शनिवार, 22 जनवरी 2011

खिल गया फिर से वही गुलाब ....





मौसम आते है , जाते हैं ...
पतझड़ के बाद वसंत का आना तय है
फिर यह नाउम्मीदी क्यों ....
जाते वसंत में मुरझा गए थे कुछ पौधे ..
देखा उनकी सूखी डालों को काटकर ,
कुछ हरी -भरी शाखाएं अभी बाकी थी ...
उनकी फुनगी पर कुछ नन्हे पात
कुछ नव कलिकाएँ भी ....
हाँ , जरुरत थी उसे कुछ खाद , मिट्टी और दवाओं की ....
आज सुबह देखा ....
खिल गया फिर से वही गुलाब ...!


48 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्छी लघु कविता है.
    आशा कभी टूटनी नहीं चाहिए.
    बसंत की याद दिलाने के लिए शुक्रिया

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  2. सचमुच, पतझड़ तो आते ही रहते हैं,मगर बसंत कभी भी दूर नहीं होता ..
    कविता भी नए गुलाब सी है !

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  3. ’रिश्ते’ भी चाहते हैं, कभी कभी कुछ खाद,मिट्टी और दवाएं और फ़िर महक उठते हैं एक नए गुलाब की तरह । अच्छी कविता,बधाई ।

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  4. आने वाला कल सुखद होगा।
    एक आशा की किरण लेकर नवरवि का उदय होगा।

    सुंदर कविता के लिए आभार

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  5. जाते वसंत में मुरझा गए थे कुछ पौधे ..
    देखा उनकी सूखी डालों को काटकर ,
    कुछ हरी -भरी शाखाएं अभी बाकी थी ...
    ....
    फिर मायूसी कैसी ?
    ज़िन्दगी के कई आयाम बाकी हैं
    जो सिर्फ तुम्हारे लिए हैं
    बसंत की लकीरें जाती नहीं हैं ...
    ...
    उपर्युक्त पंक्तियाँ यही हौसला देती हैं , कम शब्दों में सार्थक सन्देश !...

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  6. मौसम के भनी जीवन दर्शन ! कविता बढ़िया है..

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  7. प्रभात का गुलाब रोज खिलता है जीवन में।

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  8. यही ज़िंदगी है ..बस थोड़ी सी देखभाल की ज़रूरत है .. किंचित से स्नेह से गुलाब खिल जाते हैं ...सुन्दर रचना ..महकती सी

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  9. बहुत सुन्दर और आशावादी रचना!

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  10. खिलने के हौसले को ( दवा /मिटटी /खाद/पानी का ) सपोर्ट अपेक्षित होता है ! प्रतीकात्मक रूप से बेहतर बात कहती हुई कविता !

    किशोर कुमार का गाया हुआ एक फ़िल्मी गीत याद आ गया "खिलते हैं गुल यहां ..."

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  11. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (24/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  12. आह हा ..फूल खिले हैं गुलशन गुलशन ..ताजगी देती रचना.

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  13. स्‍नेह से आकारित आशाओं का गुलाब.

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  14. काश! यह बात सब समझ पाते! कभी प्यार का स्पर्श और मुस्कान की खाद देकर देखें.. पौधे तो क्या इंसान भी खिल जाते हैं!!बहुत ही सुंदर कविता! बहुत ही उत्कृष्ट संदेश!!

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  15. ठीक ये ही शब्द थे अंग्रेजी के महान कवि P B Shelly " If winter comes can spring be far behind !"

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  16. समय की साथ सब कुछ हो जाता है ... आशा, विशवास और परवरिश की जरूरत होती है ... गुलाब के माध्यम से सार्थक सन्देश देती रचना .

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  17. जीवन के प्रति नव विश्वास जगाती कविता !

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  18. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों का संगम है इस रचना में ।

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  19. जीवन में आशा से बढ़कर कुछ भी नहीं !
    आशाओं के उस पार गुलाब ही गुलाब है ,बस थोड़ी प्रतीक्षा और सब्र की जरुरत है !
    बहुत सुन्दर रचना !

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  20. बहुत अच्छा लिखती हैं आप .... ....आपको बधाई.

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  21. गुलाब-सी सुगंधित रचना । साधुवाद

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  22. आशा और विश्वास से परिपूर्ण सुन्दर रचना...

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  23. very poitive thoughts. your poem is like a light in the dark .aaj hindi mai likhane mai kuch problem hai , isliy english mi hi pad le

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  24. आशा का दीप जलाती शानदार कविता।

    -------
    क्‍या आपको मालूम है कि हिन्‍दी के सर्वाधिक चर्चित ब्‍लॉग कौन से हैं?

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  25. बहुत ही सुंदर कविता. आपकी कविता पढ़ कर लगता है की उम्मीद जल्द नहीं टूटनी चाहिए.........
    बुलंद हौसले का दूसरा नाम : आभा खेत्रपाल

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  26. गणतंत्र दिवस की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें.
    lovely poem.

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  27. जीवन में आशा से बढ़कर कुछ भी नहीं !
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!

    Happy Republic Day.........Jai HIND

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  28. बहुत सुन्दर.. आशावादी है आपकी रचना .. सिखाती है हर कठिनाई और बुरे वक़्त के बाद भी अच्छा वक़्त फिर जी उठता है उस कली और गुलाब की तरह |
    .आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी आज के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    आज (28/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  29. har surang ke bahar ujaalaa hai...mausamon ko badlna hi hota hai... ummeed bhari rachna

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  30. उम्मीद का दामन कभी न छूटे. गुलाबी रचना.

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  31. गुलाब सी ही महक है कविता में |
    सुन्दर

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  32. सुंदरता के साथ जीवन श्रृंगार का प्रतीक भी है गुलाब ....

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  33. दुख सुख जीवन के दो पहलू हैं दोनो के बिना जीवन अधूरा। दिन के बाद रात और रात के बाद दिन आता ही है। फूलों के माध्यम से सुन्दर सन्देश। बधाई।

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  34. आदरणीया वाणी जी
    नमस्कार !
    सुप्रभात !!

    खिल गया फिर से वही गुलाब … बहुत सुंदर भाव और आशावादी स्वरों की अनुगूंज लिये हुए एक श्रेष्ठ कविता है ।

    आज सुबह देखा …
    खिल गया फिर से वही गुलाब … !

    क्य बात है ! वाऽऽह !
    सुबह सुबह आपकी इतनी सुंदर रचना पढ़ने के बाद अवश्य ही मेरा आज का दिन बहुत ख़ुशगवार रहेगा … आभार !

    हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  35. बहुत सुन्दर
    कभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपनी एक नज़र डालें

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  36. प्रेरक आशावादी क्षणिका ... बहुत अच्छा लगा ...

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