गुरुवार, 8 मार्च 2012

हमारे बसाये इस घर के सिवा मैं नहीं हूँ ....



हमारी कुंडलियों के ग्रह- नक्षत्रों ने मिलाया हमें
लोंग कहते हैं इन्ही नक्षत्रों ने दिया है हमें
एक संघर्षपूर्ण जीवन ...
मैं हंसती हूँ अक्सर
गृह की मजबूती के आगे नत मस्तक होते हैं ग्रह - नक्षत्र !
यह सिर्फ मेरा आत्मविश्वास नहीं
विश्वास है उस ईश्वर पर
जिसकी अंगुली थामे हम जीवन पथ पर साथ बढ़ते रहे हैं!
कभी प्रेम से ,कभी लड़ते -झगड़ते भी ...
उसने संघर्षों के ज्वालामुखी की आंच पर तपाया है
हमारे इस गठजोड़ को ...
अब किसी से कोई भय नहीं !!!
उस ईश्वर को साक्षी मानकर
अपनों की फेरी नजरों के बीच
तिनका- तिनका जोड़ा हमने आशियाना
एक कमरे की बिना प्लास्टर ,उधडी दीवारों को
हमने बदल दिया घर में ...
और उसने हमें दिया एक खूबसूरत सा दिखने वाला घर भी !
नन्ही चिड़ियों को दाना- पानी दिया हमने और
उसने हमारे घर को भर दिया चहचहाहट से !
अपनी कूचियों के रंग छिड़क कर
रंग बिरंगा कर दिया उसने हमारा आँगन !
उसी ईश्वर को साक्षी मान
तुमने मुझे बहुत कुछ दिया !
दे सकती हूँ मैं जो तुम्हे
वह है सिर्फ एक विश्वास
लौटोगे जब भी घर
जीत कर या हार कर
मैं यही हूँ .....
हमारे बसाये इस घर के सिवा मैं नहीं हूँ ....
कहीं नहीं हूँ !


भर -भर दुआएं और शुभकामनायें दी हैं आप सबको , कुछ प्रतिशत तो लौटायेंगे ना बिना किसी दुर्भावना के ...क्यों , क्या अब यह भी बताना होगा !!!!
इसी अवसर पर एक बहुत प्यारी सी कविता अपने खजाने से ....

30 टिप्‍पणियां:

  1. संघर्ष लिखा है नक्षत्र क्या कर लेंगे।

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  2. जीवन में संघर्ष रहेंगे ही, उसी में आत्ममगन हो रहना है। नक्षत्रों का क्या भरोसा, वे कहाँ अपने थे।

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  3. बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति,..
    होली कि बहुत२ बधाई शुभ कामनाए,...

    RESENT POST...फुहार...फागुन...
    RECENT POST...काव्यान्जलि
    ...रंग रंगीली होली आई,

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  4. अपने गृह के आगे ,
    अपने दृढ़निश्चय के आगे,
    अपने इश्वर के आगे,

    कहीं कोई नहीं है,
    ग्रह-नक्षत्र या कोई बाधा,
    हमने ऐसे जीवन साधा !

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  5. गृह की मजबूती के आगे नत मस्तक होते हैं ग्रह - नक्षत्र !... iss ek pankti me sab kuchh samahit hai.. !!
    holi ki shubhkamnayen di..

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  6. सब पूर्वनिश्चित होता है ...ग्रह नक्षत्र अपना खेल खेलते हैं और हम संघर्ष करते हैं ... आज कुछ विशेष दिन लगता है ... चलिये शुभकामनायें तो ले ही लीजिये ... शुभकामनाओं के लिए विशेष दिन की आवश्यकता नहीं होती ...

    सुंदर रचना

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  7. एक कमरे की बिना प्लास्टर उधडी दीवारों को
    हमने बदल दिया घर में ...
    ईश्वर को साक्षी मान
    तुमने मुझे बहुत कुछ दिया !
    दे सकती हूँ मैं जो तुम्हे
    उसी ईश्वर को साक्षी मानकर
    वह है सिर्फ एक विश्वास
    लौटोगे जब भी घर
    जीत कर या हार कर
    मैं यही हूँ .....
    हमारे बसाये इस घर के सिवा मैं नहीं हूँ ....
    कहीं नहीं हूँ !
    ....... ईश्वर का आशीर्वाद घर की दीवारों को हमेशा मजबूत रखे , आशीषों की बारिश में यह बंधन नेह रंग से भीगा रहे .

