सोमवार, 11 अक्तूबर 2010

बस ... मुझसे मेरा हाल ना पूछा ...!!


ध्रुवतारा और धरा
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धरा घूमती है सूर्य के चारो ओर
और अपने अक्ष पर भी
तभी तो मौसम बदलते हैं
दिन- रात होते हैं ...
गुलाबी सर्दियों की गुनगुनी दोपहर
तपती गर्मियों की शीतल शामें
मिट्टी की गंध सावन की फुहारें
बौराया फागुन में महका महुवा
धरती पर इतने मौसम
सिर्फ इसलिए ही संभव है कि
घूमती है धरा अपने अक्ष पर भी
और सूर्य के चारों ओर भी ...

उसकी परिधि से खिंची गयी
समानांतर रेखा सीधी जाती है
ध्रुवतारे के पास ...

ध्रुवतारा जो अडिग अटल है अपनी जगह
उत्तर दिशा में
सभी तारों से अलग
जो घूमते है इसके चारो ओर
चट्टान से उसकी स्थिरता ही
बनाती है उसे सबसे चमकदार
बंधा है वह भी सृष्टि के नियमों से
उस समानांतर रेखा से
जो धरा के दोनों छोरों के मध्य से
सीधी उसके पास आती है....

धरा पर प्रतिपल बदलते
खुशगवार मौसम
के लिए जरुरी है
ध्रुवतारे का स्थिर होना ...

बादलों में छिपा हो
घडी भर को
कि दिख रहा हो निर्बाध
खुले आसमान में
होता ध्रुवतारा अपनी जगह
अटल अडिग स्थिर
उत्तर दिशा में ही
धरा का यह विश्वास
तभी तो
आसमान में छाई घटायें घनघोर हो
मेघ-गर्जन के साथ डराती बिजलियाँ हो
धरा अपने अक्ष पर भी घूमती है
और सूर्य के चारों और भी
कभी शांत -चित्त , कभी लरजती
मगर रुकता नहीं चक्र
धरा के मौसम का
पतझड़ सावन वसंत बहार
दिन और रात का ...
क्योंकि
धरा को है विश्वास
उसकी परिधि की समानांतर रेखा
सीधी जाती है ध्रुवतारे के पास ....

धरा पर हर पल बदलते
खुशगवार मौसम के लिए
जरुरी है
ध्रुवतारे की स्थिरता !




27 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर कवित………………बढिया प्रस्तुति

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  2. शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।

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  3. हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है
    कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....

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  4. सब पूछा बसा मुझसे मेरा हाल न पूछा । सुंदर कविता ।

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  5. बहुत सुन्दर कविता....खूबसूरत अभिव्यक्ति.

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  6. लगता है इन्हीं सब में छुपा था तुम्हारा हाल ..यदि यह सब ठीक तो तुम्हारे हाल की खबर हो गयी होगी ...सुन्दर प्रस्तुति

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  7. बहुत सुन्दर .........बहुत ही अच्छी.............

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  8. बहुत सुन्दरता से भावो को पिरोया है।

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  9. कुछ शब्दों में मन की पीड़ा की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...बधाई....

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  10. सही बात है जी असली बात तो पूछी नही। सुन्दर प्रस्तुति ।

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  11. क्या बात है जी इन दिनों सिक्सर पर सिक्सर डाले जा रही हैं ...जबरदस्त रचना!
    दरसल पूछना तो उन्हें वही था मगर सवाल दर सवाल बस इक उसी सवाल को अलग अलग बहानों से पूछते रहे

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  12. किसी ने मुझसे मेरा हाल पूछा है
    कितना मुश्किल सवाल पूछा है

    (इसलिए ना पूछे तो सोच लो..बच गए :) )

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  13. बहुत सुन्दर कविता ..प्रवाह जबर्दस्त्त है.

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  14. पूछना तो वही था.. होसकता है बाक़ी सब बहाने हों!!

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  15. lo ji ham poochh lete hai aapka haal.
    waise jab bashindo ka haal poochha tha to usme aap bhi shamil the..aapne jana hi nahi samjha bhi nahi...baat to aap hi ki thi. :)

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  16. बहुत सुन्दर ..
    इस सितमगारी के बयान का अन्दाज

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