्या बाकि हैं तरकश में
कह्ते हैं जो रुक जाईये अभी न जाईये.....


अजनबी हो ना जाउं खुद से
इतना अपनापन है उन निगाहों में
रूठे तो भी रूठा ना लगे
इतनी मुस्कराहट है उन निगाहों में...

मेरे ख्वाबों का महल शीशे सा
वो पत्थर उठाये हाथों में
एक वार हमने बचाया
तो बुरा मान गये ....
निगाहें झुकाये सलाम करते तो
ठीक था
डाल आंखों मे आंखें मुस्कुराये
तो बुरा मान गये ....


आज तन्हाई में जब सोचा तेरे बारे में
खुद पर ही हंसी आ गयी
तू और तन्हाई
मुमकिन ही नही ...

सीलन भरी कोठरी में
एक लकीर रोशनी की
दर्द भरी जिंदगी में
ऐसा है प्यार तेरा ...


घुट जाता है जब दिल घने बादलों की तरह
बरस जाती हैं आंखें बारिश की बूंदों की तरह ...


करती रही दुनिया लेकर जिसका नाम बदनाम
बस उसकी ही जुबां पर कभी आया नहीं मेरा नाम ....


इधर उधर बिखरे कुछ शब्द ...कभी किसी ब्लॉग पर कमेन्ट करते हुए ...या कभी किसी कागज के पिछले हिस्से पर यूँ ही उकेरे हुए ...क्या पता कभी कुछ और पंक्तियाँ जुड़ जाए तो पूरी नज़्म या ग़ज़ल ही बन जाए ...तब तक भूल ना जाऊं इसलिए इकट्ठे कर दिए हैं यही ....

28 टिप्‍पणियां:

  1. दी....... बहुत अच्छी लगी यह नज़्म... आपके टैलेंट को सैल्यूट... दिल को छू गयी रचना...

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छी भावनाएं हैं . . .
    पलों को सहेज कर रख लेना
    काम आता है अक्सर

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. हर शेर कहीं न कहीं यादों से जुदा होगा ..अच्छा याद दिलाया आपने ...

    जवाब देंहटाएं
  5. अहा...आपने तो कई नज्मों का जुगाड़ कर लिया :)

    जवाब देंहटाएं
  6. वाणी जी..

    आज भले हों बिखरे पर...
    ये शब्द लगे हमको ऐसे....
    अहसासों से भरे हैं लगते..
    छोटी सी नज्मों जैसे...

    नज़्म, गीत हो ग़ज़ल या कविता...
    मन के भावों का संगम है...
    चंद शब्द जुड़ते हैं रहते...
    चलता जीवन में सब संग है...

    सुन्दर अहसास...

    दीपक....

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छा किया....जो इन बिखरे मोतियों को एक जगह इकट्ठा कर डाला....पता नहीं कब ये अलग अलग माला की शक्ल अख्तियार कर लें

    सीलन भरी कोठरी में
    एक लकीर रोशनी की
    दर्द भरी जिंदगी में
    ऐसा है प्यार तेरा ...

    क्या बात है...बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  8. पहले वाला शेर तो बब्बर शेर है ..
    सुपर्ब ! सब एक से बड कर एक हैं ..

    जवाब देंहटाएं
  9. बिखरे हुए भी हों तो ये शब्द बहुत ख़ूबसूरत हैं :)

    जवाब देंहटाएं
  10. aapke dwara beekhre hue sabd ko ikattha karna bha gya.......:)

    aap jaison ke blogs hamare liye MOTIVATION ka kaam karte hain...........

    naman!

    जवाब देंहटाएं
  11. ...सभी नज्मे बहुत संदर है!...बधाई

    जवाब देंहटाएं
  12. सितम कर-कर के दिल भरा नहीं आपका
    जब भी मिलते हैं कह्ते हैं मुस्कुराईये
    वाह! बहुत खूब!!

    जवाब देंहटाएं
  13. इधर उधर बिखरे शब्द जैसे मन की दास्ताँ कह गए ....सारे शेर सुन्दर हैं

    जवाब देंहटाएं
  14. आँसू जो सूख गये हैं बिन पोछे ही। ऐसी सुन्दर उपमा पहले कभी नहीं सुनी।

    जवाब देंहटाएं
  15. हर शेर बहुत ही मनभावन हैं

    अंतिम शेर तो दिल को छू गया

    जवाब देंहटाएं
  16. बानि जि, ई कौन बोल दिया आपको कि ई अधूरा सब जोड़ने से पूरा हो जाता है... हमरे गुरू जी कहते हैं कि
    कब से बैठा हुआ हूँ मैं जानम, सादे काग़ज़ पे लिख के नाम तेरा
    बस तेरा नाम ही मुकम्मल है, इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी.
    भूल जाइए कि ई सब अधूरापन समेट कर एक बेहतर पूरा नज़्म बन सकेगा... जो है उससे सुंदर त कुच्छो होइए नहीं सकता है...

    जवाब देंहटाएं
  17. सीलन भरी कोठरी में
    एक लकीर रोशनी की
    दर्द भरी जिंदगी में
    ऐसा है प्यार तेरा ...

    क्या बात है...बहुत सुन्दर
    समय हो तो पढ़ें
    हिरोशीमा की बरसी पर एक रिक्शा चालक
    http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_06.html

    जवाब देंहटाएं
  18. आपने बहुत ही बढ़िया पोस्ट लिखी है!
    --
    इसकी चर्चा तो चर्चा मंच पर भी है-
    http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/238.html

    जवाब देंहटाएं
  19. yun hi kahte gaye,
    likhte gaye
    ehsaason ke galiche per nazm ban utar gaye
    aur hamara swaagat ....
    dil ke darwaze ko kholte bhaw

    जवाब देंहटाएं
  20. शब्दों की माला बहुत सुन्दर बन आई है .............

    जवाब देंहटाएं
  21. ये आपके हैं ? या खुदा गलती हुयी मुझे इस अजीम शायारा के मूल्यांकन में !
    वाकी ये तो बहुत अच्छे हैं -इतना अच्छा लिख लिया कैसे जाता है ...
    सीधे आपके नाम से तो नहीं कहूँगा कुछ ,कल गिरिजेश की डांट खा चुका हूँ ..
    मगर यह कहने में गुरेज नहीं की शायरा की अनुभूतियाँ गजब की है ...
    करती रही दुनिया लेकर जिसका नाम ...(कौन था वो गधा फिलिस्तीन -ये अंगरेजी शब्द है )

    जवाब देंहटाएं
  22. सभी सुन्दर हैं मगर निम्न पंक्ति खास अच्छी लगी:
    "एक वार हमने बचाया तो बुरा मान गये ..."
    :)

    जवाब देंहटाएं