अहम
मना ले तो करीब आऊँ
गले लग जाए तो मना लूं...
कट जाती है
एक पूरी उम्र
पटरियों -सा साथ चलते
इसी कशमकश में
कई बार
यूँ ही
तन्हा ...
मैं -हम
जिद कहाँ थी कि मै तू ही रहे
मैं मैं ही रहूँ
तू भी तू ही रहे
मगर कभी -कभी
हम भी तो रहें .....
वृक्ष
बसंत में जब
गिर रही हो घनी शाखें
टपाटप
पतझड़ में
झरते पीले पातों का
सोग भी मनाता होगा ??
भय
एक खिड़की
एक भय
कई खिड़कियाँ
कई मुखौटे
बड़ा डराता था...
एक दिन
बंद कर दी
सभी खिड़कियाँ
जड़ दिए ताले
और चाबियाँ फेंक दी समंदर में
कर लेना अब समन्दर से दो हाथ!
भय बड़ा कसमसाता होगा ना ...
...............................................
मना ले तो करीब आऊँ
गले लग जाए तो मना लूं...
कट जाती है
एक पूरी उम्र
पटरियों -सा साथ चलते
इसी कशमकश में
कई बार
यूँ ही
तन्हा ...
मैं -हम
जिद कहाँ थी कि मै तू ही रहे
मैं मैं ही रहूँ
तू भी तू ही रहे
मगर कभी -कभी
हम भी तो रहें .....
वृक्ष
बसंत में जब
गिर रही हो घनी शाखें
टपाटप
पतझड़ में
झरते पीले पातों का
सोग भी मनाता होगा ??
भय
एक खिड़की
एक भय
कई खिड़कियाँ
कई मुखौटे
बड़ा डराता था...
एक दिन
बंद कर दी
सभी खिड़कियाँ
जड़ दिए ताले
और चाबियाँ फेंक दी समंदर में
कर लेना अब समन्दर से दो हाथ!
भय बड़ा कसमसाता होगा ना ...
...............................................
मगर कभी-कभी तो हम रहें...
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब...
सारी की सारी लाजवाब हैं...
बसंत का सोग गीत, निर्भय और आत्मीय.
जवाब देंहटाएंओह सुन्दर क्षणिकाएँ, आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी क्षणिकाएँ !
जवाब देंहटाएंयही उलझन जीवनपर्यन्त बनी रहती है। बहुत सुन्दर कवितायें।
जवाब देंहटाएंभय बड़ा कसमसाता होगा ना ... ' डर से मुक्ति पाने के लिए लगाया ताला , अब हर वक़्त ये ख्याल , भय बड़ा कसमसाता होगा न ! मन की वह स्थिति जहाँ वह मुक्त नहीं हो पाता , सारे दरवाज़े, खिड़कियाँ बन्द करके भी सोचता जाता है .... बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसुंदर क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंआभार
bahut hi sundar panktiyaan ....
जवाब देंहटाएंएक एक क्षणिका कुछ अलग ही एहसास लिए हुए है.
जवाब देंहटाएंसादर
भय बड़ा कसमसाता होगा ना ...Beautiful expression . At times we need to be courageous . It depends on a person's strong will power !
जवाब देंहटाएंचंद लाइनों में कही कई गहरी बात सब अच्छी लगी |
जवाब देंहटाएंवाह्……आज तो गागर मे सागर भर दिया………सभी शानदार्।
जवाब देंहटाएंचारों रचनाएँ बहुत सुन्दर हैं, बहुत ही सुन्दर।
जवाब देंहटाएंचारों क्षणिकाएं बहुत ही सुन्दर हैं ..पहली वाली खास अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंसारी की सारी क्षणिकाएं काबिल-ए-तारीफ़ हैं.
जवाब देंहटाएं'kat jaati hai
जवाब देंहटाएंek poori umr
patariyon sa sath chalte'
wah!konal bhavon ki sundar abhivyakti.
sabhi kshankayen asardar..
कट जाती है एक पूरी उम्र....
जवाब देंहटाएंशानदार क्षणिकाएं हैं वाणी जी.
आपकी क्षणिकाएं आपकी बेहतरीन सोच को प्रतिबिंबित करती हैं.अन्य ब्लोगों पर आपके परिपक्व कमेंट्स अक्सर पढता हूँ.
