आनासागर , अजमेर |
सिक्के के दो पहलूओं की ही तरह एक ही झील एक साथ अनगिनत विचार स्फुरित करती है . कभी स्वयं परेशान हैरान त्रासदी तो कभी झिलमिलाती खुशनुमा आईने सी , जैसे दृष्टि वैसे सृष्टि- सी ... जिस दृष्टि ने निहारा झील को या कभी ठहरी तो कभी लहरदार झील की आकृतियों के बीच अपने प्रतिबिम्ब को, अपनी स्वयं की दृष्टि-सा ही दृश्यमान हो उठता है दृश्य .
झील जैसे स्त्री की आँख है
झील जैसे स्त्री की आँख है
कंचे -सी पारदर्शी पनियाई
आँखों के ठहरे जल में
झाँक कर देखते
अपना प्रतिबिम्ब हूबहू
कंकड़ फेंका हौले से
छोटे भंवर में
टूट कर चित्र बिखरना ही था ...
झीलों के ठहरे पानी में
कुछ भी नष्ट नहीं होता
लौटा देती तुम्हारा सम्पूर्ण
सहम कर भी कुछ देर ठहरना था
झील के सहज होने तक !
झीलें है कि गाती- मुस्कुराती स्त्रियाँ
समूह में गाती- मुस्कुराती स्त्रियाँ
आत्ममुग्धा आत्मविश्वासी स्त्रियाँ
दिखती है उन झीलों- सी
जुडी हुई हैं जो आपस में नहरों से ...
झीलें जो जुडी हुई आपस में नहरों से
शांत पारदर्शी चमकदार जल से लबालब
आत्मसंतुष्ट नजर आती हैं जैसे कि
करवा चौथ पर या ऐसे ही किसी पर्व पर
अपनी पूजा का थाल एक से दूसरे तक सरकाते
और अपनी थाली फिर हाथ तक आते
एक दूसरे के कान में फुसफुसाती
ठहाके लगाती ,मुस्कुराती स्त्रियाँ !!
झील की सतह पर तैर आये तिनके
धूल मिट्टी या कंकड़
एक से दूसरी झील तक आते
धुल जाते हैं
किसी झील की आँख का पानी सूखा कि
सब बाँट कर अपना जल
भर देती है उसे
किसी झील में किनारे पड़ी है गंदगी
काई होने से पहले
दूसरी झीलें बाँट कर अपना थोडा जल
भर देती हैं लबालब कि छलक जाए
छलकती झीलें पटक देती हैं
कूड़े को किनारे से बाहर !
झीलों के किनारे पड़े
कंकड़- पत्थर , कूड़ा करकट
जैसे अवसर की तलाश में हैं
झीलों के बीच बहने वाली
नहर के
सूख जाने को प्रतीक्षारत!!
गहरी, स्थिर, सिरहन करती
जवाब देंहटाएंगहन भावभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंनीले आंचल के तरह लहराती झील :)
जवाब देंहटाएंवाणी जी आपके भाव बहुत गहन होते हैं ...सबल ...निर्भीक ....!!
जवाब देंहटाएंएक अलग ही उर्जा होती है आपकी रचनाओं में ...!!
विशिष्ट है ये रचना .....बहुत बधाई इसके लिए ...!!
वाह ...
जवाब देंहटाएंआत्ममुग्धा आत्मविश्वासी झीलें !!
ये ऎसी ही बनी रहें !
शुभकामनायें !
ये झीलें बहुत खूबसूरत हैं...
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहन भाव लिए विशिष्ट अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंsashakt prateek/bimbo ke prayog se rachna khas ban gayi hai jime apki gehan vichar sheelta ka parichay milta hai.
जवाब देंहटाएंझील ...स्त्री हृदय सी विशाल ..जो सब कुछ अपने भीतर समेट लेती है
जवाब देंहटाएंराजस्थान की झीलें उपमेय हैं ,बिलकुल ऐसी ही !
जवाब देंहटाएंवाह ..कितने आयाम झील के ..पर सब के सब सुन्दर,बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लगे ये एहसास... पहली नज़्म मुझे ज्यादा अच्छी लगी, पता नहीं क्यूँ... :)
जवाब देंहटाएं************
प्यार एक सफ़र है, और सफ़र चलता रहता है...
बहुत सुन्दर...सुन्दर एहसास....
जवाब देंहटाएंसादर
अनु
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआभार !
बढ़िया प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआशा
बेहद गहन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंझील जैसे शांत और गंभीर प्रकृति को नारी से तारतम्य खूबसूरती से जोड़ा है. बहुत गहन भावों को पिरोया है शब्दों में. आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत गहन और सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंझील और नारी मन दोनों की अतुलनीय गहराई और सौंदर्य को उकेरती सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंबहुतसुन्दर झील के बिम्ब द्वारा नारी के विभिन्न गुणों को प्रस्तुत करती रचना बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावमय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंगहन भाव अभिव्यक्त किये हैं आपने.
जितनी सुन्दर झील उतनी ही सुन्दर सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
झील से गहरे भाव, वाह
जवाब देंहटाएंझीलों का बिम्ब लेकर बहुत गहरा सन्देश देने का सार्थक प्रयास.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
झीलें हंसती मुस्कुराती ही रहेंगी...नहरें उन्हें जोडती रहेंगी आपस में...किनारे पड़े कंकड़ पत्थरों को अपना इरादा बदल देना होगा, अब झील नहीं सूखने वाली..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता
आपने झील को केन्द्र में रखकर बहुत से ऐसे दृश्य प्रस्तुत किए हैं जो हमारे समय-काल के परिवेश को अपने में समेटे हमारी हालत की खबर लेती हैं।
जवाब देंहटाएंसुन्दर , सुन्दर , बहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंझीलों का बिम्ब ..... बेहतरीन !
जवाब देंहटाएंबेहद खुबसूरत वाणी जी ...झील को पहली बार किसी और दृष्टिकोण से भी जाना
जवाब देंहटाएंझील को बिम्ब बनाकर,इस अनुपम प्रस्तुति के लिये,वाणी जी बधाई,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : गीत,
झील के सहज होने तक
जवाब देंहटाएंठहरना पड़ता है
देखने के लिए
अपना चेहरा।
बेताब निगाहें
नहीं जान पातीं
झील की गहराई
या
अपना चेहरा।
झील को चाहिए होता है
सोते का जल
जो उसे सूखने नहीं देता
चहकाता रहता है
हमेशा।
सड़ने लगती है
ठहरे नीर वाली झील
रहने नहीं देते उसे पवित्र
उसके चाहने वाले।
kya kavita rachi hai......wah.
जवाब देंहटाएं'झीलों के ठहरे पानी में ....
जवाब देंहटाएंलौटा देती हैं तुम्हारा संपूर्ण !'
- जैसे झील ,लेती नहीं है किसी से कुछ,
स्त्रियाँ लेती हैं बढ़ा कर लौटा देने के लिये !
कल 30/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत आभार !
हटाएंबहुत सुन्दर भाव ...
जवाब देंहटाएंबहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंसहज अभिव्यक्ति पर भाव बहुत गहरे हैं .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर … गहरी, शांत झीलें … लाज़वाब शब्द चित्र
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भाव, शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंरामराम
#हिन्दी_ब्लागिंग