प्रेम होने में जो है ,
शब्दों में कहीं अधिक है !
शब्दों से कहीं अधिक है !!
जरुरी है प्रेम का होना ,
शब्दों के सिवा ही !
शब्दों के सिवा भी !
(एक दिन कविता की यह शाख सूख जायेगी )
प्रेम शब्दों से फिसलकर
रिश्तों में साकार होगा
या कि
पतझड़ के सूखे पातों-सा
बिखर जाएगा .
होगा यह या वह
इन शब्दों के परे
इन शब्दों के इर्द गिर्द ही मगर !!
प्रेम...जो बहता रहेगा सांसों में , धड़कन में हमेशा . सुन्दर शब्द दिया है..
जवाब देंहटाएंवाह ...प्रेम को इस दृष्टिकोण से भी देखा जाये ....
जवाब देंहटाएंशब्दों के सिवा भी शब्दों के सिवा ही....सुंदर परिभाषा प्रेम की..
जवाब देंहटाएंजरूरी है प्रेम का होना .......
जवाब देंहटाएं.......... अस्तित्व तो इसी बात पर टिका है
यही तो प्रेम है... शब्दों के सिवा भी - शब्दों के सिवा ही... लाख झड़ जाएँ पतझड़ के पात की तरह, लेकिन सूखे फूलों की ख़ुशबू उस एहसास को ज़िन्दा रखती है!!
जवाब देंहटाएंएक बहुत ख़ूबसूरत रचना!
शब्दों के सिवा भी …… बहुत कुछ है !!
जवाब देंहटाएंशब्दों में और शब्दों से परे भी ....बहुत सुंदर ,गहन उद्गार वाणी जी ...!!
जवाब देंहटाएंप्रेम है होगा ... रहेगा शाश्वत ...
जवाब देंहटाएंइसे शब्द मिलें न मिलें जमीन मिले न मिले ...
मन में जमा बीज है जो समाप्त नहीं होता कभी,दिखाई दे या न दे- मौसम की बात है
जवाब देंहटाएं" प्रेम न खेती ऊपजै प्रेम न हाट बिकाय ।
जवाब देंहटाएंराजा परजा जेहि रुचय सीस देइ लै जाय ।"
कबीर
जरूरी है प्रेम का होना, शब्दों के सिवा ही, शब्दों के सिवा भी...एक सच जो बखूबी उकेरा है शब्दों में...
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