चेहरे पर ये लकीरें नहीं उम्र के निशान
आंसू हैं जो सूख गये बिन पोंछे ही ....
जब भी मिलते हैं कह्ते हैं मुस्कुराईये
तीर अभी और क्या बाकि हैं तरकश में
कह्ते हैं जो रुक जाईये अभी न जाईये.....
अजनबी हो ना जाउं खुद से
इतना अपनापन है उन निगाहों में
रूठे तो भी रूठा ना लगे
इतनी मुस्कराहट है उन निगाहों में...
इतना अपनापन है उन निगाहों में
रूठे तो भी रूठा ना लगे
इतनी मुस्कराहट है उन निगाहों में...
मेरे ख्वाबों का महल शीशे सा
वो पत्थर उठाये हाथों में
एक वार हमने बचाया
तो बुरा मान गये ....
निगाहें झुकाये सलाम करते तो
ठीक था
डाल आंखों मे आंखें मुस्कुराये
तो बुरा मान गये ....
वो पत्थर उठाये हाथों में
एक वार हमने बचाया
तो बुरा मान गये ....
निगाहें झुकाये सलाम करते तो
ठीक था
डाल आंखों मे आंखें मुस्कुराये
तो बुरा मान गये ....
आज तन्हाई में जब सोचा तेरे बारे में
खुद पर ही हंसी आ गयी
तू और तन्हाई
मुमकिन ही नही ...
सीलन भरी कोठरी में
एक लकीर रोशनी की
दर्द भरी जिंदगी में
ऐसा है प्यार तेरा ...
एक लकीर रोशनी की
दर्द भरी जिंदगी में
ऐसा है प्यार तेरा ...
घुट जाता है जब दिल घने बादलों की तरह
बरस जाती हैं आंखें बारिश की बूंदों की तरह ...
करती रही दुनिया लेकर जिसका नाम बदनाम
बस उसकी ही जुबां पर कभी आया नहीं मेरा नाम ....
बस उसकी ही जुबां पर कभी आया नहीं मेरा नाम ....
इधर उधर बिखरे कुछ शब्द ...कभी किसी ब्लॉग पर कमेन्ट करते हुए ...या कभी किसी कागज के पिछले हिस्से पर यूँ ही उकेरे हुए ...क्या पता कभी कुछ और पंक्तियाँ जुड़ जाए तो पूरी नज़्म या ग़ज़ल ही बन जाए ...तब तक भूल ना जाऊं इसलिए इकट्ठे कर दिए हैं यही ....
बहुत बढ़िया नज्म बन गई है!
जवाब देंहटाएं--
बधाई!
दी....... बहुत अच्छी लगी यह नज़्म... आपके टैलेंट को सैल्यूट... दिल को छू गयी रचना...
जवाब देंहटाएंअच्छी भावनाएं हैं . . .
जवाब देंहटाएंपलों को सहेज कर रख लेना
काम आता है अक्सर
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहर शेर कहीं न कहीं यादों से जुदा होगा ..अच्छा याद दिलाया आपने ...
जवाब देंहटाएंअहा...आपने तो कई नज्मों का जुगाड़ कर लिया :)
जवाब देंहटाएंवाणी जी..
जवाब देंहटाएंआज भले हों बिखरे पर...
ये शब्द लगे हमको ऐसे....
अहसासों से भरे हैं लगते..
छोटी सी नज्मों जैसे...
नज़्म, गीत हो ग़ज़ल या कविता...
मन के भावों का संगम है...
चंद शब्द जुड़ते हैं रहते...
चलता जीवन में सब संग है...
सुन्दर अहसास...
दीपक....
बहुत अच्छा किया....जो इन बिखरे मोतियों को एक जगह इकट्ठा कर डाला....पता नहीं कब ये अलग अलग माला की शक्ल अख्तियार कर लें
जवाब देंहटाएंसीलन भरी कोठरी में
एक लकीर रोशनी की
दर्द भरी जिंदगी में
ऐसा है प्यार तेरा ...
