ऋण स्नेह का
चुकाया साथ रह
चुपचाप ही !
मन बंजर
स्नेह वृष्टि से तर
उर्वर हुआ !
तुम्हारा आना
वसंत हुआ मन
पतझड़ में !
इश्क हकीकी
ना समझे है कभी
इश्क मिजाजी !
आँखें मीचें क्यों
भटकता है राही
मन कस्तूरी !
मौन की भाषा
पढ़े न सब कोई
मौन ही जाने !
नैनन देखे
पिया ही दिखे
झूठे दर्पण !
चढ़ते रहे
उम्र की थी सीढियाँ
जीवन भर !
रिश्तों की नमी
स्वार्थ की तीखी धूप
सुखा ही गई !
लफ्ज बेमानी
ख़ामोशी कह जाती
सारी कहानी !
मैं उदास हूँ
पढ़ा उसने कैसे
लिखे बिना ही !
हायकू वह विधा जहाँ पूरी बात 17 अक्षरों में कहनी हो। सिर्फ 17 अक्षर जोड़ देने से बात नहीं बनती , कम शब्दों में गहरी बात निकले तो बात होती है।
बंदिशों में लिखना थोडा मुश्किल है , कोशिश कर देखा ! कैसा है प्रयास ?!!
मन की कस्तूरी ,
जवाब देंहटाएंमहका देती जुड़े मन को ;
वही पुरानी रीत !
छोटी छोटी लहरों में नदी और सागर को समाना इसे ही कहते हैं
जवाब देंहटाएंअति सुंदर !!
जवाब देंहटाएंपहले तीन हाइकू तो बस अद्भुत हैं, भाव और शिल्प दोनों ही एक से बढ़ कर एक
रिश्तों की नमी...
जवाब देंहटाएंसुंदर हाइकूज़...गागर में सागर की तरह हैं ये...
bahut sundar hai ji ye hayku to ...
जवाब देंहटाएंबसंत सा ही खिला हायकू...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर हायकू.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : होली : अतीत से वर्तमान तक
उम्दा हाइकु
जवाब देंहटाएंगागर में सागर...सभी हायकू दिल को छू लेते हैं...अंतिम बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंतुम्हारा आना
जवाब देंहटाएंवसंत हुआ मन
पतझड़ में .
वहुत सुन्दर है सभी हाईकू !
bahut sundar :-)
जवाब देंहटाएंबहोत ही खूबसूरत....गहन और अर्थपूर्ण ...!!!
जवाब देंहटाएंबंदिश में भी
जवाब देंहटाएंसुख ही सुख ढूंढो
उम्दा हाइकु ।
नैनन देखे
पिया ही दिखे
झूठा दर्पण । इसे एक बार फिर देखें । ऐसा कैसा रहेगा ?
नैनन देखे
प्रीतम का ही अक्स
झूठा दर्पण ।
बेहतरीन है जी !
हटाएंबहुत आभार !
बल्ले बल्ले जी. बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंमन भावन हाइकू
जवाब देंहटाएंबहुत ही ख़ूबसूरत ,गहरे अर्थ लिए
जवाब देंहटाएंमुझे परेशान करने का यहे अच्छा तरीका निकाला है... मैं तो कम शब्दों में कुछ कह ही नहीं पाता.. बातों को गोल गोल घुमाकर ब्लॉग पर लिखता हूँ और कमेण्ट में ज़बर्दस्ती की फ़िलॉसफ़ी छाँटता फिरता हूँ. ऐसे में 17 अक्षरों की बन्दिश... वो भी तब, जब कि मैं अनपढ़ हूँ इस विधा में.. फिर भी कुछ कहा है.. हँसियेगा मत बिल्कुल भी प्लीज़..
जवाब देंहटाएंसरस रचनाएँ
मधुर हैं भाव
अनुपम!
मैं तो महा अनपढ़ हूँ हर विधा में :)
हटाएंअब सीख रही हूँ !
पहली पंक्ति में सात नहीं पांच अक्षर होने हैं, दूसरी में सात , तीसरी में पांच . अनुपम में चार अक्षर ही रह गए , 5-7-5 लिखने है पंक्ति अनुसार !
सलिल जी
हटाएंइस तरह लिखिए -
सरस भाव
मधुर रचनाएं
अनुपम हैं ।
दीदी! यही मुझे नहीं आया.. होता ही नहीं मुझसे!! नज़्म जितनी भी जैसी भी लिखवा ले मुझसे कोई.. मगर ये शब्दों की कंजूसी (हाईकू) मुझसे नहीं होती!! :)
हटाएंअरे, धन्यवाद कहना तो भूल ही गया!!
वाह ... सभी एक से बढ़कर एक हाइकू
जवाब देंहटाएंheart touching .......
जवाब देंहटाएंसंक्षिप्त में छिपे बड़े अर्थ।
जवाब देंहटाएंआप जो भी करते हो, बेहतरीन करते हो :)
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना.....
जवाब देंहटाएंसच कहूँ तो मुझे हायकू बहुत नहीं भाते....कुछ कमी सी लगती हैं..
मगर आपकी रचना बहुत ही सुन्दर और सम्पूर्ण है...
सस्नेह
अनु
प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंvery nice...umr ki sidiya..
जवाब देंहटाएंमनमोहक , सुन्दर हायकू
जवाब देंहटाएंये मात्र कोशिश नहीं मुकम्मल हाइकू हैं ... बहुत ही मनभावन, प्रेम में पगे ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भावपूर्ण हाइकु...
जवाब देंहटाएंक्या बात है। लाजवाब रचना।
जवाब देंहटाएंकम शब्दों ,में गहरी बात बने तो बात बने ... सच कहा है ... हाइकू तो तभी सार्थक है ...
जवाब देंहटाएं☆★☆★☆
मन बंजर
स्नेह वृष्टि से तर
उर्वर हुआ !
तुम्हारा आना
वसंत हुआ मन
पतझड़ में !
वाह ! वाऽह…! बहुत सुंदर !
आदरणीया वाणी जी
बहुत सुंदर हाइकु लिखे आपने..
साधुवाद
शुभकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार