सुनहरी धूप में
आँखों को चौंधियाते
भुरभुरी रेत के टीबे से
होते हैं कुछ ख़याल
पास बुलाते हैं इशारे से
छू कर देखे तो
पल में बिखर जाते हैं !
उम्र की सरहदों के पार
बालों से झांकती सफेदी के बीच
मोतियाबंदी आँखों में झिलमिलाते
पोपले चेहरे की लजीली मुस्कराहट
हमसाया सा आस -पास
जीवन भर रहता एक ख़याल !!
अहसास की किताबों के पन्ने
लिखे जाते हैं स्वयं ही
मन हुआ तो पढ़ लिया
वर्ना पन्ने पलट दिए .
ऐसे ही किसी पन्ने पर
लिखा हुआ कोई ख़याल !!
काली गहरी रात के वितान पर
सुनहरे सितारों से सजा
बेखटके निहारते
आसमान पर टांग दिया
एक खयाल !
जीवन मुट्ठी से फिसलती रेत -सा
पलकों के इर्द गिर्द रहा एक ख्याल
मुद्दतों यही सोच कर आँखें रोई नहीं
गीली रेत पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं .!!
अहसास...ख्याल...लम्हों के दरम्यान भटकता रहा !
जवाब देंहटाएंहूँ, इतनी सावधान! कहीं कुछ दिख न जाय कुछ जान ज पड़े -और अंतस में चलती एक रुमान कथा !
जवाब देंहटाएंअंतिम पंक्तियों ने रचना को जीवंत अर्थ दिया। मैं केवल इन्हीं चार पंक्तियों के आलोक में पूरी कविता दुबारा पढ़ गया।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार।
जीवन, जो बीत रहा है, बीतता जाता है। कुछ पल ऐसे हैं जो कहीं टंगे से बस रह जाते हैं।
जवाब देंहटाएंमुद्दतें यही सोच आँखे थमी रहीं,
जवाब देंहटाएंकि गीली रेत पर नज़र आते हैं कदमों के निशाँ |
बहुत खूब |
आसमान पर टंगा ख्याल..सबको याद दिलाता..यादों की डगर दिखाता..
जवाब देंहटाएंजीवन मुट्ठी से फिसलती रेत -सा
जवाब देंहटाएंपलकों के इर्द गिर्द रहा एक ख्याल
मुद्दतों यही सोच कर आँखें रोई नहीं
गीली रेत पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं .!!
जिंदगी के इस पड़ाव की सच्ची अभिव्यक्ति !!
जीवन को अर्थ देते हैं ये ख्याल....
जवाब देंहटाएं:) kitna pleasant lag raha hai yah padh kar .. vani ji - hats off :)
जवाब देंहटाएंखयालो के झुरमुट से झांकती रूमानियत , शब्दों के माध्यम से फलक पर . बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंकिसी के खयाल में हम भी होंगे
जवाब देंहटाएंसोचा न था,
यह ख्याल ही अब बेचैन करता है !
...अच्छी कविता!
aaj ki kavita ne amrita pritam ki lekhni ki yaad dila di...
जवाब देंहटाएंjindgi k vitaan par aankhe laga kar aakash k us paar dekhoge to kuchh aise hi nazare nazar aayenge.
sunder shabdo me dhala...lekin likhne me kuchh anmani si lag rahi ho.
aasman par tanga khayal.. shabdo me saja hua.. deekh raha khubsurat sa:)
जवाब देंहटाएंउम्र की सरहदों के पार
जवाब देंहटाएंबालों से झांकती सफेदी के बीच
मोतियाबंदी आँखों में झिलमिलाते
पोपले चेहरे की लजीली मुस्कराहट
हमसाया सा आस -पास
जीवन भर रहता एक ख़याल !!
इन पंक्तियों को स्वयं से जुड़ा महसूस कर रही हूँ :):)
नमी न रहे
मन की रेत पर
इस लिए
खुश्क हैं आँखें
कदमों के निशां
गहरे न हो जाएँ
आसमान पर टंगा
एक खयाल ही काफी है ।
कोमल भावों से भरी सुंदर रचना
निःशब्द करती रचना वाह क्या बात है बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंअरुन शर्मा
www.arunsblog.in
जीवन मुट्ठी से फिसलती रेत -सा
पलकों के इर्द गिर्द रहा एक ख्याल
मुद्दतों यही सोच कर आँखें रोई नहीं
गीली रेत पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं
तेरा होना जैसे कि कोई ख़याल....
