कल मोबाइल से कम्पनियों के अवांछित SMS डिलीट करते एक गुड मोर्निंग मैसेज पर नजर पड़ी ...नेहा , हर रोज एक गुड मोर्निंग मैसेज भेजती थी ...उसके उस आखिरी SMS को मिटाया ही नहीं जाता ..जीवन सफ़र में बिछड़ जाने वाले हमारे मोबाइल में नाम और नंबरबन कर सेव रह जाते हैं ...हृष्टपुष्ट जिंदादिल नेहा ,फ्रेंड तो बेटी की थी , मगर मुझसे कहती...आंटी , आपसे मिलने आई हूँ और इधर -उधर की ढेरों बातें करती ...हम उसके मोटापे पर तंज करते तो हंसती ...हम तो गाँव के लोंग है ,खा- पी कर मस्त रहते हैं , आपकी तरह सुकड़े नहीं है , कभी आपको अपने गाँव लेकर चलूंगी ...
जिंदगी से भरपूर इस लड़की की मृत्यु की खबर अखबार में पढ़ी ...किसी की नजर में फ़ूड पोइजनिंग का मामला था , तो कोई इसे जानबूझकर जहर खाना बता रहा था ...उस दिन अखबार में 4 लड़के -लड़कियों की आत्महत्या की खबर थी , भुलाये नहीं भूलता ...भरे-पूरे परिवार में किस तरह लोंग अकेले पड़ जाते हैं कि उनके पास आत्महत्या के सिवा चारा नहीं होता ....मन बहुत उदास है ....जिन आँखों ने अभी जीवन ठीक से देखा ही नहीं ....जिन सांसों ने जीवन ठीक से जिया ही नहीं ....माता -पिता की आँखों की उम्मीद कैसे एक क्षण में तोड़ कर निर्मोही विदा हो जाते है ....जैसे जीने लायक इस जीवन में कुछ रहा ही नहीं ......क्यों .....!!
उस दुखद एहसास से गुजरते लिखी थी जिंदगी की यह कविता ....
जीने दो इन्हें ....
जीने दो इन्हें
मत डराओ
इन्हें जीने देना होगा
भयमुक्त जीवन
मरने से पहले ............
भर ले बाँहों में
खुला आसमान
फुद्फुदाती तितलियाँ
रंगबिरंगे फूल
सूरज की लालिमा
तुलसी की पवित्रता
चन्द्रमा की शीतलता
चिड़ियों का कलरव
नदियों की रुनझुन
हवाओं सी मस्ती
ख्यालों की बस्ती
सुरों की झंकार
शंख की पुकार
सब कुछ ........
समेट लेना होगा हमें
इन आँखों में
इनके ख़त्म होने से पहले ...
जल रही हो चहूँ ओर दिशाएं
निराशाओं का घनघोर अँधेरा
दम घोटू वातावरण में
हम ले भी ना पा रहे हों भरपूर सांसें
फिर भी
हमें गाने ही होंगे जिंदगी के गीत
कि
अनन्य अद्भुत शांति
सिमटी हो हमारी आँखों में
अंतस तक भिगोती स्निग्धता
जो देती रहे इन्हें साहस
जीने का हौसला
तमाम दुश्वारियों के बीच
कि हमारी नस्लें कर सके यकीन
कि जीवन जीने के लिए है
ख़त्म करने के लिए नहीं
ख़त्म होने के लिए नहीं ........
जीयें हम जी भर इस तरह जीवन
मुस्कुराएँ , खिलखिलाएं
गीत भी गुनगुनाएं
ये एहसास दिलाएं
कि कितना ज़रूरी है
किसी के लिए हमारा होना
कितना जरूरी है
इनका वजूद हमारे लिए
कि ये नस्लें कर सके यकीन
कितना कुछ यहाँ जीने के लिए
मरने से पहले .....
मत डराओ
इन्हें जीने देना होगा
भयमुक्त जीवन
मरने से पहले ............
भर ले बाँहों में
खुला आसमान
फुद्फुदाती तितलियाँ
रंगबिरंगे फूल
सूरज की लालिमा
तुलसी की पवित्रता
चन्द्रमा की शीतलता
चिड़ियों का कलरव
नदियों की रुनझुन
हवाओं सी मस्ती
ख्यालों की बस्ती
सुरों की झंकार
शंख की पुकार
सब कुछ ........
समेट लेना होगा हमें
इन आँखों में
इनके ख़त्म होने से पहले ...
जल रही हो चहूँ ओर दिशाएं
निराशाओं का घनघोर अँधेरा
दम घोटू वातावरण में
हम ले भी ना पा रहे हों भरपूर सांसें
फिर भी
हमें गाने ही होंगे जिंदगी के गीत
कि
अनन्य अद्भुत शांति
सिमटी हो हमारी आँखों में
अंतस तक भिगोती स्निग्धता
जो देती रहे इन्हें साहस
जीने का हौसला
तमाम दुश्वारियों के बीच
कि हमारी नस्लें कर सके यकीन
कि जीवन जीने के लिए है
ख़त्म करने के लिए नहीं
ख़त्म होने के लिए नहीं ........