जवाब देंहटाएंEkse badhke ek kshanika!Kaash! Itna sundar kabhi mai bhee likh paun!
जवाब देंहटाएंऔर फ़ेक दी चाबी समन्दर में ,
जवाब देंहटाएंभय बहुत कसमसाता होगा ना।
बेहद सुएन्दर पंक्ति, बधाई।
कभी हम भी तो रहें .. क्या बात है बहुत खुबसूरत , बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी क्षणिकाएँ.बधाई
जवाब देंहटाएंsabhi jabardast lajawab
जवाब देंहटाएंबढिया... एक से बढकर एक.
जवाब देंहटाएंसभी एक एक बढ़ कर एक ...बहुत पसंद आई मगर कभी कभी हम भी तो रहे .....बहुत बेहतरीन
जवाब देंहटाएंमैं मैं ही रहूँ
जवाब देंहटाएंतू भी तू ही रहे
मगर कभी -कभी
हम भी तो रहें .....
सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी...... 'मैं -हम' और 'वृक्ष' बहुत ही पसंद आई
(१) बात वही पर अंदाज नया ,प्रस्तुति नई ! ये कहना मुश्किल है कि अहम वास्तव में श्रेष्ठता का बोध है या फिर हीन भावना ? लेकिन यह निश्चित है कि सम्बन्धों में असहजता का कारण है !
जवाब देंहटाएं(२) कभी उसके तू या मेरे मैं में एकाकार हो जाने से बेहतर क्या हो सकता है :)
(३) या फिर आज के हालत में उसकी संवेदनायें भी मनुष्यों की तरह भोथरी हो गई हों ?
(४) क्या यह किसी के 'स्व' / अंतर्मन के एक्सपोज्ड हो जाने को लेकर है या फिर किसी के 'स्व' पर बाह्य हस्तक्षेप के विरुद्ध प्रतिरोध जैसा ?
बहरहाल चारों रचनाओं से एक बात निसंदेह स्थापित होती है कि रचनाकार कवि भले ही माना जाये पर उससे पहले वो एक दार्शनिक है ! आभार !
भय बड़ा कसमसाता होगा न ...बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ।
Wonderful post ....... Beautiful expression !
जवाब देंहटाएंअल्टीमेट.. मज़ा आ गया पढ़कर, क्षणिकाए हमेशा से मुझे पसंद आती है..
जवाब देंहटाएंye aham sach me dampatya jeevan ko tod deta hai...!!
जवाब देंहटाएंbahut khub! par sasbe pahlee post ne dil ko chhua..!
बहुत सुन्दर क्षणिकाएँ, आभार|
जवाब देंहटाएंजीवन के हर रंग का एहसास कराती पंक्तियां । बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब ... हर क्षणिका ... गहरी दुनियादारी समेटे हुवे .... सच है पूर्णतः हर बात ...
जवाब देंहटाएंपटरी सा साथ चलते ...पंक्ति ने वर्षों पहले के पल और ऐसे ही वाक्य को ला खड़ा कर दिया और आपकी छणिका अहम जीवंत हो उठी. अनजाने में ही कोई कभी-कभी बहुत कुछ दे जाता है. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंsabse zyada pasand mujhe "bhaiy" aayi
जवाब देंहटाएंjab apke andar dar hota hai us samay bhi dar ko jeetne ka ehsaas kamaal hai.
सुन्दर गहरी क्चनिकाये.
जवाब देंहटाएंसारी क्षणिकायें चिंतन योग्य हैं ! मन की हलचल को बहुत ही सुघरता से निरूपित किया है आपने ! 'मैं' और 'तू' के समन्वय और सामंजस्य के साथ 'हम' बन की प्रत्याशा में कभी-कभी सारा जीवन ही व्यतीत हो जाता है ! इतनी सार्थक प्रस्तुति के लिये बधाई एवं शुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंसभी क्षणिकायें बहुत अच्छी लगी। पहली वाली तो दिल को छू गयी। बधाई।
जवाब देंहटाएंकभी कभी कविता आत्म विवेचन ,आत्मालोचन और आत्म प्रवंचना का मार्ग अपनाती हैं तब वे और भी यथार्थपरक बन जाती हैं -इन्ही शेड्स को लिए हैं ये उद्भावनाएँ !
जवाब देंहटाएं