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  8. नक्षत्रों को अपना काम करने दीजिए.हम अपना संघर्ष करते हैं.कुछ तो खास है आज.तो बहुत शुभकामनायें.घर की दीवारों की मजबूती बनी रहे.

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  9. जो भी विशेष अवसर है उसके लिये हार्दिक शुभकामनायें…………बाकि ग्रह नक्षत्र आपसी प्रेम से बढकर नही होते।

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  10. भावों का सुन्दर प्रगटीकरण ।।

    शुभकामनायें |

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  11. ढेर सी शुभकामनाये इस प्यारी सी रचना के निर्माण के लिए...

    और भी सारी उस वजह के लिए जो आपने इसे लिखा....
    शायद सालगिरह कोई...???

    शुभकामनाएँ.

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  12. बिना पलास्टर की उघड़ी दीवारों को
    घर में बदल दिया है
    जब प्रेम का गारा, मिट्टी सिमेंट हो तो मकान घर ही बन जाता है। यह जल हमेशा आपके परिवार को सींचता रहे।
    शुभकामनाएं, बधाई।
    मेनी हैप्पी रिटर्न्स ऑफ द डे!

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  13. ग्रह नक्षत्रों की प्रागुक्ति विशेष स्थितयों से नहीं चला है जीवन .जीवन चला है घर की आंच से ,श्रम से ,तप कर्म से .शुभकामनाओं सहित इस उत्तम रचना के लिए बधाई जो एक बने बनाए भाग्य वाद को परे धकेलती जीवन को कर्म के लिए प्रेरित करती है .

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  14. ये गृह, नक्षत्र इच्छा शक्ति, दरिद विश्वास के आगे नत मस्तक हो जाते हैं ...
    आपकी प्रेम और मिल के किया संघर्ष राह आसान कर देता है ... आशा वाली विचार ...

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  15. वाणी जी ,
    पुलक भर गई यह आपकी कविता .यही सच है ,यथार्थ है ,खट्मिट्ठा स्वाद जो जीवन ने दिया है .और आप घर में नहीं सीमित ,जहाँ आप हैं घर की व्याप्ति वहाँ तक है .
    बधाई !

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  16. विश्वास और प्रेम मानो पूरक हों एक दूसरे के। इनके सहारे तो लोग गोविन्द तक को पा लेते हैं।

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  17. घर को समर्पित एक अन्नपूर्णा की सम्पूर्ण तस्वीर आत्म - विशवास और प्रेम से संसिक्त ,ग्रह नक्षत्रों के कथित प्रभाव से सर्वथा मुक्त ,उन्मुक्त .

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  18. आपकी अभिव्यक्ति के आगे नतमस्तक हो गयी, अच्छा लगा आपको पढना ...अब तो यह सिलसिला ज़ारी रहेगा

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  19. इश्वर के प्रति आस्था और परमात्मा का आशीष उन नक्षत्रों को भी अनुकूल बना देता है!! बहुत ही खूबसूरत रचना!!

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  20. सुंदर रचना , सब अपने हाथो में है

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  21. मुझे तो वैवाहिक वर्षगांठ ही लग रहा है। आश्चर्य है किसी ने नहीं लिखा! बहुत बधाई।
    आपके घर पर सभी ग्रह नक्षत्रों की कृपा सदैव बनी रहे।

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  22. सही मायने में घर तो यही होता है पर दुर्भाग्य..बनाने वाला भी उसी दीवारों में खो भी जाता है..

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  23. किसी के प्रत्यावर्तन तक उसी का बन रहने और केवल उसी की प्रतीक्षा में रत होने की आश्वस्ति कराती अभिव्यक्ति !

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  24. शुभ प्रभात :))
    ठीक एक साल बाद पुन: इस रचना को उपडेट करने के लिए शुक्रिया !!
    मैं भी पढ़ पाई :)
    शुभकामनायें !

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  25. तुम हो तो घर है,यानि घर तुमसे है
    वरना तो सब है ,बस! घर ही नहीं है ...

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