जीयें हम जी भर इस तरह जीवन
मुस्कुराएँ , खिलखिलाएं
गीत भी गुनगुनाएं
ये एहसास दिलाएं
कि कितना ज़रूरी है
किसी के लिए हमारा होना
कितना जरूरी है
इनका वजूद हमारे लिए
कि ये नस्लें कर सके यकीन
कितना कुछ यहाँ जीने के लिए
मरने से पहले .....
चित्र गूगल से साभार !
नकारात्मकता से बाहर निकलना पड़ेगा.
जवाब देंहटाएंऔर दुनिया को सकारात्मक नजरिये से देखना होगा.
आभार
sakaratmak bhav liye sunder abhivykti.
जवाब देंहटाएंमन बहुत खराब हो गया... बच्चे गुमराह हैं या उच्चश्रृंखल या अकेलेपन की हद से बाहर कुछ ढूंढ रहे हैं , इसे तो अभिवावक को समझना होगा ,,,पैसे के पीछे भौतिकता की चमक में समय से पहले कुछ पा लेने की ख्वाहिश में सब ख़त्म होता जा रहा है ! बचपन की मासूमियत देनी होगी, वक़्त देना होगा, मन के , जीवन के हर पहलू पर शांत स्थिर ढंग से समझाना होगा , वरना न जाने किस गाली में ज़िन्दगी की शाम हो जाए ....
जवाब देंहटाएंआपने दुखद घटना के माध्यम से बढ़िया अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है .
जवाब देंहटाएंआभार.
मर्मस्पर्शी कविता है..... बच्चों को जीवन में सही दिशा मिले उनका संबल बना रहे यही माता पिता की सबसे पूंजी मानती हूँ.... यह है तो वे मुश्किलों का सामना कर जायेंगें..
जवाब देंहटाएंजीवन से भरपूर रचना।
जवाब देंहटाएं---------
हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
अब क्या दोगे प्यार की परिभाषा?
जो देती रहे इन्हें साहस
जवाब देंहटाएंजीने का हौसला
तमाम दुश्वारियों के बीच
कि हमारी नस्लें कर सके यकीन
कि जीवन जीने के लिए है
ख़त्म करने के लिए नहीं
ख़त्म होने के लिए नहीं ......
यही है सार्थक सन्देश ... आज जैसे युवा पीढ़ी बहुत घुटन महसूस करती है ..उन्हें अपनी अहमियत को समझना होगा ... बहुत मर्मस्पर्शी रचना ...
मर्मस्पर्शी लिखा है आपने .....कभी-कभी लगता है कि शायद हम अभिभावकों से कुछ कमी हो जाती है,जिसका मूल कारण बच्चों को कम समय देना है .....अगर हम बच्चों के साथ अधिक अच्छा समय बितायेंगे तो उनका भी ज़िन्दगी में विश्वास बना रहेगा और चुनौतियों का सामना अच्छी तरह से कर पायेंगे !
जवाब देंहटाएंमनुष्य की सुरक्षा के लिए बने थे परिवार और फिर समाज। परिवार और समाज को चलाने के लिए फिर बने नियम और कानून। लेकिन अब इन्हीं नियम और कानूनों के कारण व्यक्ति असुरक्षित होता जा रहा है। विडम्बना है।
जवाब देंहटाएंबच्चों को उनका बचपन खुल कर जीने देने का बहुत सन्देश दिया है आपने.
जवाब देंहटाएंआदरणीया रश्मि जी की बातों से मैं भी सहमत हूँ.
सादर
very very beautiful !!
जवाब देंहटाएंvery intense and full of message.
मर्मस्पर्शी और सार्थक संदेश देती रचना ……
जवाब देंहटाएंसार्थक सन्देश ..... बहुत मर्मस्पर्शी रचना ...लेखनी प्रशंसनीय ....
जवाब देंहटाएंपिछले दिनों मुझे भी ऐसी ही दो घटनाओं की जानकारी मिली, बच्चों में सहनशक्ति बिल्कुल खत्म होती जा रही है, जीवन की कद्रें भी समाप्त हो रही हैं, कहीं कुछ बहुत गलत हो रहा है...
जवाब देंहटाएंपौध कुम्हलाने न पाए
जवाब देंहटाएंगर गलत घट-ख्याल आये,
रुत सुहानी बरगलाए
कुछ कचोटे काट खाए,
रहनुमा भी भटक जाए
वक्त न बीते बिताये,
काम हरि का नाम आये- सीख माँ की काम आये--
हो कभी अवसाद में जो,
या कभी उन्माद में हो
सामने या बाद में हो,
कर्म सब मरजाद में हो
शर्म हर औलाद में हो,
नाम कुल का न डुबाये-
काम हरि का नाम आये- सीख माँ की काम आये--
कोख में नौ माह ढोई,
दूध का न मोल कोई,
रात भर जग-जग के सोई,
कष्ट में आँखे भिगोई
सदगुणों के बीज बोई
पौध कुम्हलाने न पाए
काम हरि का नाम आये- सीख माँ की काम आये--
इसी कामना में स्वर सभी हों।
जवाब देंहटाएंसुन्दर उच्चार, मधुर कविता।
बहुत ही मर्मस्पर्शी कविता....
