शनिवार, 6 नवंबर 2010

दर पर उसकी भी आया मगर देर से बहुत ......





तलाश -ए -सुकूँ में भटका किया दर -बदर
दर पर उसके भी आया मगर देर से बहुत .....

जागा किया तमाम शब् जिस के इन्तजार में
नींद से जागा वो भी मगर देर से बहुत .....

शमा तब तक जल कर पिघल चुकी थी
जलने तो आया परवाना मगर देर से बहुत ....

तिश्नगी उन पलकों पर ही जा ठहरी थी
पीने पिलाने को यूँ तो थे मयखाने बहुत ....

जलवा- - महताब के ही क्यों दीवाने हुए
रौशनी बिखेरते आसमान में तारे तो थे बहुत ...

नम आंखों से भी वो मुस्कुराता ही रहा
रुलाने को यूँ तो थे उसके बहाने बहुत ....

जिक्र उसका आया तो जुबां खामोश रह गयी
सुनाने को जिसके थे अफसाने बहुत ......



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38 टिप्‍पणियां:

  1. 'असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय ' यानी कि असत्य की ओर नहीं सत्‍य की ओर, अंधकार नहीं प्रकाश की ओर, मृत्यु नहीं अमृतत्व की ओर बढ़ो ।

    दीप-पर्व की आपको ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं ! आपका - अशोक बजाज रायपुर

    ग्राम-चौपाल में आपका स्वागत है
    http://www.ashokbajaj.com/2010/11/blog-post_06.html

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  2. तिश्नगी उन पलकों पर ही जा ठहरी थी
    पीने पिलाने को यूँ तो थे मयखाने बहुत ..

    बहुत सुंदर शेर और गजल भी

    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  3. पूरी गज़ल बहुत खूब ..अंतिम तीन शेर बहुत पसंद आये ....

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  4. वाह बहुत सुन्दर गज़ल. खास तौर से जलवा-ए-महताब... बहुत सुन्दर है.

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  5. आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  6. दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें

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  7. behadd khoobsurat ashaar..
    sabhi sher pasand aaye..
    der se hi sahi lekin deepawali ki bahut bahut shubhkaamna aapko aur aapke poore parivaar ko...!

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  8. खूबसूरत !‌
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !‌

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  9. जागा किया तमाम शब् जिस के इन्तजार में
    नींद से जागा वो भी मगर देर से बहुत .....
    .....

    जिक्र उसका आया तो जुबां खामोश रह गयी
    सुनाने को जिसके थे अफसाने बहुत ......
    subah hui raat hui .... zindagi yun hi tamaam hui

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  10. सुनने, सुनाने में जीवन बहल जाये। भाव बनते रहें।

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  11. 'उसका' बेहद खूबसूरत इस्तेमाल है ! सुकून , शब का ठिकाना वो ! देरियों पे अटका ज़माना वो ! शम्मा , तिश्नगी का बहाना वो ! ज़लवा ,मसर्रतों का निशाना वो ! एक खामोश सा फ़साना वो :)

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  12. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 09-11-2010 मंगलवार को ली गयी है ...
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया

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  13. नाम आँखों से वो भी मुस्कुराता ही रहा ....
    बहुत ही अछा शेर है ये ... जज़्बात भरी अच्छी नज़्म है ...

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  14. नाम आँखों से भी मुस्कुराता रहा,
    रुलाने को यूँ तो थे उसके बहाने बहुत

    क्या बात है...बड़ी शानदार ग़ज़ल लिखी है..प्यारी सी...बहुत पसंद आई

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  15. नम आंखों से भी वो मुस्कुराता ही रहा
    रुलाने को यूँ तो थे उसके बहाने बहुत ....
    waah!!!
    sundar!

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  16. वाह बहुत सुन्दर गज़ल.बहुत खूब....

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  17. बेहद खुबसूरत गजल है !शब्दों के मोती पिरो दिए है आपने ! आभार स्वीकारें !

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  18. बेहद खूबसूरत प्रस्तुति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  19. आखिर के शेर बस भिगो गए मेरी भी पलके .इतना खूबसूरत कैसे लिख लेती हो. बहुत सुंदर प्रस्तुति.

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  20. .

    जलने तो आया परवाना मगर देर से बहुत....

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    अक्सर ऐसा ही होता है , भारतीय पुलिस की तरह, घटनास्थल पर बहुत देर से पहुंचना। --Smiles !

    Beautiful creation !

    .

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  21. क्षमा करना मित्र आपका नाम नहीं पता चल पाया| शमा - परवाना वाला शे'र जबरदस्त लगा|

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  22. जलने को तो आया परवाना मगर देर से बहुत। ख़ूबसूरत शे'र बधाई।

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  23. खूबसूरत भावों को समेटे हुई खूबसूरत ग़ज़ल !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ
    www.marmagya.blogspot.com

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  24. वाणी जी, आज दुबारा गजल पढी आपकी, सचमुच बहुत प्‍यारी लिखी है। हार्दिक बधाईयॉं।

    ---------
    गायब होने का सूत्र।
    क्‍या आप सच्‍चे देशभक्‍त हैं?

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  25. बह्त खूबसूरत अहसासों का संगम
    खुदा करे तुमको कभी भी रोने के ना बहाने मिले
    हर आसूँ जो आंखो में आये , उसे खुशी के पैमाने मिले

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  26. तिश्नगी उन पलकों पर ही जा ठहरी थी
    पीने पिलाने को यूँ तो थे मयखाने बहुत .
    नम आंखों से भी वो मुस्कुराता ही रहा
    रुलाने को यूँ तो थे उसके बहाने बहुत ....
    वाह बहुत खूब। मेरे पढने से रह गयी थी ,पता नही कैसे। बधाई।

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  27. हर एक शेर में दर्द ..समाया है ..सुंदर ..शुभकामनायें
    चलते -चलते पर आपका स्वागत है

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  28. bahut hi sudnar rachna , padhkar bahut accha laga , har sher me ek nayi baat hai ..


    badhayi

    vijay
    kavitao ke man se ...
    pls visit my blog - poemsofvijay.blogspot.com

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