कही किसी छोटे से घर में
नन्हे हाथों से बनाये कार्ड
बगिया से तोड़ लिया गया एक फूल
गुल्लक के पैसों से खरीदी चॉकलेट
या माँ के बालों के लिए क्लचर
गले में बाहें डाल कर
गालों से गाल सटाकर
गीली छाती से गर्वोंन्मत
नन्हे मुन्नों को दुलारते
निहाल हुई जायेगी कोई माँ !
ऐसे ही
किसी और ख़ास दिन
घर के किसी कोने से
बाहर खींच लाई जाएगी कोई माँ!
गलियारे से खटिया हटकर
बैडरूम में सज जाएगी.
नई सूती साडी में
चश्मे के पीछे भीगी कोर से
कुछ पल की ख़ुशी में ही
पैरों में सिर झुकाते लोगों को
देगी आशीष
फूलों के गुलदस्ते होंगे
हो सकता है मिठाई भी हो.
मदर्स डे मनाने लोंग और भी तो आएंगे !
किसी नालायक बेटे की बदजात बहू
अपने बच्चों की जूठी प्लेट से
माँ को भोग लगाएगी .
इस एक दिन की ख़ुशी में
सारी नाइन्सफियों को माफ़ कर
गंगा नहाएगी कोई माँ !
ऐसे ही
किसी और दिन
कमरे की किसी दिवार पर
टंगी हुई तस्वीर
किसी ख़ास दिन
झाड़ पोंछ ली जाएगी
तस्वीर में कितना मुस्कुराएगी कोई माँ !
अगरबत्ती सुलगा कर
दोनों हाथों को जोड़
सिर नवा लेंगे लोंग .
कितनी महान थी मां
सुना कर की जाने वाली बातों के बीच
होठों में दबे कुछ शब्द
हमारे लिए क्या छोड़ गयी
सब तो छोटे को दे गयी .
अच्छी -बुरी स्मृतियों के संग
जीमे जायेंगे ढेर पकवान.
हो जायेगा पुण्य स्मरण
याद कर ली जाएगी कोई माँ!
इति हैप्पी मदर्स डे !
मातृदेवो भव:
जवाब देंहटाएंकाश कि सबका माँ के प्रति यही भाव रहे , हमेशा !
हटाएंमाँ का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता ,पर आज बाज़ार यह सब करने पर उतारू है.
जवाब देंहटाएंमाँ को नमन !
नमन माँ |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ||
महतारी दिवस की बधाई
जवाब देंहटाएंइति पोस्टम! आज मेरे पास माँ हैं !
जवाब देंहटाएंवर्तमान स्थितियों परिस्थितियों को लिख गयी आपकी कविता!
जवाब देंहटाएंमाँ एक दिवस न होकर सम्पूर्ण जीवन की पूजा है... और ऐसा ही हमेशा हो!
हम्म...कई बार...माँ जब अपने सारे कर्तव्य पूरे कर लेती है तब शायद सिर्फ एक शब्द रह जाती है और उसके लिए एक दिन मुक़र्रर हो जाता है....जब उसे भी याद कर लिया जाए .
जवाब देंहटाएंकटु सत्य है यह सब पर है तो कई घरों का सच ही...
बेहद संवेदनशील कविता
समय कितना भी बदले ... माँ माँ ही रहेगी , कभी बलैया लेती , कभी ऊँगली थामते , कभी आशीष देते
जवाब देंहटाएंसही कहा रश्मि जी आपने
जवाब देंहटाएंसमय कितना भी बदले ... माँ माँ ही रहेगी , कभी बलैया लेती , कभी ऊँगली थामते , कभी आशीष देते
हैप्पी मदर्स डे
MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...
बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
सब माओं को नमन..
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली रचना...सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकटु सत्य
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना .... माँ तो माँ ही रहेगी ... लेकिन माँ को माँ कितना मानते हैं असल बात तो यह है ...
जवाब देंहटाएंरविकर चर्चा मंच पर, गाफिल भटकत जाय |
जवाब देंहटाएंविदुषी किंवा विदुष गण, कोई तो समझाय ||
सोमवारीय चर्चा मंच / गाफिल का स्थानापन्न
charchamanch.blogspot.in
माँ का मतलब 'एक सुकून भरी गोद' जो किस्मत वालों को ही मिलती है |
जवाब देंहटाएंभला हो अंग्रजों का जिन्हों ने साल में एक बार माँ को याद करने का त्यौहार बना दिया...वर्ना फोटो की सफाई और अगरबत्ती जलाना किसे याद रहता...
जवाब देंहटाएंमाँ फिर भी माँ ही रहती है वही करुना वही मोह वही आशीष,
जवाब देंहटाएंसच को स्वीकारने में प्रयासरत संवेदनशील प्रस्तुति.
जिसको नहीं देखा हमने कभी
जवाब देंहटाएंफिर उसकी ज़रूरत क्या होगी,
ऐ माँ तेरी सूरत से अलग,
भगवान की सूरत क्या होगी!!
एक हिंदी लिकोक्ति है -
जवाब देंहटाएंजोरू टटोले फेंट, और माँ टटोले पेट।
पत्नी धन चाहती है (जेब टटोलती है), मां बेटे के खाने-पीने की चिंता करती है।
काव्य का शिल्प आकर्षक है, बांधे रखता है और अंत में चिंतन को विवश करता है।
हम्म जो भी हो माँ तो माँ ही होती है ..बच्चे मान दें या न दें.
जवाब देंहटाएं.....सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमदर्स डे की हार्दिक शुभकामनायें....!!
माँ तो बस माँ है ,जीवन के साथ भी ,जीवन के बाद भी
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंमां तो है मां ! मां तो है मां !
मां जैसा दुनिया में कोई कहां !!
हर दिन हर पल मां के प्रति श्रद्धा स्नेह सम्मान रखें , आवश्यकता इस बात की है …
* विचारणीय रचना के लिए आभार !
हर युग का कटु सत्य ......
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक अभिव्यक्ति...सभी माताओं का नमन...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भाव । मां तुझे सलाम । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...हार्दिक बधाई...
जवाब देंहटाएंवाकई। बहुत मार्मिक।
जवाब देंहटाएंmमार्मिक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंमन कों छूती है आपकी रचना की सच्चाई ... ऐसा क्यों होता है ... क्या कारण है ... क्या भौतिक युग का असर है ... प्रेम भी अब समय की गति में खो जायगा ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसटीक अभिव्यक्ती ...
जवाब देंहटाएंजो कुछ कष्ट लिखे हैं विधि
जवाब देंहटाएंने, वे तो हमें झेलने होंगे !
vividhta hai aaj ke samaj me ...
हटाएंlajawab prastuti Vani ji ...
कल,आज और कल के मुताबिक खुद को बदल लेना इस बाजारवाद के युग में बेहद जरुरी है ......इती
जवाब देंहटाएंहम माँ को नमन
कविता पढ़कर नहीं कहूँगी हैप्पी मदरडे
जवाब देंहटाएंप्रणाम करुँगी सभी माताओं को
मार्मिक ।
जवाब देंहटाएंअब संवेदनाओं का मूल्य कहां ?
जवाब देंहटाएंलिखा तो सही है आपने ..... विचारणीय भी है
जवाब देंहटाएंपर माँ को भूल पाना संभव नहीं लगता
मैं तो बस ये कह पाती हूँ ....
माँ बस माँ हर अहसास में माँ .......