जवाब देंहटाएंउस बच्ची के बारे में जान मन दुखी हो गया.
मरने के पहले न मरना हो।
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्मस्पर्शी रचना.
जवाब देंहटाएंनकारात्मकता से तो निकलना ही होगा.
प्रस्तावना उद्वेलित करती है..अभी ऐसी ही घटना काजिक्र मैंने किया था.. क्यों किसी को मौत ज़िंदगी से आसान लगती है!! आपकी कविता प्रेरणा देती है,उस नकारात्मकता से बाहर आने की!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंजीने का हौसला बढ़ाती सार्थक कविता.
जवाब देंहटाएंमरने से पहले कितना कुछ है यहाँ जीने के लिए । हृदयस्पर्शी रचना ।
जवाब देंहटाएंमासूम के बारे में जानकर मन बेहद उदास हो गया....आपकी कविता की गहराई समझ ली जाए तो बात बने...अभिवावको को सन्देश देती रचना ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 31 - 05 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच
बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना,
जवाब देंहटाएं- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जीने का हौसला कुछ कर जाने का ज़ज्बा जरूरी.
जवाब देंहटाएंबहुत मर्मस्पर्शी रचना.
मर्मस्पर्शी कविता है ... उन मासूम जानों के लिए मेरे मन में भी खेद भर गया ... जिंदगी कितनी भी बदसूरत हो मौत से तो खूबसूरत होती है ... काश ...
जवाब देंहटाएंमार्मिक प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंछू गयी ये रचना .. भिगो गयी अंदर तक ... बहुत दुख हुवा लड़की के बारे में जान कर ....
जवाब देंहटाएंहो कभी अवसाद में जो,
जवाब देंहटाएंया कभी उन्माद में हो
सामने या बाद में हो,
कर्म सब मरजाद में हो
शर्म हर औलाद में हो,
नाम कुल का न डुबाये-
काम हरि का नाम आये- सीख माँ की काम आये--
मर्मस्पर्शी कविता
जीवन प्रेरणा का अद्भुत झरना!! हृदयस्पर्शी काव्य-बोल!!
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी जीने के लिए है सामने आई हर मुसीबत का सामना करते हुए जीने के लिए है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रण किया है।
जवाब देंहटाएंउफ़ .. भावुक कर दिया आपने तो.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपने अपनी टिप्पणी
में मेरी कविता उद्धृत की
बहुत-बहुत धन्यवाद
@ कुश्वंश ने कहा…
सीख माँ की काम आये--
vo tippadi kushvansh ji ki tippani par thi .
जवाब देंहटाएंmeri tippani ki kuchh panktiya unhone apni tippani me prayog
ki hai .
unhe dhanyvaad kaha hai.
puri tippani par kripadrishti dalne ka kasht kare.
galatfahmi ke liye kshama .
इन सबके पीछे निश्चित रूप से नकारात्मक सोच है...
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना....
कितना कुछ है यहाँ
जवाब देंहटाएंजीने के लिये
मरने से पहले
सच कहा लेकिन सदियों से समाज के ये बन्धन जाने कितनों की जान ले चुके हैं लेकिन कई बार बच्चों का फैसला भी गलत होता है। कौन कहाँ सही है ये तो नही कहा जा सकता लेकिन मरने की हद तक जाना केवल निराश और कमजोर दिलों का काम है।
उन्हें ये भी याद रखना चाहिये कि -- प्यार सब कुछ नही आदमी के3 लिये। घर समाज और संस्कार जब तक साथ साथ रहेंगे तब तक ही जीवन का सही अर्थ होगा। शुभकामनायें।
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्मस्पर्शी कविता....मन को गहरे तक छू गई.
जवाब देंहटाएंह्रदय के विवश भावों को बहुत सुन्दरता से उभारा है …….
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी (कोई पुरानी या नयी ) प्रस्तुति मंगलवार 14 - 06 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच- ५० ..चर्चामंच
बहुत सुन्दर कविता ।
जवाब देंहटाएंOfffffff...bhavuk kar diya
जवाब देंहटाएंकसावदार प्रक्षेपण घटना का ,आवाहन समाज का ,इन्हें भी जीने दो .आभार .
जवाब देंहटाएंAapko Pahli baar padha aur wo bhi itna maarmil.. Aankhe bas kuch nam si hui... akelepan ki vyatha ki katha aur uske parinaam ki maarmik prastuti hridaysparshi...!
जवाब देंहटाएंबहुत मर्मस्पर्शी रचना..अंतस को गहराई तक छू गयी..एक प्रेरक सन्देश देती बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंBahut hi sunder rachna man ko chu gayi.......waah
जवाब देंहटाएंइन्हें जीने देना होगा
जवाब देंहटाएंभयमुक्त जीवन
very true...
बहुत ही सुन्दर और सार्थक कविता ..
जवाब देंहटाएंआभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
well poem like it
जवाब देंहटाएंwell poem like it
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