मौसम आते है , जाते हैं ...
पतझड़ के बाद वसंत का आना तय है
फिर यह नाउम्मीदी क्यों ....
जाते वसंत में मुरझा गए थे कुछ पौधे ..
देखा उनकी सूखी डालों को काटकर ,
कुछ हरी -भरी शाखाएं अभी बाकी थी ...
उनकी फुनगी पर कुछ नन्हे पात
कुछ नव कलिकाएँ भी ....
हाँ , जरुरत थी उसे कुछ खाद , मिट्टी और दवाओं की ....
आज सुबह देखा ....
खिल गया फिर से वही गुलाब ...!
बहुत ही अच्छी लघु कविता है.
जवाब देंहटाएंआशा कभी टूटनी नहीं चाहिए.
बसंत की याद दिलाने के लिए शुक्रिया
सचमुच, पतझड़ तो आते ही रहते हैं,मगर बसंत कभी भी दूर नहीं होता ..
जवाब देंहटाएंकविता भी नए गुलाब सी है !
’रिश्ते’ भी चाहते हैं, कभी कभी कुछ खाद,मिट्टी और दवाएं और फ़िर महक उठते हैं एक नए गुलाब की तरह । अच्छी कविता,बधाई ।
जवाब देंहटाएंआने वाला कल सुखद होगा।
जवाब देंहटाएंएक आशा की किरण लेकर नवरवि का उदय होगा।
सुंदर कविता के लिए आभार
जाते वसंत में मुरझा गए थे कुछ पौधे ..
जवाब देंहटाएंदेखा उनकी सूखी डालों को काटकर ,
कुछ हरी -भरी शाखाएं अभी बाकी थी ...
....
फिर मायूसी कैसी ?
ज़िन्दगी के कई आयाम बाकी हैं
जो सिर्फ तुम्हारे लिए हैं
बसंत की लकीरें जाती नहीं हैं ...
...
उपर्युक्त पंक्तियाँ यही हौसला देती हैं , कम शब्दों में सार्थक सन्देश !...
मौसम के भनी जीवन दर्शन ! कविता बढ़िया है..
जवाब देंहटाएंप्रभात का गुलाब रोज खिलता है जीवन में।
जवाब देंहटाएंयही ज़िंदगी है ..बस थोड़ी सी देखभाल की ज़रूरत है .. किंचित से स्नेह से गुलाब खिल जाते हैं ...सुन्दर रचना ..महकती सी
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और आशावादी रचना!
जवाब देंहटाएंखिलने के हौसले को ( दवा /मिटटी /खाद/पानी का ) सपोर्ट अपेक्षित होता है ! प्रतीकात्मक रूप से बेहतर बात कहती हुई कविता !
जवाब देंहटाएंकिशोर कुमार का गाया हुआ एक फ़िल्मी गीत याद आ गया "खिलते हैं गुल यहां ..."
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
आशावादी दृष्टीकोण अच्छा लगता है
जवाब देंहटाएंआह हा ..फूल खिले हैं गुलशन गुलशन ..ताजगी देती रचना.
जवाब देंहटाएंInspiring one and well crafted
जवाब देंहटाएंस्नेह से आकारित आशाओं का गुलाब.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कविता है...
जवाब देंहटाएंkhil gya fir se vahi gulab
जवाब देंहटाएंbahut sunder kavita
..
काश! यह बात सब समझ पाते! कभी प्यार का स्पर्श और मुस्कान की खाद देकर देखें.. पौधे तो क्या इंसान भी खिल जाते हैं!!बहुत ही सुंदर कविता! बहुत ही उत्कृष्ट संदेश!!
जवाब देंहटाएंaasha ke phool har soch me khilte rahe ,bahut sundar kavita hai .badhai ho .
जवाब देंहटाएंठीक ये ही शब्द थे अंग्रेजी के महान कवि P B Shelly " If winter comes can spring be far behind !"
जवाब देंहटाएंसमय की साथ सब कुछ हो जाता है ... आशा, विशवास और परवरिश की जरूरत होती है ... गुलाब के माध्यम से सार्थक सन्देश देती रचना .
जवाब देंहटाएंजीवन के प्रति नव विश्वास जगाती कविता !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर शब्दों का संगम है इस रचना में ।
जवाब देंहटाएंजीवन में आशा से बढ़कर कुछ भी नहीं !
जवाब देंहटाएंआशाओं के उस पार गुलाब ही गुलाब है ,बस थोड़ी प्रतीक्षा और सब्र की जरुरत है !
बहुत सुन्दर रचना !
aate sunder shabad hai aapke .... nice blog
जवाब देंहटाएंPleace visit My Blog Dear Friends...
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बहुत अच्छा लिखती हैं आप .... ....आपको बधाई.
जवाब देंहटाएंगुलाब-सी सुगंधित रचना । साधुवाद
जवाब देंहटाएंआशा और विश्वास से परिपूर्ण सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंvery poitive thoughts. your poem is like a light in the dark .aaj hindi mai likhane mai kuch problem hai , isliy english mi hi pad le
जवाब देंहटाएंआशा का दीप जलाती शानदार कविता।
जवाब देंहटाएं-------
क्या आपको मालूम है कि हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग कौन से हैं?
बहुत ही सुंदर कविता. आपकी कविता पढ़ कर लगता है की उम्मीद जल्द नहीं टूटनी चाहिए.........
जवाब देंहटाएंबुलंद हौसले का दूसरा नाम : आभा खेत्रपाल
lovely lines !
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंlovely poem.
जीवन में आशा से बढ़कर कुछ भी नहीं !
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
Happy Republic Day.........Jai HIND
बहुत सुन्दर.. आशावादी है आपकी रचना .. सिखाती है हर कठिनाई और बुरे वक़्त के बाद भी अच्छा वक़्त फिर जी उठता है उस कली और गुलाब की तरह |
जवाब देंहटाएं.आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी आज के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
आज (28/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
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har surang ke bahar ujaalaa hai...mausamon ko badlna hi hota hai... ummeed bhari rachna
जवाब देंहटाएंउम्मीद का दामन कभी न छूटे. गुलाबी रचना.
जवाब देंहटाएंasha hi jeevan hai.
जवाब देंहटाएंsundar rachna.
गुलाब सी ही महक है कविता में |
जवाब देंहटाएंसुन्दर
सुंदरता के साथ जीवन श्रृंगार का प्रतीक भी है गुलाब ....
जवाब देंहटाएंवाकई आशा ही जीवन है
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंदुख सुख जीवन के दो पहलू हैं दोनो के बिना जीवन अधूरा। दिन के बाद रात और रात के बाद दिन आता ही है। फूलों के माध्यम से सुन्दर सन्देश। बधाई।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंआदरणीया वाणी जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
सुप्रभात !!
खिल गया फिर से वही गुलाब … बहुत सुंदर भाव और आशावादी स्वरों की अनुगूंज लिये हुए एक श्रेष्ठ कविता है ।
आज सुबह देखा …
खिल गया फिर से वही गुलाब … !
क्य बात है ! वाऽऽह !
सुबह सुबह आपकी इतनी सुंदर रचना पढ़ने के बाद अवश्य ही मेरा आज का दिन बहुत ख़ुशगवार रहेगा … आभार !
हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंकभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपनी एक नज़र डालें
प्रेरक आशावादी क्षणिका ... बहुत अच्छा लगा ...
जवाब देंहटाएं