शुक्रवार, 26 सितंबर 2014

झूठे शब्दों की विवशता ....




तुम्हारे शब्दों में जब 
प्रतिध्वनित होता है झूठ 
तुम्हारे ही 
शब्दों की ओट में !

सच्चे दिखते शब्दों के झूठ को पढ़कर 
सोचने लगती हूँ मैं 
तुम्हारे झूठे शब्दों की विवशता !!

झूठ समझते हुए भी 
सिर हिलाती हूँ 
सच की तरह !
सच के इशारे में !!

अस्पष्ट बुदबुदाते शब्दों में 
तुम भी समझ जाते होगे न 
विवशता 
मेरे झूठे शब्दों की !!

22 टिप्‍पणियां:

  1. झूठे शब्द होते तो अस्पष्ट ही हैं ....

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  2. झूठ की विवशता
    झूठ को सच का मान देने की विवशता
    प्रेम का सत्य है
    विश्वास का सत्य है
    अनुभवों का सत्य है
    इस सत्य के आगे कौन सा सत्य होगा !

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (28-09-2014) को "कुछ बोलती तस्वीरें" (चर्चा मंच 1750) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    शारदेय नवरात्रों की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. एक बहुत पुराना मुहावरा है - सवाल जिस ज़ुबान में किया जाए, जवाब भी उसी ज़ुबान में देना चाहिये! आपकी कविता ने आज इसे स्थापित कर दिया!

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  5. बहुत अच्छी कविता बन पड़ी है। निवेदन है कि अगर संभव हो तो बड़े फोण्ट मे लिखें, पढने में आसानी होती है। स्वयं शून्य

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  6. कभी कभी झूठ को भी सच की तरह मान लेना पड़ता है .....हूँ हां की विवशता में ,,,,,
    बहुत बढ़िया

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  7. झूठे शब्दों की विवशता पर
    मेरी मौन सहमति
    बदल देती है शब्दों के अर्थ
    और बहुत कुछ बच जाता है
    होने से अनर्थ ।
    सत्य को कहती सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  8. बहुत खूबसूरती से लिखा ...बहुत खूब ...

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  9. यही तो मुश्किल है कि सच जान कर भी सामने लाते नहीं बनता !

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  10. सच विवश भी होता है....सरलता से समझ लिया मैने...वाह।

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  11. सच विवश भी होता है....सरलता से समझ लिया मैने...वाह।

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  12. सच विवश भी होता है....सरलता से समझ लिया मैने...वाह।

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  13. सच विवश भी होता है....सरलता से समझ लिया मैने...वाह।

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  14. " प्रियं तु नानृतम् ब्रूयात् वचने का दरिद्रता ।"

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  15. कितना मज़बूर हो जाता है कभी सत्य भी...बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...

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  16. कभी-कभी जुठ भी इतना मासूम होता हैं कि दिल उसे सच मान लेता हैं
    http://savanxxx.blogspot.in

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  17. सच हमेशा अनावृत रहता है परंतु झूठ हमेशा आवरण में ही रहता है। क्या झूठ भी अनावृत होकर सच में ही बदल जाएगा ? _/\_

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