मेरी सूरत की पहचान तुम्हारी ऑंखें
मेरे दिल की निगेहबान तुम्हारी ऑंखें
जो राज़ कह न सके लबों से
वो हर राज़ उगल गयी तुम्हारी ऑंखें
सुना है हमसे नाराज़ हो
यकीन होता तो क्यों कर
तुम्हारे दिल में हमारी मूरत
दिखा गयी तुम्हारी ऑंखें
हर सुबह हमें जगा कर गयी
हर शब् हमें रुला कर गयी
उभरे अश्क अपनी आँखों में
क्या तरल हुई तुम्हारी ऑंखें?
कश्ती टूटी पर पार कर ही आए
ग़मों की वो बहती दरिया
सहारा था तुम्हारा हमें
साहिल थी तुम्हारी ऑंखें
जिनमे संभलकर डूबे हम
जिनमे खोकर संभले हम
प्यार से प्यार जताती
हैं..सनम तुम्हारी ऑंखें
अपनी जुदाई का अफ़सोस क्या
अपने में समाये हैं तुम्हारी ऑंखें
हम किसी राह भी हो आयें
मंजिल है....तुम्हारी ऑंखें
मेरे दिल की निगेहबान तुम्हारी ऑंखें
जो राज़ कह न सके लबों से
वो हर राज़ उगल गयी तुम्हारी ऑंखें
सुना है हमसे नाराज़ हो
यकीन होता तो क्यों कर
तुम्हारे दिल में हमारी मूरत
दिखा गयी तुम्हारी ऑंखें
हर सुबह हमें जगा कर गयी
हर शब् हमें रुला कर गयी
उभरे अश्क अपनी आँखों में
क्या तरल हुई तुम्हारी ऑंखें?
कश्ती टूटी पर पार कर ही आए
ग़मों की वो बहती दरिया
सहारा था तुम्हारा हमें
साहिल थी तुम्हारी ऑंखें
जिनमे संभलकर डूबे हम
जिनमे खोकर संभले हम
प्यार से प्यार जताती
हैं..सनम तुम्हारी ऑंखें
अपनी जुदाई का अफ़सोस क्या
अपने में समाये हैं तुम्हारी ऑंखें
हम किसी राह भी हो आयें
मंजिल है....तुम्हारी ऑंखें
पुनः प्रकाशित (पुरानी डायरी से )
वाह!! ये आँखें...बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंबढ़िया....सुंदर कविता....बधाई
जवाब देंहटाएंजो राज़ कह न सके लबों से
जवाब देंहटाएंवो हर राज़ उगल गयी तुम्हारी ऑंखें
सुन्दर भाव की रचना।
नहीं है होंठ के बस में जो भषा नैन की बोले।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
क्रोध पर नियंत्रण स्वभाविक व्यवहार से ही संभव है जो साधना से कम नहीं है।
जवाब देंहटाएंआइये क्रोध को शांत करने का उपाय अपनायें !
जीवन से भरी तेरी आँखें ..
जवाब देंहटाएंमजबूर करें जीने के लिए..
सागर भी तरसते रहते हैं..
तेरे रूप का रस पीने के लिए..
बहुत सुन्दर कविता...
अपनी जुदाई का अफ़सोस क्या
जवाब देंहटाएंअपने में समाये हैं तुम्हारी ऑंखें
हम किसी राह भी हो आयें
मंजिल है....तुम्हारी ऑंखें....
ये मेरी साँसों की फितरत रही
तुम्हारी आँखों से दूर हो ना सके
अपने साथ इनको लिए चलते रहे
कोई दस्तक नहीं दी कुछ कह ना सके
अपनी जुदाई का अफ़सोस क्या
जवाब देंहटाएंअपने में समाये हैं तुम्हारी ऑंखें
हम किसी राह भी हो आयें
मंजिल है....तुम्हारी ऑंखें
bahut sundar rachna !!!
bahut sundar geet
जवाब देंहटाएंbadhi aao ko is ke liye
बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंकश्ती टूटी पर पार कर ही आये....बहुत खूबसूरत ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंkhubsurat aur prabhavi.........:)
जवाब देंहटाएं"manjil hai tumhari aankhe.....:D"
sundar geet aankhon par...manjil hain tu,mhari aankhein...bhai waah...
जवाब देंहटाएंYahi ahsaas dilko sukun pahuncha jate hain..
जवाब देंहटाएंअपनी जुदाई का अफ़सोस क्या
जवाब देंहटाएंअपने में समाये हैं तुम्हारी ऑंखें
हम किसी राह भी हो आयें
मंजिल है....तुम्हारी ऑंखें
क्या बात है....इतनी ख़ूबसूरत रचना रच डाली...नेट से दूर..यही हो रहा है आजकल..अच्छा है..हमें सुन्दर सुन्दर रचनाये पढने को मिलेंगी...आपकी हलो भले ही ना मिले...
बहुत बढ़िया - आँखों पर एक नयी और नयी तरह की रचना।
जवाब देंहटाएंपेश-ए-नज़्र है…
आँखों मे ले के वो प्यारी आँखें,
हैं तजस्सुस में कँवारी आँखें,
जाने क्या गुज़रे अब आँखों पे हुज़ूर,
झुकें-उट्ठें-मिलें-फिर जायँ तुम्हारी आँखें!
क्या भरपूर ऑंखें ?
जवाब देंहटाएं