सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

पर अब जो आओ बापू.....



देश में जो हाहाकार मची है
मारकाट चीखपुकार मची है
टुकड़े टुकड़े हो जाए ना
आर्यावर्त कहीं खो जाए ना

जाति पांति की हाट सजी है
मजहब की दीवार चुनी है
स्वतंत्रता कहीं बिक जाए ना
देश मेरा खो जाए ना

जाति धर्म प्रान्त भाषा कुर्सी की यह जंग
देश को अनगिनत सूबों में बदल जायेगी
फिर कोई ईस्ट इंडिया कंपनी व्यापार के बहाने
हम पर हुकूमत चलाएगी
नींद से जागेंगे जब हम भारतवासी
फिर बापू तुम याद आओगे
इस देश में बापू तब ही
 तुम फिर से पूजे जाओगे

आर्त पुकार  सुनकर तुम कही घबराओगे
पुनर्जन्म पाकर जो फिर से लौट आओगे
स्वदेश की अलख फिर से जगाओगे
फिर से राष्ट्रपिता की पदवी पा जाओगे
सच कहती हूँ बापू तुम फिर से पूजे जाओगे

पर अब जो आओ बापू
मत आना इनके झांसे में
बहकाए ना फिर से तुमको 
ना शामिल होना इनके तमाशे में

सलाह मेरी पर ध्यान धरना
तीन बन्दर जरुर साथ रखना
पर पहले की तरह ये मत कहना
बुरा मत देखो बुरा मत कहो बुरा मत सहो
इस बार अपना संदेश बदलना
आँख कान मुंह हमेशा बंद ही रखना
स्वदेश मंत्र को हाशिये पर रखना
सत्ता जंतर का पूरा स्वाद चखना

भावुकता के पचडे में मत पड़ना
हाथ जोड़ कर विनम्रता से कहना
राष्ट्रपिता के पद का मुझे क्या है करना
मेरी झोली तो तुम छोटे से मंत्री पद से भरना
पाँच वर्षों में ही झोली इतनी भर जायेगी
सात न सही चार पीढियां तो तर ही जायेंगी


ज्ञानवाणी से प्रकाशित

45 टिप्‍पणियां:

  1. नैतिक अवमूल्यन के इस दौर में जब हर इन्सान अपनी खोली भरने के लिए किसी भी स्तर तक नीचे गिर सकता है, गाँधी जैसे महापुरुष पर छीटे पड़ने की प्रबल सम्भावना के माध्यम से सुँदर कटाक्ष . काजल की कोठरी में कैसो भी सयानो जाय --

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  2. आर्त्र पुकार सुनकर तुम कही घबराओगे
    पुनर्जन्म पाकर जो फिर से लौट आओगे
    स्वदेश की अलख फिर से जगाओगे
    फिर से राष्ट्रपिता की पदवी पा जाओगे
    सच कहती हूँ बापू तुम फिर से पूजे जाओगे.....

    फिर से ? ज़रूरत नहीं,---- न वह जज्बा रहा,न देश प्रेम ! पुजवाना नहीं मुझे खुद को, ना ही चाहिए कोई संबोधन-जो समय के साथ किसी कोने में रख दिया जाए.
    हर एक में मैं हूँ,बिना घबराये जन्म लो और देश की स्थिति को मजबूत करो....

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  3. बहुत बढ़िया वाणी जी....
    चुभती हुई रचना...
    बेहतरीन कटाक्ष.

    सादर
    अनु


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  4. गांधीवाद के नाम पर नैतिकता के पतन पर एक बेहद संवेदनशील रचना!!

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  5. बापू बापू
    अब कहां कहां

    अपना चेहरा ढापूं।

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  6. बापू तो समझ गए थे आज की राजनीति ॥तभी तो किनारा कर लिया था ... तीखा व्यंग्य

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  7. बेलगाम होती परिस्थितियां ..तुम्हारे भी बस में भी नहीं आएँगी बापू...
    सुन्दर रचना बेहतरीन कटाक्ष.

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  8. ओह बहुत ही सटीक व्यंग ....
    सच मे ...दुर्दशा है ...!!

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  9. क्या कहें..सिर्फ नमन कह देते हैं बापू को..

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  10. उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।

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  11. आज के हालात देख कर बापू की आत्मा कितनी दुखी होती होगी...बापू को नमन..

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  12. आज के हालात ऐसे ही भाव मन में जगाते हैं.
    बड़ा तीखा कटाक्ष....बढ़िया कविता

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  13. सब तरफ़ जिस प्रकार नैतिकता का क्षरण हो रहा है उसको केन्द्र में रखकर लिखी गई यह रचना व्यवस्था पर तीखा व्यंग्य करती है।

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  14. बेहतरीन व्यंजना तंज आज की स्थितियों पर .

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  15. बहुत ही सटीक व्यंग...सार्थक रचना...

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  16. aaj ka karara vyangy.

    n jane kyu apni rachna ki tulna me apki is utkrisht rachna se karne lagi aur paya ki meri rachna kitni kamjor hai iske aage.

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    1. रुलाना है तो झगडा कर लो जी भर के , ऐसे ताने तो मत दो :)

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  17. आज के हालात देखकर इस तरह के विचार उठाना स्वाभाविक है. सुंदर प्रस्तुति.

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  18. वाह ! वाणी जी , आपने बापू को इतनी सुन्दर सीख दे डाला कि मैं भी मचल उठी . काश.. एक मौका मिल जाता तो अपनी चार पीढ़ी को तो ताड़ ही देती .बहुत ही अच्छी लगी रचना..

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  19. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
    आपकी वाणी ने अनुपम गीत गाया है.

    आभार,वाणी गीत जी.
    समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर आईएगा.

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  20. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  21. बापू की आवाज तो आज के शोर में दब ही जाती..मार्मिक रचना !

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  22. पाँच वर्षों में ही झोली इतनी भर जायेगी
    सात न सही चार पीढियां तो तर ही जायेंगी
    ..sahi bat bahut acch wyang aaj ke haalaat ka...

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  23. इस समय वे आ भी गये तो पहुँचे हुए लोग कोई ढोंगी है कह कर दफ़ा कर देंगे !

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  24. बहुत समय से नई रचना नहीं आई..

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  25. बेह्तरीन अभिव्यक्ति .बहुत अद्भुत अहसास.सुन्दर प्रस्तुति.
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

    मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
    जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
    ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
    लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..

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  26. ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
    ♥~*~*~ஜ●दीपावली की रामराम!●ஜ~*~*~♥
    ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
    सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
    लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान

    **♥**♥**♥**●राजेन्द्र स्वर्णकार●**♥**♥**♥**
    ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ

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  27. प्रभावी व्यंग ...
    बापू न हो आएं तो अच्छा ...

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