जवाब देंहटाएंऔर तेरा न होना....???
ख़्वाबों से खाली नींदें???
बहुत सुन्दर रचना वाणी जी..
अनु
वाह वाणी जी बढ़िया
जवाब देंहटाएंखूबसूरत से ख़याल, खूबसूरत से शब्दों के जरिये..बहुत ही सुन्दर वाणी जी!
जवाब देंहटाएंआभार !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना....बधाई वाणी जी,,
जवाब देंहटाएंrecent post: बात न करो,
खूबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंयही एक ख्याल ही बहुत है जीने के लिए..अच्छी लगी..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंभाव और शब्द प्रयोजन उम्दा लगे !
जवाब देंहटाएंबढ़िया बिम्ब सजाएं हैं भाव जगत को शब्दों ढालने के लिए ,तस्वीर है की बनती नहीं निर्माण ज़ारी है .अन्वेषण भी खुद का .
जहन में उठते ख्यालों को शब्दों का खूबसूरत आवरण पहनाया है बहुत बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंkhubsurat shabdo ki malaa haen yae kavitaa
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति - गहन भावों को सुन्दर शब्दों में पिरोया है आभार !
जवाब देंहटाएंउम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई.....वाणी दी
हटाएंकुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ
वाणी दी मेरी नै पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंमेरे पिता ही मेरी माँ --दिसम्बर जन्मदिन पर विशेष
पापा जी को एक छोटी सी भेंट कविता के रूप में ...............!!
http://sanjaybhaskar.blogspot.in/2012/12/2.html#links
जितने मनोरम भाव उतनी ही ललित शब्दावली -यह कविता पढ़ कर मन आनन्द से भर गया -आभार आपका !
जवाब देंहटाएंमन को छू के आसपास ही अटक के रह जाती ए ये रचना ...
जवाब देंहटाएंगहरे एहसास जो मन को झोंके के तरह एहसास में ले गोते लगवाते हैं ...
मन के सोये तारों को झंकृत सा कर जाती बहुत ही सुन्दर रचना ! वाणी जी बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं इस अनुपम कृति के लिए !
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना है
जवाब देंहटाएं- vivj2000.blogspot.com
वाह बहुत ही खुबसूरत ।
जवाब देंहटाएंक्या ज़रुरत है अपना दर्द बयां करें ...
जवाब देंहटाएंbahut hi marsparshi panktiya.... behatarin prastuti.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।।
जवाब देंहटाएंजीवन के खट्टे-मीठे अनुभव ही ख्याल बन कर दिल में घर कर लेते हैं..बहुत सुंदर रचना इन्हीं ख्यालों को बयान करती !
जवाब देंहटाएं♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥नव वर्ष मंगबलमय हो !♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
जीवन मुट्ठी से फिसलती रेत-सा
पलकों के इर्द गिर्द रहा एक ख़याल
मुद्दतों यही सोच कर आंखें रोई नहीं
गीली रेत पर क़दमों के निशां साफ़ नज़र आते हैं !!
वाह वाऽह वाऽऽह !
क्या बात है !
ओजपूर्ण शब्द !
ख़ूबसूरत और सार्थक रचना !
आदरणीया वीणा जी
…आपकी लेखनी से सुंदर रचनाओं का सृजन ऐसे ही होता रहे, यही कामना है …
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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हरेक पंक्ति दिल को छू जाती है.बहुत हहन और भावपूर्ण अभिव्यक्ति..नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने ..
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं !!
नया साल आपको भी शुभ और मंगलमय हो.
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएँ
sunder rachna..
bahut hi gahre bhaw liye prastuti.....
जवाब देंहटाएंगीली मुट्ठी पर क़दमों के निशान साफ़ नजर आते हैं. वाह वाह क्या बात है
जवाब देंहटाएं