क्या बात है...बहुत सुन्दर
पहले वाला शेर तो बब्बर शेर है ..
जवाब देंहटाएंसुपर्ब ! सब एक से बड कर एक हैं ..
बिखरे हुए भी हों तो ये शब्द बहुत ख़ूबसूरत हैं :)
जवाब देंहटाएंaapke dwara beekhre hue sabd ko ikattha karna bha gya.......:)
जवाब देंहटाएंaap jaison ke blogs hamare liye MOTIVATION ka kaam karte hain...........
naman!
...सभी नज्मे बहुत संदर है!...बधाई
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएं... बेहतरीन !!!
जवाब देंहटाएंसितम कर-कर के दिल भरा नहीं आपका
जवाब देंहटाएंजब भी मिलते हैं कह्ते हैं मुस्कुराईये
वाह! बहुत खूब!!
sabhi nazme bahut khoobsurat hain.
जवाब देंहटाएंइधर उधर बिखरे शब्द जैसे मन की दास्ताँ कह गए ....सारे शेर सुन्दर हैं
जवाब देंहटाएंआँसू जो सूख गये हैं बिन पोछे ही। ऐसी सुन्दर उपमा पहले कभी नहीं सुनी।
जवाब देंहटाएंहर शेर बहुत ही मनभावन हैं
जवाब देंहटाएंअंतिम शेर तो दिल को छू गया
बानि जि, ई कौन बोल दिया आपको कि ई अधूरा सब जोड़ने से पूरा हो जाता है... हमरे गुरू जी कहते हैं कि
जवाब देंहटाएंकब से बैठा हुआ हूँ मैं जानम, सादे काग़ज़ पे लिख के नाम तेरा
बस तेरा नाम ही मुकम्मल है, इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी.
भूल जाइए कि ई सब अधूरापन समेट कर एक बेहतर पूरा नज़्म बन सकेगा... जो है उससे सुंदर त कुच्छो होइए नहीं सकता है...
सीलन भरी कोठरी में
जवाब देंहटाएंएक लकीर रोशनी की
दर्द भरी जिंदगी में
ऐसा है प्यार तेरा ...
क्या बात है...बहुत सुन्दर
समय हो तो पढ़ें
हिरोशीमा की बरसी पर एक रिक्शा चालक
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_06.html
आपने बहुत ही बढ़िया पोस्ट लिखी है!
जवाब देंहटाएं--
इसकी चर्चा तो चर्चा मंच पर भी है-
http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/238.html
Padhkar dil khush ho gaya . Bahut hi sunder .
जवाब देंहटाएंसुन्दर बन पड़ी है रचना!
जवाब देंहटाएंyun hi kahte gaye,
जवाब देंहटाएंlikhte gaye
ehsaason ke galiche per nazm ban utar gaye
aur hamara swaagat ....
dil ke darwaze ko kholte bhaw
शब्दों की माला बहुत सुन्दर बन आई है .............
जवाब देंहटाएंये आपके हैं ? या खुदा गलती हुयी मुझे इस अजीम शायारा के मूल्यांकन में !
जवाब देंहटाएंवाकी ये तो बहुत अच्छे हैं -इतना अच्छा लिख लिया कैसे जाता है ...
सीधे आपके नाम से तो नहीं कहूँगा कुछ ,कल गिरिजेश की डांट खा चुका हूँ ..
मगर यह कहने में गुरेज नहीं की शायरा की अनुभूतियाँ गजब की है ...
करती रही दुनिया लेकर जिसका नाम ...(कौन था वो गधा फिलिस्तीन -ये अंगरेजी शब्द है )
सभी सुन्दर हैं मगर निम्न पंक्ति खास अच्छी लगी:
जवाब देंहटाएं"एक वार हमने बचाया तो बुरा मान गये ..."
:)